संसार असार है जीवन नश्वर है
जीवन है पानी की बूंद कब मिट जावे
दिन रात मेरे स्वामी में भावना यह भावु, देहांत के समय मे तुमको न भूल जावू
मरण समय गुरु पाद मूल हो
संत समूह रहे
साधु जनों की संगति चहु
व्रत संयम पालू
पंडित पंडित मरण हो ऐसा अवसर दो
इन सार गर्भित भावनाओ को बिरले ही भव्य जीव अपने जीवन मे चरितार्थ करते है
शमनेवाडी बेलगांव कर्नाटक की श्रीमती सुशीला जी ने 6 वर्ष पूर्व 12 जून 2015 को 12 वर्ष की नियम सल्लेखना गणनी आर्यिका श्री सरस्वती मति माताजी से कोथली में श्री शांति गिरी पर ली थी
वर्ष 2021 वात्सल्य वारिधि आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी का चातुर्मास कोथली में हुआ आचार्य श्री संघ समक्ष आर्यिका दीक्षा हेतु श्रीफल अर्पित कर 29 जुलाई 2021 की 7 प्रतिमा धारी सुशीला जी का नूतन नामकरण आर्यिका श्री दुर्लभ मति माताजी किया गया दीक्षा संस्कार आर्यिका श्री सरस्वती मति माताजी ने तथा मंत्रोचार आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी ने किए 19 सितम्बर पर्युषण पर्व के अंतिम दिन अनंत चतुर्दशी का उपवास लिया अगले दिन भी आहार पर नही गए
21 सितम्बर 2021 को समस्त संघ समक्ष प्रातः संस्तारा रोहण स्वीकार कर चारो प्रकार के अन्न जल आदि का आजीवन त्याग किया प्रतिदिन तन्मयता एकाग्रता पूर्वक गुरुजनों का सम्बोधन सुनना श्री जी के अभिषेक देखते थे 19 तथा 20 के निरंतर 2 उपवास सहित यम सल्लेखना के 20 उपवास सहित 22 वे उपवास दिवस शांत परिणामो से निराकुलता सहित 10 अक्टूम्बर को शाम 4.55 को उत्कृष्ट समाधिमरण निवापका चार्य आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी एवम संघ मुनि श्री महिमा सागर जी एवम दीक्षा प्रदाता गणनी आर्यिका श्री सरस्वती मति माताजी संघ सानिध्य में आचार्य श्री श्री मुख से अरिहंत सिद्ध सुनते हुए हुआ
शाम को पूर्ण विधि विधान से विमान यात्रा पूर्व नियत स्थल पर ले गए जहाँ पर अंतिम संस्कार किये गए
राजेश पंचोलिया इंदौर