एक स्वनामधन्य विद्वान कहते हैं कि आचार्य कुन्दकुन्द एवं उनके द्वारा रचित परमागम के टीकाकार आचार्य दिगम्बर जैन साधु नहीं थे, यह अपने समर्थन में अनेक वर्तमान दिगम्बर साधुओं को बताते हैं.
एक स्वनामधन्य विद्वान कहते थे कि पद्मपुराण के रचयिता आचार्य रविषेण एवं हरिवंश पुराण के रचयिता आचार्य जिनसेन तथा उनका अनुशरण करने वाले आचार्य दिगम्बर जैन आचार्य नहीं थे, इनके समर्थन में तो विद्वानों और साधुओं का एक वर्ग खुलकर सामने ही आया है.
कछ दिवंगत विद्वान भगवती आराधना रचयिता आचार्य शिवकोटि एवं मूलाचार रचयिता आचार्य वट्टकेर को श्वेताम्बर आचार्य मानते रहे और वर्तमान में भी इस तरह की मान्यता वाले विद्वान हैं.
अनेक विद्वान प्रतिष्ठा ग्रन्थों के रचयिता आचार्यों एवं विद्वानों को वैदिक मत प्रभावित सिद्ध करते रहते हैं और प्रतिष्ठा ग्रन्थों में वर्णित क्रियाओं का निषेध करते हैं.
कछ विद्वान लोग तिलोयपण्णति और त्रिलोकसार जैन ग्रन्थों एवं उनके रचयिता आचार्यों को श्वेताम्बर सिद्ध करने का प्रयास कर सकते हैं.
कल्याणमन्दिर स्तोत्र के रचयिता आचार्य कुमुदचंद्र, तत्वार्थसूत्र के रचयिता आचार्य उमास्वामी, भक्तामर स्तोत्र के रचयिता आचार्य मानतुंग, ऋषिमण्डल स्तोत्र रचयिता दोनों आचार्यों को तो श्वेताम्बर समाज श्वेताम्बर आचार्य कहती ही है.
भरतेश वैभव रचयिता पण्डित रत्नाकर जी, महाकवि रइधू और महाकवि पुष्पदंत जैसे महान विद्वानों को लेकर भी दिगम्बर जैन समाज के विद्वानों में मतभेद है.
हमारे कुछ विद्वान एवं विचारक तो भगवान ऋषभदेव को शंकर सिद्ध करने में ही लगे हुए हैं.
कछ विद्वान आचार्य जिनसेन स्वामी द्वारा रचित आदि पुराण में कहे गए सूत्रों का क्रियाओं का निषेध कर रहे हैं, यहां तक कि कुछ विशिष्ट साधु और विद्वान उनको प्रमाण मानते हुए भी आदि पुराण में प्रतिपादित सूत्रों का विरोध करते हैं.
पण्डित बनारसीदास जी, कानजी स्वामी तो जन्म से श्वेताम्बर जैन ही थे सम्भवतः श्रीमद् रायचंद जी भी जन्म से श्वेताम्बर जैन थे.
परथमानुयोग चरणानुयोग द्रव्यानुयोग एवं करणानुयोग, चारों अनुयोगों के रचयिता आचार्यों को यदि हम श्वेताम्बर आचार्य सिद्ध कर देंगे, तो दिगम्बर जैन धर्म का साहित्य हैं कहाँ❓
विचार अवश्य करें और आचार्य कुन्दकुन्द, आचार्य रविषेण, आचार्य जिनसेन, आचार्य शिवकोटि आचार्य वट्टकेर, आचार्य अमृतचंद, आचार्य जयसेन, आचार्य यतिवृषभ, आचार्य कुमुदचंद्र, आचार्य उमास्वामी, आचार्य जिनसेन, आचार्य गुणभद्र, आचार्य मानतुंग, आचार्य नेमिचन्द्र, भगवदेकसंधि, आचार्य इंद्रनन्दि, आचार्य सोमसेन, आचार्य नेमिचन्द्र सिद्धान्तदेव, आचार्य श्रुतसागर सूरि आदि *पूर्वाचार्यों को श्वेताम्बर आचार्य या वैदिक मत प्रभावित आचार्य कहने वाले ऐसे दुर्बुद्धि वक्ताओं का पुरज़ोर विरोध अवश्य करें, यह सम्पूर्ण दिगम्बर जैन धर्म एवं पुरातन आगम को नष्ट करने का बहुत बड़ा षड्यंत्र चल रहा है.
-सोशल मीडिया पर आई एक पोस्ट से
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