दिगम्बर संतों के प्रति अपशब्द कहने वाले कथित जैनों पर हो कार्यवाही: ॰ संभोग, व्याभिचार, मुंह काला, नंगे, नशा आदि अपामनजनक शब्दों के साथ गंदी टिप्पणियां

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॰ कुन्द कुन्द आचार्य, आचार्य विद्यासागर, आचार्य सुनील सागरजी, मुनि सुधा सागरजी, आचार्य विहर्ष सागरजी, आचार्य सन्मति सागरजी आदि अनेक दिगम्बर संतों पर बेहद शर्मसार टिप्पणियां

॰ हो त्वरित कठोर कार्यवाही, जैन ही बने संतों के दुश्मन
25 जून 2024// आषाढ़ कृष्ण तृतीया //चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/शरद जैन /
केशव जैन, मोकशेश शाह, बापजी, कल्पतरू आदि द्वारा सोशल मीडिया पर आज हमारे पूजनीय दिगम्बर संतों के प्रति शर्मसार अपमानजनक टिप्पणियां रुकने का नाम नहीं ले रही हैं। कारण भी है कि जैन समाज में उनके विरुद्ध कोई ठोस कार्रवाही नहीं करता। अनेक जैनों ने ही अपने ट्विटर एकाउंट से कुंद कुंद आचार्य, आचार्य विद्यासागर, आचार्य सन्मति सागर, मुनि पुंगव श्री सुधा सागर, आचार्य सुनील सागरजी, आचार्य विहर्ष सागरजी सहित अनेक दिगम्बर संतों के प्रति बेहद शर्मसार टिप्पणियां उनके दिगम्बर स्वरूप को लेकर की है। अफसोस तो यह है कि जैन ही बन रहे दिगम्बर संतों के दुश्मन। क्यों नहीं उनके हाथ कांप गये, जुबान कट गई। इस बारे में जैन धर्म संरक्षण महासंघ ने आवश्यक पुलिस कार्रवाही मजबूरन तब शुरू की, जब उन्होंने ऐसे गंदे ट्वीट न हटाये और न ही जैन संतों व समाज से क्षमा मांगी।

2023 के चातुर्मास समापन के बाद जब मुनि पुंगव ताजमहल की ओर विहार करते गये, तो वहां खींची गई फोटो पर टिप्पणी की – ताजमहल पर नग्नता, इसमें पहले केशव जैन ने फोटो पर टिप्पणी की – अफसोसजनक दिगम्बर परम्परा, 20वीं सदी के प्रथम मुनि शांति सागर महाराज के बाद बने मुनिराज में से पहली बार किसी मुनिराज ने कल लक्ष्मण रेखा पार कर दी, … त्यागी व्रती का नहीं, हनीमून और स्त्री प्रेम के रागी और मौजमस्ती करने वालों को समर्पित था। उसकी शर्मसार पोस्ट को रिपोस्ट करते बापजी (असली नाम?) ने और गंदी टिप्पणी की – ताजमहल पर नग्नता का प्रचार, ये क्या हो गया है आजकल के लोगों को।

– कल्पतरू ने तो मुनि सुधा सागर जी के लिए सीमा ही लांघ दी – दिगम्बर साधु होकर मुमताज की मजार पर गये। मकबरे की प्रशंसा की, मनोवैज्ञानिक तीर्थ की उपमा दी… ताजमहल को दिगम्बर तीर्थ घोषित ना कर दें… फिर संभोगी (तवायफ) मुमताज को राष्ट्रमाता से नवाजा… कल उसको गणिका .. प्रमुखादि माताजी से ना नवाज दें, तो अच्छा है। पति-पत्नी को संभोग करके संभोग को अमर बनाने की प्रेरणा दी।

– बापजी ने भी मर्यादा की सभी सीमायें लांघ दी – बहुत बड़ा घटस्फोट!! दिगम्बर सुनील सागर ने, वो आर्यिका के साथ संभोग करके इनको जन्म दिया…और सान्ध्य महालक्ष्मी से कहा – इस बात की सत्यता कितनी.. क्या दिगम्बर सुनील सागर ने किया आर्यिका के साथ संभोग?…. ऐसी शर्मसार, बेहुदा अपामनजनक टिप्पणियों पर हर धर्म प्रेमी चुप कैसे बैठा है?

– कल्पतरू ने समाधि को भी शर्मसार कर दिया – समाधि के लिये कपड़े उतारे और शरीर को लकड़ी के जैसा सुखा देना जरूरी नहीं है। लिंग दर्शन से समाधि नहीं होती… थोड़ा समझो।

– बापजी ने आचार्य श्री विद्यासागरजी को भी नहीं छोड़ा – विद्यासागर ने बोट ट्रिप की, इसलिये अभी हर नंगा दिगम्बरी साल में 2 बार बोट ट्रिप करता है… कल उक्त गुरु व्याभिचार करे, तो ये लोग भी व्याभिचार को परम तत्व मानेंगे।

– कल्पतरू नाम से ट्विटर से आचार्य श्री सुनील सागरजी के किशनगढ़ प्रवेश पर पाद प्रक्षालन फोटो पर टिप्पणी की, लगता है इन बाबाजी को अपने पैर धुलवाना बहुत पसंद है। फिर इस पर बापजी ने टिप्पणी की – दिगम्बर लोगों में नग्न रहकर खुद को साधक बोलने वालों में स्त्री स्पर्श आम बता है।

– बापजी की एक और टिप्पणी – आचार्य श्री सुनील सागरजी … दिगम्बर आर्यिका के लिए खतरे की निशानी।

– फिर एक अन्य शर्मसार पोस्ट बालाजी ने की – बहन, बेटी और समाज के बीच रहते हुए नग्न रहने वाले और मात्र नग्नता का प्रचार करने वालों पर रोक लगनी चाहिए। ऐसे नग्न रहने वालों का स्थान समाज के बीच हो ही नहीं सकता।

– बापजी की एक और बेहूदा टिप्पणी – जंगल से आये कुछ नंगों ने मंदबुद्धि लोगों को पकड़ा और जैन धर्मपर आक्रमण करके खुद को जैन धर्म का अंग बताने लगे, फिर मूल जैन के साथ लिंगवाद करके खुद को दिगम्बर पंथ का बताया।

– बापजी ने एक और बेहूदा शर्मसार टिप्पी की – समाज में खुले आम नंगे घूमकर तुमने कौन-सा तीर मार लिया। खुलेआम नंगे घूमने से मोक्ष मिल गया क्या? मोक्ष मार्ग में लज्जा शर्म नाम की कोई चीज होती है या नहीं? बहन-बेटी के सामने लिंग दिखाते घूमते हो, शर्म करो।

– बापजी ने एक और डूब मरने वाली पोस्ट की – जानवर भी कपड़े, पहन नहीं पाते, इसलिए नंगे रहते हैं, लेकिन ये इंसान होकर भी नंगा रहना चाहते हैं। गांव के बीच इनका स्थान नहीं हो सकता।
– कल्पतरू के एक ट्वीट ने तो कुंद कुंद आदि पूर्वाचार्यों पर भी बेहद शर्मसार टिप्पणी की – बाबाजी नशा करके बैठे हैं… भगवान श्री नेमिनाथ प्रभु की कृपा से कुंद और कुम्मु जैसे कइयों को यहां से अपना मुंह काला करवाकर खाली हाथ जाना पड़ा।

– बापजी के एक ट्वीट में – दिगम्बर नग्नवेशी एक बार के आहार में पांच बार जरूर जमीन पर गिराते हैं।

– एक और जैन ‘मोकशेश शाह’ ने हरिन्दर बावेजा की 15 जुलाई 1995 की एक पोस्ट को जिसमें और बेहूदी टिप्पणी, बड़ेगांव वाले आचार्य श्री सन्मति सागरजी पर सोनागिर धर्मसबा में बलात्कार तक के आरोप लगाये थे, उसके साथ टिप्पणी दी – दीग्गु नंगों ने अब बिचारे गूंगे जानवरों को भी नहीं छोड़ा… काम वासना में अंधा नागा बाबा जानवर के साथ संभोग भोगने का प्रयास करते हुए… ऐसी टिप्पणी और धर्मप्रिय समाज की चुप्पी हैरानगी है।

– कल्तपरु ने आचार्य विहर्षसागरजी पर बेहुदा गंदी टिप्पणी की – तेरे नंगों के कांड की लिस्ट बहुत लंबी है, पढ़कर शैतान भी शर्मा जाएगा… गुलदस्ते की आड़ में, ब्रह्मचर्य जाये भाड़ में…।
कई टिप्पणियों को लिमिट कर दिया है, जिससे कुछ ही लोगों में उनको पढ़कर उनका हास परिहास करो, उनको शर्मसार करो।

श्वेताम्बर- दिगम्बर के बीच विवाद बढ़ाते, गंदी पोस्ट करने वालों का हर जैन द्वारा, संतों द्वारा बड़ा विरोध के साथ संतों के प्रति अपामनजनक टिप्पणी के लिए कड़ी कार्यवाही करनी चाहिए।

ऐसी और भी अनेक बेहुदी शर्मसार टिप्पणियां और समाज में कोई विरोध की एक आवाज न होना, क्या दर्शा रहा है, अपनी इज्जतों की मूंछ मरोड़ने वाले अपने गुरुओं के प्रति – कुंद कुंद आचार्य, आचार्य श्री विद्यासागरजी, आचार्य श्री सन्मति सागरजी, आचार्य श्री सुनील सागरजी, आचार्य श्री विहर्षसागरजी, मुनि पुंगव श्री सुधा सागरजी सहित सभी दिगम्बर संतों के प्रति संभोग, कामवासना, नशा, व्याभिचार, मुंह काला आदि गंदी बातों से जोड़कर दिगम्बर साधु ही नहीं, पूरे जैन समाज ही नहीं, पूरे धर्मप्रेमी भारत के लिये एक कलंक है, और ऐसे में आपकी चुप्पी कायर, डरपोक, कमजोर समाज का संकेत कर रहा है।

इतना शर्मसार हो गया दिगम्बर समाज, इसकी सैकड़ों कमेटियां, हजारों विद्वत जन, नेता और कोई आवाज न होना, क्या कहें, अगर अपनी सीमा का उल्लंघन करके कहें तो चुल्लू भर पानी में डूब मरने वाली बात है, चूड़ियां पहन कर घरों में बैठने के लायक नहीं, अपने को भक्त तो क्या, कमबख्त कहने के लायक नहीं।

सान्ध्य महालक्ष्मी टिप्पणी : शर्मसार, अपमानजनक टिप्पणियों के बावजूद पूरे समाज को मानो सांप सूंघ गया। कायर-कमजोर बन गये। क्या अपेक्षा कर सकते हैं, कि ये चल-अचल तीर्थों की सुरक्षा कर पायेंगे। अपने को गुरुभक्त कहने वालों के लिये मात्र तमाचा नहीं, दिगम्बरत्व को सरे बाजार नंगा करने से भी ज्यादा वीभत्स है। अब भी अगर चुप रहते हैं, तो आपको धर्मप्रेमी नहीं, मलेच्छवासी कहना, या तिर्यंच कहना भी, उनका अपमान करना होगा। आपस में ही दिगम्बर-श्वेताम्बर भाइयों को लड़ाकर, श्रेष्ठतम गुरु भगवंतों का अपमान कर, जैन धर्म को ही खत्म करने की यह एक गंदी साजिश है और ऐसों को बेनकाब करना जरूरी ही नहीं, अतिआवश्यक है।