16 मार्च : 18वें तीर्थंकर श्री अरनाथ जी का गर्भकल्याणक

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16वें तीर्थंकर श्री शांतिनाथ, फिर 17वें तीर्थंकर श्री कुंथुनाथ के एक हजार करोड़ वर्ष कम चौथाई पल्य बीत जाने के बाद 18वें तीर्थंकर श्री अरनाथ जी का भी स्वर्ग से इस धरा पर आना हुआ, उसी हस्तिनापुर नगरी में महाराजा श्री सुदर्शन जी की महारानी श्रीमती मित्र सेना के गर्भ में, दिन था फाल्गुन शुक्ल तृतीया, जो है 16 मार्च को। गर्भ में आने से 6 माह पहले ही सौधर्मेन्द्र ने कुबेर को आज्ञा दे दी थी कि राजमहल पर रत्न बरसाना शुरू करो, क्योंकि अपराजित स्वर्ग के देव वहां 15 माह बाद जन्म लेने वाले हैं और तब तक सुबह-दोपहर-शाम 3.5-3.5 करोड़ रत्नों की वर्षा करता रहा धन कुबेर।

आपकी आयु 84 हजार वर्ष थी और 16-17वें तीर्थंकर की तरह आपके भी चार कल्याणक – गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान हस्तिनापुर की पावन धरा पर हुये। बोलिए तीर्थंकर श्री अरनाथ जी की जय।