किस समय करे इस बार दिवाली पूजन सुबह और शाम जानिए -2548वां तीर्थंकर श्री महावीर का निर्वाण कल्याणक महोत्सव

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दीपावली पूजन मुहूर्त श्री महावीर निर्वाण लाडू प्रात: 7.42 से 8.01 तक
सरस्वती पूजन सायं 6.08 से 7.00 तक

सान्ध्य महालक्ष्मी / 29 अक्टूबर 2021
तीर्थंकर श्री महावीर का कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी की रात्रि के अवसान और अमावस के प्रात:काल में निर्वाण प्राप्त हुआ था। तिलोयण्णत्ती, जयधवल टीका, उत्तर पुराण, पुराण सार संग्रह, वर्द्धमान चारित्र, दश भक्ति, कन्नड़ वर्द्धमान पुराण आदि अनेक ग्रन्थों में इसका स्पष्ट उल्लेख है।
इस वर्ष 04 नवम्बर 2021 को प्रात: 6.03 से 26.44 तक अमावस रहेगी। स्वाति नक्षत्र 7.42 से आरम्भ होकर रात्रि 29.07 तक रहेगा। स्वाति नक्षत्र और गुरुवार का योग होने से स्थिर योग भी बना है, जो कि अत्यंत श्रेष्ठ है। सुबह से प्रात: 11.09 तक प्रीति योग, तदुपरान्त आयुष्मान योग रहेगा।

प्रात: निर्वाण लाडू का शुभ समय
तीर्थंकर श्री महावीर स्वामी को निर्वाण अमावस तथा स्वाति नक्षत्र में हुआ था। 04 नवम्बर 2021 को प्रात: 6.39 से 8.01 तक शुभ का चौघड़िया रहेगा। इसके बाद रोग व उद्वेग चौघड़िया होने से शुभ नहीं माना जाता। इसलिये प्रात: 7.42 से 8.01 तक अमावस, साथ ही दिन गुरुवार तथा स्वाति नक्षत्र से स्थिर योग व प्रीति योग होने से तीर्थंकर श्री महावीर स्वामी का निर्वाण लाडू का सर्वोत्तम समय 7.42 से 8.01 तक रहेगा। इसके बाद उत्तम चौघड़िया 10.44 के उपरान्त ही मिलेगा।
7.42 से 8.01 के बीच मन्दिरजी में सामूहिक रूप से निर्वाण लाडू चढ़ाना भारत व जैन समाज के लिए सुख-समृद्धि देने वाला सिद्ध होगा। सभी पर सुख-शांति, समृद्धि, मान-सम्मान, लाभोन्नति एवं श्रीजी की कृपा बनी रहेगी। ध्यान रहे, श्रेष्ठ मुहूर्त में किया गया कार्य, पूर्ण फलदायी व कल्याणकारी होता है।

सायंकालीन पूजन मुहूर्त
सायंकाल प्रदोष बेला में भगवान गौतम स्वामी को केवलज्ञान प्राप्ति का समय यानि प्रदोष समय पूजन के लिये शुभ फलदायी होता है। यह समय प्रदोष काल 17.30 से 20.08 तक, वृष स्थिर लग्न 18.06 से 20.02 तक, अमृत चौघड़िया 17.30 से 19.30 तक, चर चौघड़िया 19.10 से 20.49 तक नामानुसार श्रेष्ठ है।

सभी समय को समावेश करने यानि अमावस, स्वाति नक्षत्र, स्थिर योग, प्रदोष काल, वृष स्थिर लग्न, अमृत चौघड़िया से सिद्ध समय सायं 6.08 से 7 बजे तक पूजन के लिये उत्तम समय है। इससे श्रीजी की कृपा, लाभोन्नति, समृद्धि, मान-सम्मान, हर्षोल्लास पूरे वर्ष बना रहेगा।

इस वर्ष महानिशीथ काल 23.39 से 24.31 तक है। इस समय में काल का चौघड़िया 22.27 से 24.06 तक, फिर लाभ का चौघड़िया 24.06 से 26.44 तक होने से सिद्ध समय 24.06 से 24.31 तक समय संकल्प लें, तो पूजन कार्य उत्तम रहेगा।
श्रद्धा, भक्ति से पूजन करने से वर्षभर लाभोन्नति, समृद्धि, सुख-शान्ति बनी रहेगी। घर व परिवार में हर्षोल्लास का वातावरण रहे, सान्ध्य महालक्ष्मी व चैनल महालक्ष्मी यही भावना भाता है।