#गिरनार पर जैनों का अधिकार – अदालत में दर्ज याचिका -1947 की स्थिति बहाल हो, जैनों को पूजा – दर्शन आसानी से हो

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22 अक्टूबर 2022/ कार्तिक कृष्णा दवादिशि /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/

आखिर जो काम हमारी तीर्थक्षेत्र कमेटी को करना चाहिए था, वह उसके द्वारा न होकर, दो समाज के बंधुओं ने कर दिखाया। जी हां, हम बात कर रहें हैं गिरनार जी की , जहां पर अभी हाल में तीर्थक्षेत्र कमेटी, गिरनार पर मुकदमा लड़ रहे वकील और समाज के कुछ भाइयों की चर्चा हुई और उसमें स्पष्ट हुआ कि अब तक तीर्थक्षेत्र कमेटी द्वारा 7 – 8 केस जो अब तक तीर्थक्षेत्र कमेटी लड़ रही है , उनके फैसले में ज्यादा कुछ नहीं मिल सकता। केवल 2005 की स्थिति लागू करने की हमारी मांग है।

जहां एक तरफ कई मंदिरों के लिए अन्य समाज , जैन वकीलों की मदद से अदालतों में दरवाजे खटखटा रहा है कि उनकी वास्तविक स्थिति को पुनः स्थापित किया जाए , जहां जैन समाज के ही दो भाई , विशेषकर अंतरिक्ष पारसनाथ में मूल स्थिति के लिए अदालत के निर्णय का इंतजार कर रहे हैं , जहां पर 1947 की स्थिति के अनुसार मूल प्रतिमा को कायम रखा हुआ है।

वहां वही जैन समाज, गिरनार में 1947 की स्थिति को , जो 1991 में आए धार्मिक अधिनियम के अनुसार रखी जा सकती है , उस पर आजादी के 75 साल तक कोई ध्यान नहीं देता और अब अलवर के खिल्ली मल जैन वकील तथा ग्वालियर के सुभाष चंद जैन , जो ग्वालियर में भी जैन समाज के एक केस की अगुवाई कर रहे हैं, दोनों ने संयुक्त रूप से एक प्रतिनिधि वाद जूनागढ़ सिविल कोर्ट में जैन समाज की ओर से दायर किया है।

जिसमें दो मुख्य बातें रखी गई हैं जो जैन समाज चाहता है । पहला , तो यह है कि वहां पर 15 अगस्त 1947 की स्थिति को बहाल किया जाए और उस पवित्र गिरनार तीर्थ पर असामाजिक तत्वों द्वारा किए गए अतिक्रमण को तत्काल हटाया जाए। तथा दूसरा अनुरोध किया गया है कि जैन तीर्थ यात्रियों को दर्शन, पूजा में बाधा नहीं पहुंचाने हेतु सरकार व प्रशासन को उचित रूप से पाबंद किया जाए , क्योंकि 2005 के केस में स्टे मिलने के बावजूद , कहीं ना कहीं सरकार और प्रशासन की शह पर वहां पर नियमित अतिक्रमण होता जा रहा है और इस पर अदालत के इस के ऑर्डर की मानो खुलकर अवमानना की जा रही है ।

इसके लिए एक प्रमुख प्रमाण के रूप में चैनल महालक्ष्मी के 8 जनवरी के एपिसोड को भी प्रमाण के रूप में प्रदर्शित किया गया है । जिसमें चैनल महालक्ष्मी ने दिखाया था किस तरह वहां पर मौजूद कुछ असामाजिक तत्व, जैन श्रावको को जयकारा बोलने, नवकार बोलने, तीर्थंकर नेमिनाथ जी की गुणगान करने , ध्यान करने आदि से बिल्कुल वंचित करा जाता है , धमकाया जाता है, मारपीट की जाती है , अपशब्द बोले जाते हैं। पर इस पर हमारी तीर्थ क्षेत्र कमेटी ने कभी भी कोई गंभीरता नहीं दिखाई। सिर्फ आवेदन देकर अपने को जैसे समझ लिया कि हमने अपना कर्तव्य निभा दिया ।

वाद में गुजरात सरकार, जिला कलेक्टर जूनागढ़ व केन्द्र सरकार, अल्पसंख्यक विभाग व पुरातत्व विभाग को पक्षकार बनाया गया है।
जूनागढ़ सिविल कोर्ट में जैन समाज की ओर से श्री किरीट भाई संघवी एवं मुकेश सी कामदार एडवोकेट पैरवी कर रहे हैं।

यह वाद दायर करने से पूर्व 25 जनवरी 2022 को श्री मनोज कुमार जैन एडवोकेट सुप्रीम कोर्ट ने दो माह का मियादी नोटिस राज्य एवं केंद्र सरकार को प्रेषित किया था, जिसका उत्तर केंद्र सरकार के गृह विभाग द्वारा श्री मनोज कुमार जैन एडवोकेट को भेजा गया था।

उपरोक्त वाद दायर करने से पूर्व खिल्ली मल जैन व सुभाष चन्द्र ने पंडित विक्रम शास्त्री,अलवर पवन कुमार दीवान मुरैना आदि विद्वानों से सहयोग प्राप्त किया एवं वरिष्ठ अधिवक्ता सुधांशु कासलीवाल जयपुर, सुशील कुमार जैन सुप्रीम कोर्ट आदि से मार्ग दर्शन लिया है तथा आचार्य श्री विद्यासागर जी, सुनील सागर जी, प्रज्ञसागर जी, आर्यिका ज्ञानमती, कुमुद मति माताजी से आशीर्वाद प्राप्त किया है।

अब इस याचिका से अपील की गई है अदालत से , कि जैन समाज को वह अधिकार मिले , जो उसको बरसों से हजारों वर्षों से , अपने इस सिद्ध क्षेत्र के लिए 5 टांकों को पर मिलते रहे हैं। अदालत के निर्देश के अनुसार इस संबंध में एक नोटिस दिव्य भास्कर के 8 दिसंबर 2022 के अंक में प्रकाशित होगा .

इसके बारे में एक विशेष रिपोर्ट चैनल महालक्ष्मी आपको दीपावली की पूर्व संध्या पर यानि सोमवार 24 अक्टूबर 20-22 को रात्रि 8:00 बजे के विशेष एपिसोड में दिखाएगा और आपको बताएगा कि किस तरीके से पांचों टोंको को , जो जेनों की थी । उन्हें किस तरीके से बदला गया और याचिका में जैन समाज के द्वारा क्या-क्या अपील की गई है और क्या-क्या उसके प्रमाण से बात को पुष्टि किया गया है।