बस यही फर्क है, दिगंबर कमेटियों में और हमारे भाई यानी श्वेतांबर समाज की कमेटियों में

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पर्यूषण पर्व आ रहे हैं , पहले वह मनाते हैं ,फिर हम मनाते हैं । वह सरकार से सहयोग ले लेते हैं और गुजरात में 8 दिन के लिए बूचड़खाने बंद हो जाते हैं।

इसके लिए वे अपील करते हैं और सरकार मान जाती है।

पर दिगंबर समाज की कमेटियां, जिन्हें अपने ही से फुर्सत नहीं है, वह समाज की क्या सुध लेंगे और ऐसी घोषणाएं दिगंबर समाज के पर्युषण के लिए नहीं हो पाती। यह फर्क समाज में नहीं , हमारी कमेटियों में है।