गिरनार जी की पांचवी टोंक से लगभग पूरा मिटा दिया तीर्थंकर श्री नेमिनाथ जी का इतिहास, जैन समितियों को पता नहीं या मूंदी ऑंखें

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यह चित्र भगवान नेमिनाथ जी की पांचवीं टोंक के अंदर का है। घटना शुक्रवार १३ अगस्त की है। इस चित्र को बड़ी मुश्किल से जान जोखिम में डाल कर जयपुर के ६० यात्रियों में से एक ने लिया है। फ़ोटू लेने पर उपस्थित पण्डे ने यात्री से मोबाइल छिन लिया और फ़ोटो डिलीट कर दिया। बड़ी मुश्किल से मोबाइल मिल सका। किंतु यह फ़ोटो डिलीट नहीं हो पाया। समाज के तीर्थों की रक्षा, देखभाल के लिए सौ साल पहले दानवीर माणिकचंद ज़वेरी के अतुल्य प्रयासों से गठित श्री भारत वर्षीय दिगंबर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी, का कार्यालय मुबंई में।

है। इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष मुबंई के श्री शिखरचंद पहाड़िया हैं। सिद्धक्षेत्र गिरनार की पाँचवीं टोंक पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित स्मारक है। जिसके नियमों के अनुसार इसमें बिना अनुमति लिये किसी भी प्रकार की छेड़ छाबड़ नहीं की जा सकती है। प्रस्तुत चित्र से स्पष्ट हो रहा है कि पिछले कोरोना काल में पाँचवीं टोंक पर निर्माण कर के अकल्पनीय परिवर्तन कर दिये गये हैं। जिसकी ओर हमारे समाज के संबंधित ज़िम्मेदार पदाधिकारियों की ओर से उदासिनता की गयी है।

अब चित्र के अनुसार पाँचवीं टोंक में आमूलचूल परिवर्तन कर दिये गये हैं। अपरिमित नुक़सान सिद्धक्षेत्र का हो चुका है। न्यायालय में हमारे पक्ष की स्थिति क्या होगी ?
समाज के विघटन/ खण्डित और आंतरिक कमज़ोरी से कौन अवगत नहीं है ? यही स्थिति साधू समाज की है।

This picture is inside the fifth tonk of Lord Neminath ji. The incident happened on Friday 13 August. This picture was taken by one out of 60 travelers from Jaipur risking their lives with great difficulty. On taking the photo, the present Pandey snatched the mobile from the passenger and deleted the photo. Could hardly get mobile. But this photo could not be deleted.

The office of Shri Bharat Varshal Digambar Jain Teerth Kshetra Committee, formed a hundred years ago by the incomparable efforts of Danveer Manikchand Zaveri, for the protection and care of the pilgrimages of the society, in Mumbai.

Is. Its national president is Shri Shikharchand Pahadia of Mumbai. The fifth tonk of Siddhakshetra Girnar is a protected monument by the Archaeological Department. According to the rules of which no tampering can be done without taking permission in it. It is clear from the picture presented below that in the last Corona period, unimaginable changes have been made by building on the fifth tonk.

To which there has been indifference on the part of the concerned responsible officials of our society. Now radical changes have been made in the fifth tonk as per the picture. Infinite damage has been done to Siddha Kshetra. What will be the position of our side in court?
Who is not aware of the disintegration/fragmented and internal weakness of the society? This is the situation of sadhu society.
– निर्मलकुमार पाटोदी, इंदौर