पूर्णमासी पौष मास की, अनुभूति हुई दिव्यभास की,चतुर्निकाय के सुरगण आये, उत्सव ज्ञान कल्याण मनाये

0
554

17 जनवरी दिन सोमवार तीर्थंकर धर्मनाथ जी का है ज्ञान कल्याणक, रतनपुरी में हुआ था | आज के ही दिन सप्तच्छद वृक्ष के नीचे केवलज्ञान की प्राप्ति हुई थी | साक्षात दर्शन करें इस क्षेत्र के, यहाँ का जिनालय (सरयू नदी के किनारे) देवों व्दारा निर्मित है

दो दिन रहे ध्यान में लीना, दिव्या दीप्ती धरे वस्त्र विहिना ।
तीसरे दिन हेतु आहार, पाटलीपुत्र का हुआ विहार ।।

अन्तराय बत्तीस निखार, धन्यसेन नृप दे आहार ।
मौन अवस्था रहती प्रभु की, कठिन तपस्या एक वर्ष की ।।

पूर्णमासी पौष मास की, अनुभूति हुई दिव्यभास की ।
चतुर्निकाय के सुरगण आये, उत्सव ज्ञान कल्याण मनाये ।।

समोशरण निर्माण कराये, अंतरिक्ष में प्रभु पधराये ।
निराक्षरी कल्याणी वाणी, कर्णपुटो से पीते प्राणी ।।