12 अक्टूबर 2023/ अश्विन कृष्ण त्रयोदशी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी /शरद जैन/EXCLUSIVE
एक बार फिर अपने कुकृत्य व गंभीर अपराध को छिपाने के लिये झूठे आरोपों की झड़ी गिरनार घटना पर लगाई गई, जिसका पर्दाफाश प्रमाणों के साथ करना जरूरी हुआ, जिसके लिये चैनल महालक्ष्मी/ सान्ध्य महालक्ष्मी ने जैन धर्म संरक्षण महासंघ के महामंत्री के रूप में अगुवाई करते हुए सोमवार 09 अक्टूबर 2023 को अहमदाबाद के श्री महावीर फाउंडेशन में अजय जैन (अहमदाबाद), हितेश जैन एडवोकेट (सूरत), सुधीर जैन (कोपरगांव) के साथ प्रेस कान्फ्रेंस में राष्ट्रीय व गुजरात स्तर के लगभग 30 पत्रकारों के समक्ष प्रमाणों के साथ खुलासा कर जैन समाज की ओर से मुख्यत:निम्न मांगें रखीं:-
1. पांचवीं टोंक पर तलवार व चिमटे गलत मंशा के साथ उठाकर धमकी देने वाले पर तत्काल कार्रवाई हो।
2. जैन श्रद्धालुओं को दर्शन हेतु पुलिस की पूर्ण सुरक्षा मिले।
3. अराजक तत्वों को बेनकाब करने के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाये जायें।
4. 5वीं टोंक पर अगर पण्डे (पुरोहित) को बैठने का अधिकार है, तो जैन पुजारी को भी वही अधिकार दिया जाये तथा सभी को पूरी पुलिस वेरिफिकेशन हो। उनकी सत्यापित फोटो टोंक पर टांगी जाये।
5. उच्च न्यायालय के आदेशानुसार चौथी व पांचवीं टोंक के बीच पुलिस चौकी स्थापित व आने-जाने वालों का रिकार्ड्स रखा जाये।
हजारों वर्षों से श्रमण व वैदिक संस्कृति साथ-साथ प्रेम-शांति सद्भाव से चल रही है। केवल कुछ अपने निजी स्वार्थ से दोनों को लड़वाते रहे हैं। अदालत के आदेशानुसार दोनों ही को अपने-अपने धर्म की मान्यता के अनुसार वहां दर्शन, पूजा, जयकारे आदि का समान अधिकार है। तथा दोनों ही समुदायों का वहां जस की तरस स्थिति बरकरार रखते हुए कोई अवैध निर्माण नहीं करना चाहिए तथा एक-दूसरे का पूरा आदर व सहयोग करना चाहिए, यही प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के ‘वसुधेव कुटुम्बकम्’ की पहचान है।
जैसा आपको ज्ञात होगा एक अक्टूबर 2023, शायद वही एक दिन था, जब जैन समाज के 250 के लगभग शेर के बच्चों ने गिरनार के उर्जयन्त शिखर को अपराजित महामंत्र णमोकार, 22वें तीर्थंकर श्री नेमिनाथ जी के जयकारों से गुंजायमान किया और उन गगनभेदी जयकारों को वहां की अन्य गिरि ने अपने से टकराते हुए उनको और तेज गति व स्वर प्रदान किया तो पांचवीं टोंक के भीतर जमें कथित पण्डे व कुछ दूरी पर बने कमंडल धाम में शायद वैसे ही खलबली इस पंचम काल के 2549वें वर्ष में कुछ अंश तो वैसे ही मची होगी, जैसे युवराज श्री नेमिनाथ ने जब नाग शैय्या पर चढ़कर, श्री कृष्ण जी शिवधनुष की प्रत्यंचा चढ़ाकर उनके शंख को फूंककर गुंजायमान किया था। वैसे तो तब भी श्रमण व वैदिक संस्कृति साथ-साथ चल रही थी, आज भी वैसे ही चल रही है। तब अपनी चालाकी-चतुराई दिखा कर युवराज नेमिनाथ जी तीर्थंकर बनने का निमित्त बन गये, आज पंचम काल उन्हीं की मोक्षस्थली के कथित रूप से कब्जा करने वाले घिनौनी हरकत से नहीं चूंके।
उस दिन उन 250 जैन श्रावकों का उद्देश्य यही था कि पांचवीं टोंक पर तीर्थंकर प्रतिमा व चरण के दर्शन कर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी स्वच्छ भारत अभियान के 10 बजे से उस गंदी होती जा रही गिरनार धरा पर स्वच्छता अभियान चलाएं। पर कथित पण्डों को शायद यह मंजूर नहीं था। उन जैन श्रावकों को पांचवीं टोंक में प्रवेश से पहले ही आधा घंटे जबरन रोका गया, कहा गया, जयकारे नहीं, चुप रहना, शांत रहना। फिर एक-एक करके जाने दिया। जहां जैनेत्तर लोग काफी समय बैठ कर, अपनी तरह से दर्शन, पूजा, भजन, कीर्तिन करते हैं, वहां, बैठना तो दूर, भगाने की तैयारी रहती है, साथ में डण्डा भी खूब आवेग से चलता है। पर आज जैसे शेर के बच्चे, सर्कस वाले नहीं थे, कि डण्डे से रुक जायें, उन्होंने जयकारे बोलने की शुरूआत की, तो पुलिसवाले की उपस्थिति में अपनी गुण्डागर्दी जारी रखते हुए, लाखों नागा साधुओं की भी गरिमा को, उसी गिरनार के पास तपस्या करने वाले उनके दत्तात्रेय ‘भगवान’ का भी अनादर करते हुए, उन अहिंसा-शांतिप्रिय जैन लोगों के सामने तलवार व चिमटा म्यान हवा में लहारनी शुरू कर, गाली-गलौच, अपशब्दों से स्पष्ट धमकी दे दी कि हमने आज तक डण्डे ही नहीं मारे, बल्कि 01 अक्टूबर 2013 को दिगंबर मुनि श्री प्रबल सागरजी के सीने में चाकू उतार, हत्या करने की कोशिश की
तलवार आदि को देखकर सबका तुरंत नीचे आना सुरक्षित समझा गया। 30 सितंबर 2023 को दी गई पूर्व सूचना के बाद भी कोई सुरक्षा व्यवस्था नहीं दिलाई पुलिस द्वारा। और जब सायं 3 बजे के लगभग सब यात्री सोमनाथ के आगे जाने के लिए चार बसों में बैठे तो मिली जानकारी के अनुसार सभी को जैसे 4 घंटे तक मानो बसों में ही नजरबंद कर दिया था। किसी को खाने का डिब्बा तक नहीं लेने दिये। दिन में भोजन लेने वाले सभी बच्चे, महिलायें, भूखे ही रहे। आठ बजे कहा – कुछ नहीं, चले जाइये। कई की आगे की ट्रेन छूटी तो एक यात्री तो शरीर सुन्न होने से खबर लिखे जाने तक अस्पताल में इलाज करा रहा है।
हद तो और तब हो गई, जब अगले ही दिन मीडिया में बिना तथ्यों के झूठा प्रचारित कर दिया गया कि जैनों द्वारा कथित दत्तात्रेय के चरण – मूर्ति क्षतिग्रस्त किया गया था, कोशिश की गई। ये चरण है श्री नेमिनाथ तीर्थंकर के, जिनके चरण रज लेकर जैन अपने पूरे जीवन को धन्य मानते हैं, वे क्षतिग्रस्त तो क्या, खरोंच तो क्या, टेड़ी आंख भी करने की स्वप्न में नहीं सोच सकते और फिर 07 अक्टूबर को गुरु दत्तात्रेय संस्थान के मठाधीश व पूर्वी दिल्ली के पूर्व सांसद महेश गिरि ने प्रेस के सामने सत्य के ऊपर झूठ का नकाब चढ़ा दिया। पण्डे द्वारा तलवार जैसे धारदार हथियार लहराने की सच्चाई को दबाने का पूरा षड्यंत्र मानो रचा गया। साथ ही जैनों को प्रेस के सामने खुलकर धमकी भरे अंदाज में कहा कि यह मत समझना कि आप सुरक्षित वंदना करके नीचे आ जाते हो।
अगर वहां के कथित नागा साधु अपनी पर आ जाएं तो पांचवीं से तीसरी टोंक पर आने से पहले ‘कार्यक्रम’ कर देंगे, पहले दिखा भी चुके हैं। स्पष्ट ही उनका संकेत एक जनवरी 2013 को मुनि श्री प्रबल सागरजी की छाती में चाकू से किये गये वार पर था। और यह स्पष्ट गंडागर्दी भी झलका रही थी कि यहां शासन, प्रशसन, पुलिस भी मानो इनके इशारे पर चलती है। उन्होंने अनेक झूठे आरोप लगाये जैसे जैनों का दूसरा वर्ग अराजक है, उन पर एफआईआर हो, प्रतिबंध लगे, टोंकों की पहचान बदलते हैं, सरकारी आर्कियोलोजिकल दस्तावेजों में नेमिनाथ, गिरनार, शम्भू, प्रद्युम्न, अनिरुद्ध आदि कोई नाम नहीं है। मेरे अराध्य पर हमला किया, ब्यूरोकेट को कष्ट देते हैं, आदिवासी का धर्म परिवर्तन कराते हैं। यहां कोई लाडू नहीं चढ़ता, हजारों साल से दत्तात्रेय का कार्यक्रम होता है। पर शायद वहां मौजूद मीडिया भी जानता था झूठ का पुलिंदा है, इसलिए उन्होंने इसे कवर नहीं किया।