तीर्थो को बचाना है, जैन समाज की अनमोल संस्कृति को बचाना है- पहली बार गिरनार की ओर 5000 जायेंगे 5 ग्रूपों में

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2039

धरती का स्वर्ग प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण जन जन का आराध्य तीर्थो में महातीर्थ तीर्थराज सम्मेद शिखर जी की पार्श्वनाथ पहाड़ी पर अभी हाल ही में झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री जी द्वारा एक मांझी समाज के लिए मंदिर का शिलान्यास किया गया। यह बहुत बड़ा गम्भीर सोचनीय विचारणीय चिंतनीय विषय है।जब जैन समाज ने सम्पूर्ण भारत मे आज तक किसी भी धर्म जाति सम्प्रदाय पर किसी भी तरह का कोई अधिकार नही किया तो लोग फिर फिर हमारे तीर्थो प्राचीन मंदिरों पर इस तरह कृत्य करते है।

हम नए नए मंदिर तीर्थ स्थान बनाते जा रहे है और हमारे मंदिरों और तीर्थो पर दूसरे धर्म के लोग कब्जा कर रहे है। यही हाल गिरनार तीर्थ का भी है लोग वहाँ वंदना को भी जाने से डरने लगे है। वो भी हमारे हाथ से निकलता जा रहा है।या यूं कहें कि निकल चुका है।

इस गंभीर स्थिति को देखते हुवे हिंदुस्तान की श्री सकल दिगंबर जैन समाज समिति ने दिनांक 20 फरवरी 2022 से 24 फरवरी 2022 तक 5000 श्रद्धालुओं को गिरनार यात्रा पर ले जाने का सद प्रयास किया है ।दिल्ली के कुतुम्बमीनार के समय हमारे अति प्राचीन जैन मंदिरों को तोड़ दिया गया। आज भी इसके प्रमाण वहाँ जो लोग जाते है उनको मिलते है।
तिरुपति बाला जी की मूर्ति दिगम्बर जैन समाज की है ।

अब समय रहते हम अपने तीर्थो को नही बचा पाए तो आने वाली पीढ़ी हमे कभी माफ नही करेगी।एक सो तीस करोड़ की आबादी में जैन समाज की संख्या बहुत ही कम रह गई है।यह भी बहुत गंभीर विषय है। इसको बढ़ाने पर भी ध्यान देना बहुत जरूरी है। राजनीति क्षेत्र में भी पकड़ नही है।लोकसभा मे 545 लोग गए एक भी जैन नही गया। यह हमारी राजनीति में पकड़ बताती है।

एक जैनसंत ने अभी कुछ दिनों पूर्व रोते हुवे अपने मंगल प्रवचन में विचार व्यक्त करते हुवे कहा था कि जैन समाज की संख्या कम होना बहुत बहुत चिंता का विषय है । दक्षिण भारत में लाखों की संख्या में जैन धर्म के अनुयायी मर गए पर उन्होंने अपना धर्म परवर्तित नही किया ।कैसी केसी यातनाये सह कर वो इस दुनिया से चले गए। उसका चिंतन ही रोंगटे खड़े कर देता है।

अब समय आ गया है हम जितने भी प्राचीन से प्राचीन तीर्थ क्षेत्र अतिशय क्षेत्र सिद्ध क्षेत्र मंदिर है उनकी रक्षा सुरक्षा कैसे करे। इस विषय पर बहुत जल्दी निर्णय ले लेना चाहिए। हमारी आगामी आने वाली पीढ़ियों को हम हमारे धर्म की प्राचीनता इतिहासिकता पुरातत्वता महानता के बारे में कैसे दिखा पाएंगे। सभी बड़े बड़े जैन संत बड़े बड़े जैन संस्थान उनके पदाधिकारीगण प्राचीन तीर्थो की रक्षा सुरक्षा पर अतिशीध्र निर्णय लेवे।

पारस जैन “पार्श्वमणि” पत्रकार कोटा m: 9414764980

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