आत्मा- शरीर का भेद करते बीत गया यम सल्लेखना का 8वां दिन -92 वर्षीय क्षपकोत्तमा पूज्य आर्यिका श्री दुर्लभ मति माताजी

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श्री शांति वीर शिवधर्माजीत वर्द्धमान सुर्रिभ्यो नमः
तेरी छत्र छाया भगवन मेरे सिर पर हो मेरा अंतिम मरण समाधि तेरे दर पर हो

आज क्षपकोत्तमा पूज्य आर्यिका श्री दुर्लभ मति जी का
8 वा उपवास
8 का अंक हमे संदेश देता है
8 कर्मो को कैसे नष्ट करे
8 श्रावक के मूलगुण
8 पूजा के द्रव्य
8 सम्यक दर्शन के अंग
8 सम्यक ज्ञान के अंग
8 मद से दूर रहे
8 प्रातिहार्य
8 मंगल द्रव्य
8 शरीर के अंग
8 केवली
8 ऋद्धि
8 भूमि 7 नरक 1सिद्ध शिला

92 वर्षीय क्षपकोत्तमा पूज्य आर्यिका श्री दुर्लभ मति माताजी
जिन्होंने दुर्लभ मानव पर्याय का सदुपयोग कर नारी पर्याय को सर्वोच्च साधिका पद को धारण कर चारो प्रकार के आहार का त्याग कर दिनांक 21 सितम्बर 2021 को वात्सल्य वारिधि पंचम पट्टा धीश आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी निवापका चार्य
के निर्देशन में संस्ता रोहण 21 सितम्बर को कोथली में किया

कोथली आचार्य श्री देश भूषण जी की जन्मभूमि तप भूमि कर्म भूमि तथा अनेक पूर्वाचार्यो की चातुर्मास स्थली है यहाँ का कण कण पवित्र है
सच मे बहुत सौभाग्य शाली है। जिन्हें क्षपक साधु की तन्मयता एकाग्रता गुरुभक्ति देखने को तथा आचार्य श्री मुनिराजों गणनी माताजी तथा अन्य साधुओ का सम्बोधन वात्सल्य भी सहज मिल रहा है
णमोकार मंत्र की माला फेर कर क्षपकोत्तमा आर्यिका माताजी के अद्युत साहस की अनुमोदना कर सकते है
राजेश पंचोलिया इंदौर