26 दिसंबर 2024/ पौष कृष्ण एकादिशि /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/ शरद जैन /
प्रशासन, सरकार, पुलिस, पुरातत्व विभाग सब एक साथ जुड़ गये संभल से हनुमान मंदिर के साथ, अन्य मंदिरों के साक्ष्य जुटाने में, मस्जिद के नीचे मंदिर दिखाने में। ऐसी ही चुस्ती, फुर्ती, क्यों नहीं दिखाती सरकार गिरनार जी की पांचवी टोंक के खुलासे के लिये। वहां के चरण और मूर्ति की कार्बन डेटिंग हो, जिससे पता चले कि चरण किस के हैं।
चैनल महालक्ष्मी को महाराष्ट्र के पुणे के दत्तात्रेय मंदिर के चरणों की यह फोटो भेजी है, जो स्पष्ट करते है कि दत्तात्रेय के चरणों को ऐसे बनाया जाता है, जबकि दिगबंर जैन से तीर्थंकर चरण युगल बिल्कुल इसके उलट होते हैं, जिसमें गिरनार के उर्जयन्त शिखर से चरणों की पहचान आसानी से हो सकती है। पर यहां पर ना पुरात्तव विभाग सुनता है, न प्रशासन जगता है।
ध्यान रहे लंदन के प्रीवि काऊसिंल कोर्ट न्यायलय (जो भारत के वर्तमान सुप्रीम कोर्ट की तरह था) में दिगबंर जैन समाज के बैरिस्टर चम्पतराय जैन जी ने प्रमाणित किया था, कि जैन तीर्थंकरों के चरण चिह्न की पहचान ऐसी होती है। इसी आधार पर हमारी जीत हुई थी। आज इस ओर क्यों सरकार प्रशासन या पुरातत्व विभाग क्यों ध्यान नहीं दे रहा है?
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