जैन गुजरात मुख्यमंत्री को लिखा पत्र- तीर्थंकर श्री नेमिनाथ जी सहित 72 करोड़ 700 मुनिराजों की मोक्ष स्थली के प्राचीन इतिहास को बदलते हुए #गिरनार पर्वत पर दत्तात्रेय तीर्थ क्षेत्र के नाम से बदले जाने पर आपत्ति, आप सब भी भेजिए इस तरह से

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28 जुलाई 2023/ श्रावण अधिमास शुक्ल नवमी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/

श्री भूपेंद्र पटेल जी,
माननीय मुख्यमंत्री, गुजरात सरकार,

स्वर्णिम संकुल – 1, तीसरी मंजिल,
नया सचिवालय, सेक्टर 10,
गांधीनगर, 382010 गुजरात
ईमेल: info@cmogujarat.gov.in

विषय :- तीर्थंकर श्री नेमिनाथ जी सहित 72 करोड़ 600 मुनिराजों की मोक्ष स्थली के प्राचीन इतिहास को बदलते हुए गिरनार पर्वत पर दत्तात्रेय तीर्थ क्षेत्र के नाम से बदले जाने पर आपत्ति।


माननीय महोदय
1. अभी हाल ही में विभिन्न समाचार पत्रों से जानकारी मिली कि आपके द्वारा गिरनार पर विभिन्न विकास की योजनाओं के लिए गुजरात राज्य यात्रा धाम विकास बोर्ड के प्रस्ताव को स्वीकृत देते हुए 114 करोड़ रूपये का आवंटन किया गया है, जिसके द्वारा जगह -जगह पहचान हेतु साइन बोर्ड भी लगाए जाएंगे। क्षेत्र का विकास होना तथा यात्रियों के लिए सुबिधायें प्रदान करना हर्ष का विषय है, पर इन सबके साथ तीर्थंकरों की मोक्षस्थली की पहचान को हटाना /मिटाना अत्यंत खेद का विषय है।
2. 1991 में जारी पूजा अधिनियम के अंतर्गत धार्मिक स्थलों की 15 अगस्त 1947 की स्थिति रखने को अधिनियमित किया गया है। यह अधिनियम किसी भी धार्मिक स्थल के रूपांतरण पर रोक लगाते हैं , उनके धार्मिक चरित्र के रखरखाव को सुनिश्चित करना सरकार की जिम्मेदारी है।

3. जैन धर्म के २२वें तीर्थंकर श्री नेमिनाथ जी भगवान की दीक्षा, तपस्या, केवलज्ञान और निर्वाण स्थली गिरनार पहाड़ है। तीर्थंकर श्री नेमिनाथ जी ने इसी पहाड़ पर 4 वर्ष 8 माह कठोर तप किया , जिसे अब कथित रूप से दत्तात्रय टोंक कहा जा रहा है, जो ऐतिहासिक तथ्यों को पूर्णतः बदलने की कोशिश है।

4. गिरनार पर्वत की पाँचवीं टोंक नेमिनाथ भगवान का मोक्ष स्थल है तथा दूसरी टोंक श्री अनिरुद्ध कुमार मुनि, तीसरी टोंक श्री शंभू कुमार व चौथी टोंक श्री प्रद्युम्न कुमार मुनि की मोक्ष स्थली हैं, लेकिन अब गिरनार पर्वत को दत्तात्रेय / गोरखनाथ / औघड़नाथ का स्वरूप प्रदान करने के प्रयास किए जा रहे हैं और इसके लिए ही आपने रुपये ११४ करोड़ की योजना राज्य के “गुजरात पवित्र यात्राधाम विकास बोर्ड” के प्रस्ताव को स्वीकृति दी है और क्रियान्वित करने के लिए “द कमेटी फ़ार्मेशन फॉर द डेवलपमेंट वर्क्स” बनाईं है जो उपरोक्त काम शुरु करने जा रहा है।

5. माननीय, भारत सरकार द्वारा प्रकाशित जेम्स वर्गीज की सन् 1875-76 में प्रकाशित रिपोर्ट जिसका पुनः प्रकाशन सन् 1998 में किया गया है, उसके पृष्ठ 175 पर स्पष्ट रूप से लिखा है कि यह नेमिनाथ की टोंक है तथा वहां पर भगवान के चरण स्थापित हैं और एक मूर्ति दीवार पर उकेरी हुई है और एक बड़ा घंटा लटका हुआ है लेकिन राज्य सरकार के रेकार्ड के अनुसार इस पांचवी टोंक को दत्तात्रेय, चौथी टोंक को औघड़नाथ टोंक व तीसरी टोंक को गुरु गोरखनाथ टोंक दर्ज कर लिया जो कि तथ्यों के विपरीत है।

6 यहां यह भी स्पष्ट करना आवश्यक है कि गुजरात सरकार द्वारा जारी अधिसूचना में कहीं भी गिरनार पहाड़ पर स्थित जैन धर्म के सभी स्थलों का नाम सरकार के रेकार्ड में दर्ज नहीं किये गये है। जबकि जूनागढ़ की राजकुमारी राजुलमति का विवाह व नेमिनाथ भगवान को वैराग्य के प्रसंग गिरनार पहाड़ की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि में हैं जोकि महाभारत कालीन है तथा नारायण श्री कृष्ण से भी जुड़े हैं। श्री प्रद्युम्न कुमार मुनि श्री कृष्ण के पुत्र थे व श्री शंभू कुमार व अनिरुद्ध कुमार ने भगवान नेमिनाथ स्वामी से दीक्षा लेकर तपस्या कर गिरनार पर्वत से ही मोक्ष प्राप्त किया।

7. सन् 1950 से पहले का कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं है जिससे गिरनार पर्वत कि पहचान सनातन धर्मावलंबियों के दत्तात्रेय के नाम से होती हो।
यहां यह भी उल्लेख करना उचित होगा कि सन् 1902 व 1907 में जैन समाज के श्रेष्ठि बंडी लाल फतेहचंद को गिरनार पर्वत पर पांचवी टोंक की मरम्मत करने की अनुमति तत्कालीन शासन द्वारा दी गई थी और चौथी टोंक पर सीढ़ियां निर्माण करने की अनुमति सन 1950 में दी गई थी तथा बंडी लाल कारखाना ट्रस्ट का रजिस्ट्रेशन बॉम्बे पब्लिक ट्रस्ट एक्ट के तहत सन् 1961 में किया गया था, जिसकी संपत्ति की सूची और उद्देश्यों में यह स्पष्ट अंकित है कि उक्त ट्रस्ट का गठन भगवान नेमिनाथ के मोक्ष स्थल गिरनार पर्वत की पांचवी टोंक पर आने वाले यात्रियों की सुविधाओं के लिए किया जा रहा है तथा उसकी छानबीन होने के पश्चात असिस्टेंट चैरिटी कमिश्नर ने उपरोक्त ट्रस्ट का पंजीकरण किया था।

8. गिरनार पर्वत की वंदना करने वाले तीर्थ यात्रियों ने अपने संस्मरण प्रकाशित किए हैं। जिनमें बहुत से संस्मरण जयपुर में स्थापित मंदिर में विद्यमान हैं और बाबू ज्ञान चंद जैन ने सन् 1909 में लाहौर में प्रकाशित किया है। इस क्षेत्र के पुराने फोटो भी ब्रिटिश लाइब्रेरी में मौजूद हैं।

9. हमारे समाज के सदस्यों एवं संबंधित संस्थाओं की ओर से राज्य सरकार को बड़ी संख्या में ज्ञापन भेजे गए हैं जिनमें इस क्षेत्र में दत्तात्रेय की मूर्ति स्थापित करने, दत्तात्रेय द्वार बनाए जाने पर आपत्ति जताई है और न्यायालय स्तर पर भी प्रयास किए गए हैं तथा माननीय गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश दिनांक 17.2.2005 की भी अवहेलना की गई है।उपरोक्त प्रकरण अभी न्यायालय में निर्णयाधीन हैं। ऐसी परिस्थिति में गुजरात सरकार द्वारा गिरनार पर्वत पर दत्तात्रेय नाम से तीर्थ क्षेत्र के विकास हेतु 114 करोड़ रुपए स्वीकृत किए जाने की घोषणा उचित नहीं है।
10. अतः आपसे अनुरोध है कि आप गिरनार पर्वत पर विकास की योजना को क्रियान्वित करने से पूर्व दत्तात्रेय तीर्थ क्षेत्र का नाम योजना में से हटाने की कृपा करें।

सादर,
भवदीय,
शरद जैन
(महामंत्री)
मो. 9910690823
ईमेल :- info@channelmahalaxmi.com
सूचना एवं आवश्यक कार्रवाई हेतु प्रतिलिपि:
1. अध्यक्ष, गुजरात पवित्र यात्राधाम विकास बोर्ड, 6 एमजी 5 + सी 6 एच, सेक्टर 10 बी, सेक्टर 10, गांधीनगर, गुजरात- 382010
2. श्री आर.आर.रावल, आईएएस (सेवानिवृत्त), सचिव, गुजरात पवित्र यात्राधाम विकास बोर्ड, ब्लॉक 3/1, डॉ. जीवराज मेहता भवन, गांधीनगर, गुजरात, ईमेल: gpyvb@gujarat.gov.in