28 जनवरी- 15वें तीर्थंकर श्री धर्मनाथ जी ज्ञानकल्याणक दिवस

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इस पखवाड़े का अंतिम ज्ञान कल्याणक, पखवाड़े के अंतिम दिन यानि
28 जनवरी को,15वें तीर्थंकर श्री धर्मनाथ जी को रत्नपुरी नगरी के सहेतुक वन में दधिपर्ण वृक्ष के नीचे अपराह्न काल में केवलज्ञान की प्राप्ति हुई। आपका केवलीकाल एक वर्ष कम 25 हजार वर्ष यानि 24,999 वर्ष रहा, आपके 43 गणधर थे।

केवलज्ञान होते ही तीर्थंकर श्री धर्मनाथ जी 5,000 धनुष ऊपर अंतरिक्ष में विराजमान हो जाते हैं।
5,000 धनुष यानि 20,000 हाथ, इसलिए समवशरण में भगवान तक पहुचंने की कुल 20,000 सीढियां होती हैं।
46 गुण युक्त तीर्थंकर अरिहंत परमात्मा के 4 गुण अनंत चतुष्टय आत्मा की पूर्ण शुद्ध पर्याय है।
धर्मचक्र प्रगट होता है जो समवशरण में गंधकुटी के नीचे पीठिका पर रहता है और भगवान के विहार के समय आगे आगे चलता है।
आकाश मार्ग से विहार के समय देवतागण भगवान के एक एक चरण कमल के नीचे 225 स्वर्ण कमल की रचना करते हैं 32 लाइनों में एक एक लाइन में 7-7 और 1 कमल चरण के ठीक नीचे देवगण जयजयकार का उच्चारण करते हैं।
दिव्यध्वनि सुनकर भव्य जीव सम्यकदर्शन को प्राप्त करते हैं, मुनिदीक्षा लेते हैं और मोक्ष को प्राप्त करते हैं।

Today is the Gyan Kalyanak Diwas of Tirthankar Dharmanath ji on Thursday, 28th January, happened in Kalyanak, Ratanpuri. On this day only the knowledge was received under the Saptachhad tree.
बोलिये 15वें तीर्थंकर श्री धर्मनाथ जी के ज्ञानकल्याणक की जय