दत्तात्रेय -गोरखनाथ -गिरनार: तीर्थंकर नेमिनाथ जी, अनिरुद्धकुमार जी, शंभूकुमार जी, प्रद्युम्नकुमार जी, टोंक- चरण सबको, पिछले कुछ सालों में इस तरह बदला गया कि हमारी आंखें बस देखती रह गई

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4 मई 2022/ बैसाख शुक्ल चतुर्थी /चैनल महालक्ष्मीऔर सांध्य महालक्ष्मी/
किसी ने कहा है कि जो अपने घर को, अपने क्षेत्र को, अपने राष्ट्र को, अपने मंदिर को बचाने में ,समर्थ नहीं होते , लड़ नहीं पाते, गलत का विरोध नहीं कर पाते , उनको उनके कर्म भी, कभी माफ नहीं करते । उससे बड़ा दुर्भाग्य, किसी का हो ही नहीं सकता। आज, हम और आप, जो नहीं कर पा रहे ,उस पर सबको अफसोस है । आज सत्य को भी, सबूत की बैसाखी चाहिए । जो सच है, उसको हम उद्घाटित नहीं कर पा रहे , तो क्या सत्य झूठा साबित हो जाएगा ? पर सत्य तो वही रहेगा, पर हम उसको उद्घाटित नहीं कर पाए , तो दोषी जरूर हम होंगे।

पिछले 15-20 वर्षों में , 22वें तीर्थंकर नेमिनाथ जी के साथ , महामुनिराज अनिरुद्ध कुमार जी, शंभू कुमार जी और प्रद्युम्न कुमार जी के साथ 72 करोड़ 700 महामुनिराजों की मोक्ष स्थली को , जिस तरीके से बदला गया और पिछले दो-तीन साल में तो, लगभग रोजाना, नॉनस्टॉप बदला जा रहा है , वंदना मार्ग के साथ तो, उस पर सही बात को सामने लाने की बजाय , अपनी आवाज प्रशासन, सरकार , अदालत तक, नहीं पहुंचाने में हम, अहिंसक नहीं , कायर कहलाएंगे ।

अदालत के आदेश के बावजूद, जो हो रहा है , वह उसके आदेश की अवमानना है । चाहे वह किसी की शह पर हो , पर हमारी, अपने तीर्थ को ना बचाना , हमारे आत्मसमर्पण का संकेत करता है। झूठ को सत्यापन करता है । सत्य को पर्दे के पीछे डालने के लिए , हम ही सबसे बड़े जिम्मेदार हैं , क्योंकि हम नाकामयाब हैं । पूरे वंदना मार्ग में, छोटे छोटे मंदिरों को बना देना और लगातार बनते जाना , यह उनके द्वारा ही नहीं , अपने ही गाल पर स्वयं तमाचा मारने जैसा ही है । कैसे अधिकृत हो गए बनाने को यह सब? छोटे-छोटे मंदिर ,जब वन क्षेत्र में कुछ भी निर्माण के लिए पूरा निषेध है , क्या केवल जैन संप्रदाय के लिए?

सन 2000 के बाद , ऐसा कैसे होता गया कि हमारे संतो के साथ , भक्तों के साथ , श्रावको के साथ , मारपीट करना, हमले करना, धमकी देना, गाली गलौज करना , अब तो एक आम बात बनती जा रही है । ऐसे दृश्य, इस साल में भी देखे गए , जो चैनल महालक्ष्मी ने आपको दिखाये भी।

जिस तीर्थ स्थान पर , आज भी, शेर झुंड के झुंड में , उन्मुक्त विचरण करते हैं, आज वहां जैन बंधु , स्वतंत्र होकर , ना जयकारा लगा सकते हैं, ना पूजा कर सकते हैं, ना एक माला कर सकते हैं । अरे , एक माला तो बहुत दूर की बात, नवकार मंत्र भी नहीं जप सकते। हां, यह वही स्थान है , जहां हिंसक वनराज भी , अहिंसक जैन तीर्थ यात्री को देख कर, भी कुछ नहीं कहते और अपना मार्ग ही बदल लेते हैं ।

जहां पर, अब मूल चरण , जो अब हमारे देखते-देखते , चाहे वह तीर्थंकर नेमिनाथ जी के हो , चाहे महामुनिराज अनिरुद्ध कुमार जी के, चाहे शंभू कुमार जी के और चौथी टोंक पर चाहे प्रद्युम्न कुमार जी के, सबको, पिछले कुछ सालों में इस तरह बदला गया , कि हमारी आंखें बस देखती रह गई , या कहीं हमने आंखे होने के बावजूद , नेत्रहीन होना स्वीकार कर लिया । पांचवी टोंक पर, एक पद्मासन प्रतिमा , जो दीवार में उकेरी हुई थी , उसे दबा दिया गया। और तीर्थंकर नेमिनाथ जी चरण को धीरे-धीरे पूरी तरह दत्तात्रेय के रूप में बदल दिया गया । हम जागे नहीं, बैठे रहे, और बैठे-बैठे सोते रहे।

सन 2000 के बाद , लगातार हमारे सामने, नए-नए रूप में, नया बदलाव कर दिए गए, हम सबके सामने, उन सब के, जो आज 30 35 साल की उम्र पार कर चुके हैं । हमारे विरोध में दम नहीं , एकता अखंडित है। हम बैठे हुए हैं, बस एक दूसरे की टांग खींचने में , अपना तन मन और धन लगा रखा है । जबकि बाहर वाला , उसका पूरा मजा ले रहा है। इसी का परिणाम है कि धीरे-धीरे और पिछले कुछ समय में तो, रोज गिरनारजी में ऐसा काम हो रहा है, रूप बदला जा रहा है, हम सबके सामने। हमारी आंखों के सामने, आज जिस गिरनार जी में, पांचवी टोंक पर, चंद सेकंड भी, खड़े नहीं हो सकते, पूजा करना तो दूर की बात है, अर्घ चढ़ाना भूल गए हैं, जयकारा बोल नहीं सकते। अब वह नेमिनाथ टोंक, दत्तात्रेय बन गए । उसी में सिमट गए हैं ।

महाभारत कालीन श्रीकृष्ण जी के भाई , तीर्थंकर श्री नेमिनाथ जी की स्मृति को , उनकी मोक्ष धरा को, यहां से हटाने में, बदलने में , धूमिल करने में, अगर दोषी , शासन-प्रशासन-जैनेत्तर समाज है , तो हम भी, उससे कम दोषी नहीं है । अब वह चित्र भी देखिए, जो नवीनतम है, ताजा चित्र, जो शायद आप में से कोई , अब तक नहीं देख पाया , क्योंकि हमारी आंखें सदा बंद रहती हैं। भावनगर के भाई मिहिर सिंघवी, चैनल महालक्ष्मी को , समय-समय पर ,जो वहां लगभग हर माह, पिछले 2 वर्ष से यात्रा कर रहे हैं। हमें इस तरह के चित्र भेजते रहते हैं । ये 2 मई के हैं, जब एक छोटा जनरेटर , नीचे से पांचवी टोंक तक पहुंचाया जा रहा है। जहां पर हम एक ईट नहीं ले सकते , अदालत का आदेश है । वहां फर्श बन गया , नई दीवारें बन गई, मूल इतिहास को बदल दिया , चरण बदल दिए, जैनों का नामोनिशान मिटा दिया और अब जनरेटर भी। इस पर किसी की , क्यों नजर नहीं जाती, ना हमारी अदालत की, ना प्रशासन की।

इससे पहले , तीसरी टोंक के बारे में भी , चैनल महालक्ष्मी ने , जो हमारे महामुनिराज शंभू कुमार जी की है , उसके चित्र दिखाए थे , पूरी तरह बदल दिया गया है उसको । कौन थे शंभू कुमार जी, यह जवाब मिलता है , जो वहां पंडा खड़ा होता है । वह पंडा कहता है ,यह गोरखनाथ जी के चरणों और उनकी मूर्ति लगी है, तुम्हें देखती नहीं। भाग जाओ ,यहां से , तुम्हे तो यहां खड़ा भी नहीं होना चाहिए। अभी ये आवाज पांचवी टोंक के साथ , तीसरी टोंक पर भी सुनने को मिलती है । अरे दर्शन किसके करोगे? चैनल महालक्ष्मी , एक बार फिर आप को जागरूक करने के लिए, यहां के ताजा चित्र और वीडियो के साथ, शुक्रवार अपने रात्रि के 8:00 बजे के विशेष एपिसोड में आपको दिखाएगा, कि जैन अहिंसक है या कायर। गिरनार को अपने हाथों से ही लूटने दे रहे हैं ।

क्यों चुप हैं हम सब, क्या कारण है, आज शांति और अहिंसा का विश्व में डंका बजाने वाले आंख में क्यों बैठे हैं ? देखना मत भूलिएगा, चैनल महालक्ष्मी पर, रविवार 8 मई रात्रि 8:00 बजे, यूट्यूब पर यह विशेष एपिसोड।

चैनल महालक्ष्मी ने गिरनार पर जागरूकता के लिए अनेक एपिसोड निकालें हैं जिन्हें आप को देखना चाहिए और जाननी चाहिए हकीकत
1 पांचवी टोक ही नहीं, सरक गया पूरा गिरनार, ना कमेटी कुछ कर पाई , ना कर पा रहा समाज

आज दिखाते हैं आपको दूसरी टोंक, आंखों के सामने कैसे बदल गई। 10 साल के चित्रों में।

2 गिरनार – पांचवी टोंक ही नहीं, बदल रहे पूरा पहाड़

3 महज 20 सालों में कैसे छिन गया गिरनार, कौन है इसके लिए जिम्मेदार

4 गुजरात CM को धन्यवाद -गिरनार जी से जिंदा लौट आये

कैमरे में कैद- गिरनार टोंक पर बदतमीजी, लगातार पंडों का अत्याचार

5 COME, SAVE GIRNAR उम्मीद जगाओ, गिरनार बचाओ, अब सब मिलकर आगे आओ,

6 गिरनार बचाने के लिए अब डबल डोज़ की रणनीति

7 गिरनार में कैसे बदले भगवान

8 गिरनारजी से जैनों की कर दी छुट्टी,नेमिनाथ जी चरण गायब, बन गये अब दत्तात्रेय चरण

9 जैनों का गिरनार, कैसे छीना अधिकार, सच्चाई जो आपने कभी न जानी होगी-Part-II

10 गिरनार किसका अधिकार, श्री नेमिनाथ जी- श्रीकृष्णजी भाई-भाई, उनके वंशजों को में क्यों हो लड़ाई

11 समय की पुकार , चलो गिरनार
जितनी करोगे गिरनार वंदना, उतना सुरक्षित यह तीर्थ समझना

12 हमारा गिरनार, हमें ही म्याऊं- किसका है गिरनार, क्या कहता इतिहास

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