प्राकृतिक नीरवता के बीच प्राकृतिक सौंदर्य – लघु सम्मेदशिखर जी- मुनि श्री की साधना-स्थली – जहां आज भी किसान खेती नहीं करते हैं

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21 जुलाई 2022/ श्रावण कृष्ण अष्टमी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/
एक ऐसे सिद्धक्षेत्र की है, जिसे लघु सम्मेदशिखर जी नाम से भी जाना जाता है,, यहां से गुरुदत्तादि मुनिश्वरों के अलावा 8.5 करोड़ मुनियों ने निर्वाण प्राप्त किया था ।

श्री दिगंबर जैन सिद्ध क्षेत्र द्रोणगिरी (लघु सम्मेद शिखर), द्रोणगिरी, मध्य प्रदेश (सिद्ध क्षेत्र)

इस क्षेत्र का कण-कण अति पवित्र है। यहां से कुछ दूरी पर एक खेत में मुनि श्री की साधना-स्थली स्थित है; जहां आज भी किसान खेती नहीं करते हैं। कहते हैं यहीं मुनिराज पर उपसर्ग आया था। पर्वत पर स्थित गुफा गुरुदत्त मुनिराज की तपोभूमि थी। इस गुफा में कुछ दूर तक यात्री आसानी से प्रवेश कर जाते हैं।

प्राकृत निर्वाणकांड में निम्नांकित पद्य इस क्षेत्र को सिद्ध-क्षेत्र सिद्ध करता है।

“फलहोड़ी बड़गामे पश्चिम भायम्मि द्रोणगिरि सिहरे।
गुरुदत्तादि मुणिन्दा णिव्वाण गया णमो तेसिं।।

निर्वाणकांड और निर्वाण भक्ति के अलावा इस तीर्थ-क्षेत्र का उल्लेख भगवती आराधना, आराधना सार, आराधना कथा कोष आदि ग्रंथों में भी मिलता है। भगवती आराधना में आचार्य शिवकोटि लिखते हैं

“हत्यिणपुर गुरुदत्तो संविलिथालीव दोणिमत्तम्मि।
उत्झन्तो अधिमासिय पडिपण्णो उत्तम अळं।”

अर्थात् हस्तिनापुर के निवासी गुरुदत्त मुनिराज द्रोणगिरि पर्वत के ऊपर संभलि थाली के समान जलते हुए उत्तम अर्थ को प्राप्त हुए।

सिद्ध क्षेत्र द्रोणागिरि सागर-छतरपुर राजमार्ग पर स्थित छतरपुर जिले की बड़ामलहरा तहसील मुख्यालय से सिद्धक्षेत्र मात्र सात किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह क्षेत्र बड़ामलहरा-घुवारा पक्के सड़क मार्ग पर स्थित है।

यह टीकमगढ़-शाहगढ़ मार्ग पर घुवारा तहसील मुख्यालय से मात्र 22 किलोमीटर, पपौरा जी से 56 किलोमीटर, खजुराहो से 104 किलोमीटर, नैनागिरि से 88 किलोमीटर व कुंडलपुर से 147 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

इस सिद्धक्षेत्र पर पर्वत की तलहटी में एक विशाल चौबीसी एवं दो जैन मंदिर स्थित हैं। इनमें चौबीसी नवनिर्मित है। पहाड़ी पर लगभग 30 जिनालय बने हैं। यह सिद्धक्षेत्र दशार्ण (घसान) की सहायक नदियों के बीच सुरम्य पहाड़ी पर स्थित है। इस पहाड़ी पर चारों ओर प्राकृतिक नीरवता के बीच प्राकृतिक सौंदर्य बिखरा पड़ा है। इस क्षेत्र के एक ओर श्यामली (श्यामरी) नदी बहती है तो दूसरी ओर कलकल नाद करती काठन (चन्द्रभागा) नदी बहती है।

क्षेत्र का महत्व

क्षेत्र पर मन्दिरों की संख्या : गुफायें – 3, चरण पादुकाएँ – 5, तलहटी में 4 मंदिर

क्षेत्र पर पहाड़ : है (पर्वतराज पर 32 मंदिर, 255 सीढ़ियाँ हैं)

वार्षिक मेले : माघ शुक्ल त्रयोदशी से पूर्णिमा तक। रथ यात्रा माघ शुक्ला पूर्णिमा को। कार्तिक कृष्ण अमावस्या को श्री महावीर स्वामी भगवान का निर्वाण महोत्सव।।

समीपवर्ती तीर्थक्षेत्र – अहारजी – 58 कि.मी., पपौराजी – 58 कि.मी., नैनागिरि – 88 कि.मी., खजुराहो – 104 कि.मी., डेरा पहाड़ी – 57 कि.मी., सोनागिरि – 225 कि.मी. कुंडलपुर – 147 कि.मी., देवगढ़ – 152 कि.मी.

क्षेत्र पर उपलब्ध सुविधाएँ

आवास – कमरे (अटैच बाथरूम) – 30, कमरे (बिना बाथरूम) – 83 हाल – 3 (यात्री क्षमता – 500), गेस्ट हाउस – 1

यात्री ठहराने की कुल क्षमता – 1000. संत निवास – 1

भोजनशाला – स:शुल्क, नियमित

आवागमन के साधन

रेल्वे स्टेशन – हरपालपुर एवं सागर – 117 कि.मी., झाँसी -175 कि.मी., ललितपुर – 120 कि.मी., दमोह-103 कि.मी., हवाई अड्डा – खजुराहो – 107 कि.मी.

बस स्टेण्ड – बड़ा मलहरा-7 कि.मी., छतरपुर-57 कि.मी., टीकमगढ़- 60 कि.मी.

निकटतम प्रमुख नगर – बड़ा मलहरा — 7 कि.मी., छतरपुर – 57 कि.मी., धुवारा से 23 कि.मी. पूर्व की ओर

एक बार इस पावन तीर्थ के दर्शन अवश्य करें ।

पहुँचने का सरलतम मार्ग – बड़ा मलहरा से द्रोणगिरि क्षेत्र सड़क मार्ग राष्ट्रीय मार्ग द्वारा 7 किमी , बड़ा मलहरा से प्रति 30 मिनिट में वाहन उपलब्ध