जैनों ने #धर्मान्तरण का सख्त विरोध जताया तो #ईसाई_मशीनरी ने पलटी खाया , मीडिया ने जैनों को छोटा, बदलने वालो को बड़ा दिखाया

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इन दोनों समाचारों को देखें

21-10-2021 को बेलगाम में जैन युवा संगठन के धर्म परिवर्तन के खिलाफ ज्ञापन व् प्रदर्शन कर धर्मांतरण का सख्त विरोध जताया । अगले दिन 22-10-2021 को द हिंदू न्यूज में देखें रिपोर्ट, कोने में रिपोर्ट कितनी छोटी थी। वहीं दूसरी ओर जैनियों के विरोध के अगले दिन 22-10-2021 को ईसाइयों ने बेलगाम के उपायुक्त के पास जाकर जैनियों को झूठा ज्ञापन दिया.आप खुद ही देख लीजिए कितना बड़ा है. *क्रिश्चियन* कागज पर रिपोर्ट है। ये कैसा भेदभाव है, *ईसाइयों* ने बेलगावी में इतना विरोध नहीं किया है, लेकिन इतनी बड़ी रिपोर्ट के बावजूद जैनियों ने बड़ा विरोध किया है, देखिए रिपोर्ट कितनी छोटी है.

नोट – बेलगाम में जैनियों के धर्म परिवर्तन का विरोध करने के बाद अगले दिन ईसाइयों ने बेलगाम में जैनियों के खिलाफ एक पत्र दिया ।

जैनियों ईमानदारी से सोचो, जैनों के धर्मान्तरण के लिए कौन जिम्मेदार है

बेलगाम जिल्ला में 5 जैन पारिवारों का धर्मान्तरण.

कर्नाटक सरकार अल्पसंख्यक विभाग से जैन धर्म कों कैसे नियोजित तरीके से कमजोर किया गया है और इसाई समाज कों कैसे ताकतवार बनाया गया है यह देखिए!

9 साल में कर्नाटक सरकार से कितने पैसे दिए गये है।
2013-14- इसाईयों के लिए Rs.100 करोड़, जैनियों के लिए Rs.10 करोड़ भी नही दिए गये है।
2014-15 इसाईयों के लिए Rs.125 करोड़ , जैनियों के लिए Rs.12.5 करोड़ भी नहीं दिए गये है।
2015-16 – इसाईयों के लिए Rs.150 करोड़ , जैनियों के लिए Rs.15 करोड़ भी नहीं दिए गये है..
2016-17 – इसाईयों के लिए Rs.125 करोड़ , जैनियों के लिए Rs.12.5 करोड़ रुपए नहीं दिए गए।
2017-18 – इसाईयों के लिए Rs.175 करोड़, जैनियों के लिए Rs.17.5 करोड़ रुपए भी नहीं दिए गये है।
2018-19 – इसाईयों के लिए Rs.200 करोड़ , जैनियों के लिए Rs.20 करोड़ भी नहीं दिए गये है।
2019-20 – इसाईयों के लिए Rs.200 करोड़, जैनियों के लिए Rs.20 करोड़ भी नहीं दिया गया है।
2020-21 – इसाईयों के लिए -Rs. 200 करोड़ रुपए, जैनियों के लिए 20 करोड़ नहीं दिए गये है।
2021-22 – इसाईयों के लिए Rs.200 करोड़ भी नहीं दिया गया है। जैनों कों इस साल Rs.30 करोड़ मिलने की संभावना है।

9 साल में कर्नाटक सरकार ने कुल इसाईयों कों – Rs.1475 करोड़ दिए है। जैनियों को Rs.150 करोड़ रुपए से भी कम पैसा दिया दिया गया है।

राज्य में जैन और इसाईयों की सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक स्थिति को देखें।

जनसंख्या – जैन- 4.5 लाख, ईसाई- 12 लाख।
गरीबी – जैनियों में 50% से ज्यादा लोग गरीब हैं, जब कि ईसाई में सिर्फ 14% गरीब हैं।
मजदूरी करने वाले – जैनों में 62.5% लोग मजदूरी का काम करते हैं, राज्य से 4% अधिक मजदूरी से काम करने वाले है। ईसाई धर्म में हमसे कम मजदूरी से काम करने वाले हैं।
शिक्षा – जैन धर्म में 60% लड़के सरकारी स्कूल में पढ़े-लिखे हैं। सिर्फ 0.98% इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़े है, *इसाई शिक्षा के बारे में हमारे पास जानकारी नहीं है, लेकिन निश्चित रूप से ईसाई लड़के जैनियों की तुलना में बेहतर शिक्षित हैं।
सरकारी नौकरी – सरकारी नौकरियों में इसाईयों की 4% है, लेकिन जैनियों का सरकारी नौकरी में सिर्फ 0.5% ही भागीदारी है।
विधवाएं – 11% इसाई महिलाएं विधवा हैं, जैन धर्म में 12% महिलाएं विधवा हैं। बहुत दुखद बात!

सरकारी भेदभाव कैसे है देखिए –

1- इसाई चर्च जीर्णोद्धार के लिए Rs.50 लाख रु. (इसाई धर्म के लोगों ने एक चर्च के जीर्णोद्धार के लिए एक से अधिक बार सरकार से पैसे लिए है। जैन मंदिर का जीर्णोद्धार केलिए Rs.10 रामायण महाभारत होता है जैनियों के लिए जीर्णोद्धार का पैसे सरकार से लेने के लिए।
2- एक इसाई क़ब्रस्तान की दीवार के लिए Rs.40 लाख दिया जाता है।
3- इसाई अनाथालय को हर साल सरकार से पैसे दिया जाता है। पिछले वर्ष में Rs.8 करोड़ दिया गया है।

अच्छा नियोजन के साथ जैनों धर्मान्तरण

आप खुद सोचिएगा, सरकार को किसे ज्यादा पैसे देने चाहिए थे। आज के जैनों की इस परिस्थितियों के लिए जैन समाज ही जिम्मेदार है। इसाई धर्म के संगठन और उनके वरिष्ठ गण धर्म के प्रति निष्ठा से काम करते है। जैनों में इतनी निष्ठा बची है क्या धर्म के बारे में?
ईमानदारी से सोचिये

महेश जैन, श्री भारतवर्षीय दिगंबर जैन ग्लोबल महासभा