तरसकर रह जाना पड़ा
दिवाली के दिन से ही और उसके एक दिन बाद तक TV के लगभग सभी प्रमुख न्यूज चैनलों ने मंदिरों की ,गुरुद्वारों की दिवाली का भरपूर कवरेज किया है …एक ही सीन बार बार भी दिखा रहे हैं कि कहाँ कैसे दिवाली मनाई गई , दिवाली की पौराणिक कहानियां भी सुना रहे हैं …..
लेकिन भूल से भी किसी राष्ट्रीय न्यूज चैनल ने यह नहीं बताया कि आज के दिन भगवान महावीर का निर्वाण हुआ था और उनके शिष्य गौतम गणधर को केवलज्ञान की प्राप्ति हुई थी ।और इसी उपलक्ष्य में जैन समाज दीपावली मनाती है।किसी ने एक बार भी यह नहीं बताया कि आज ही के दिन से भारत के सबसे प्राचीन संवत् वीर निर्वाण संवत् की शुरुआत हुई थी । ये सभी ऐतिहासिक तथ्य हैं,किन्तु मीडिया और चैनलों ने इस विषय में एक भी शब्द नहीं बोला और न बताया।
जब कि जैनों के द्वारा सोशल मीडिया पर इससे संबंधित लाखों पोस्टें की जा रही हैं , पत्र पत्रिकाओं और समाचार पत्रों में लेख लिखे जा रहे हैं ।
क्या मीडिया इतना अंधा है कि उसे मात्र कुछ सीमित चीजें ही दिखाई देतीं हैं ? या जानबूझकर ऐसा किया जाता है ?
बहुत सारे जैन बंधु भी इन मीडिया हाउस में काम करते हैं , उन्हें भी स्वयं नहीं पता या कुछ कहने में शर्माते हैं ? हमने तो अनेक चैनल बदल बदल कर देखे सुने, किन्तु तरस कर रह गए, इस विषय में एक शब्द भी सुनने देखने में नहीं आया।
किन्हीं बड़े मंत्री नेताओं ने भी इस संबंधी कोई ट्वीट नहीं किया ।
जैन संस्कृति का इतिहास , जो कि भारत का एक प्रामाणिक इतिहास है …बताने में भी संकोच क्यों करते हैं ?
जैन मीडिया के भी कई पत्रकार, संपादक संगठन हैं,वे इस तरह के राष्ट्रीय मीडिया के साथ समय रहते संपर्क क्यों नहीं करते ? अपने घर और अपनी समाज में ही हल्ला गुल्ला करने और आत्म प्रशंसा बटोरने मात्र से ही क्या फायदा? जब तक कि हमारा बड़ा समाचार भी राष्ट्रीय स्तर पर एक कोना पाने के लिए तरस जाए। जबकि अन्य किसी की एक बिंदु को भी सिंधु बताकर दिखाया और छापा जाता है। हम अभी भी इतने पिछड़े या कमजोर क्यों हैं ? हमारे साथ ही हमेशा ऐसा क्यों हो रहा है ? इस पर हम सभी को चिंतन और चिंता करना अवश्य चाहिए।
डॉ मुन्नी पुष्पा जैन,वाराणसी, 9450179254