एक बहुत बड़ा कुआँ – जहाँ दिगम्बर जैन मूर्ति खण्डित हो जाती तो उन्हें इस कुँए में विसर्जित किया जाता, मन्दिर में लगभग एक हजार साल पुरानी मुर्तिया

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11 अगस्त 2022/ श्रावण शुक्ल चतुर्दशी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/
गंगापोल, जयपुर तीनो नसियां में बजो की नसियां, स्थित प्राचीन एवम आकर्षक वेदी में प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ जी की मनोहारी प्रतिमा है।
उल्लेखनीय हैं कि यहाँ पर तीन नसियां है क्रमशः संघी जी की नसियां, बजो की नसियां और दीवान जी की नसियां इन तीनों नसियां में अतिप्राचीन एवम मनोहारी दिगम्बर जैन मन्दिर हैं मन्दिर में लगभग एक हजार साल पुरानी मुर्तिया है इनकी भव्यता एवम कलात्मकता देखते ही बनती है।

बज परिवार की (बजो की नसियां में) पूरे मन्दिर में दीवारों और छत पर शुद्ध स्वर्ण का
कलात्मक काम हो रहा है। उल्लेखनीय हैं यह नसियां हमारे सगे मौसाजी स्व. श्री कपूर चन्द जी बज पुत्र स्व. श्री बालमुकुंद जी बज की निजी नसियां है।
पूरे जयपुर में तीन मन्दिरो में ही सोने का काम हो रहा है यह मन्दिर हैं

1 बजो की नसियां,
2 बड़ा मन्दिर, दडा घी वालों का रास्ता, जौहरी बाजार
3 राणा जी की नसियां (मन्दिर), चूलगिरी के नीचे, आगरा रोड़, जयपुर।
एक विशेष बात
दीवान जी की नसियां में एक बहुत बड़ा कुआँ हैं जिसे झालरा के नाम से जानते हैं।
जब कभी दिगम्बर जैन मूर्ति खण्डित हो जाती थी तो उन्हें इस झालरे (कुँए) में विसर्जित किया जाता था।

राजेन्द्र बैद, जयपुर