छोटी छोटी बातों का देव दर्शन में रखिये ध्यान, पुण्य अर्जन में आती ये काम : धर्मक्षेत्र में दोष से कैसे बचें

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ये दोष के कारण होते हैं धर्म में दोष
मंदिर जी में देवदर्शन कैसे करें
धर्मक्षेत्र में दोष से कैसे बचें

सावधानियां

1- मंदिर जी जाने के लिए रात में मनभावों से विचार भाव बनाकर सोंये की हमें सुबह जल्दी उठकर मंदिर जी जाना है और अभिषेक पूजन दर्शन करना है ।
ये सोचकर सोने से ही 3 दिन के उपवास का फल प्राप्त हो जाता है।

2 / जब हम मंदिर जी के लिए द्रव्य लेकर घर से निकलते हैं तो सबसे पहले चप्पल / जूते का त्याग करके और अच्छे से पैर धोकर ही मंदिर में प्रवेश करना चाहिए।और हो सके तो मोबाईल नहीं ले जाना चाहिए क्योंकि मोबाईल में धर्म से लेकर गृहस्थी की अच्छी बुरी फोटो और कई अन्य चीजें रहा करती हैं और इसके अनावश्यक बजने से अन्य साधर्मीजनों को परेशानी उत्पन्न होती है।मजबूरी वश ले जाना पड़े तो साईलेंट मोड पर रखें।

3-मंदिरजी में द्रव्य हाथ में लेते ही सारे विचारों को त्याग करके भगवान् का ध्यान और धर्म से सम्बंधित विचार ही करें।
राह में बाजारू वास्तुयें या खानपान की सामग्रियों पर नजर भी न डालें दोष का पात्र बनता है ।

4- मंदिरजी में अभिषेक करते या देखते समय भगवान की तरफ अपनी दृस्टि लगाये रखें जब तक पूरा अभिषेक पूर्ण न हो जाये ।
द्रव्य पूजन करते समय अपना ध्यान अपनी द्रव्य और भगवान से न हटने दें। कोई आ रहा हो या जा रहा हो अपनी दृस्टि बचाये रखें और भगवान का ध्यान करते ही पूजन करें।

5- द्रव्य चढाते समय 1 मुठ्ठी में लेकर 5 बार न चड़ायें बल्कि द्रव्य पात्र से 5 बार निकाल – निकाल कर ही चढायें,
ध्यान रखें की पूरी टेबल पर अगर द्रव्य चढ़ी हुई है तो आप अपनी द्रव्य को चढाने के लिए , किसी की चड़ी हुई द्रव्य को ना हटायें। हमें चड़ी द्रव्य को छूने का अधिकार भी नहीं है। अनन्त दोष का कारण बताया गया है।

6- मंदिरजी में गंधोधक लेने से पहले प्रासुक जल से हाथ धोकर गंधोधक हाथों से नही चम्मच से लें और वो भी थोड़ा सा पूरी अंगुलियां डालकर ना लें क्योंकि नाख़ून में मल होता है। गंधोदक स्पर्श करके अंगुलियां से ही लें और बाद में हाथ अवश्य धोना चाहिए ।

7- गंधोधक के पास प्रासुक जल न हो तो गंधोधक न लें।
एक पुण्य कमाने के साथ कई दोष लग जाते है । गंधोधक मात्र सिर के ऊपर ( ब्रमांड ) में ही लेना चाहिए । जो सम्पूर्ण शरीर में प्रवेश हो जाता है और कहीं लेने की जरूरत ही नहीं पड़ती।
अगर पलकों में लगाना है तो इतना लगायें की 2 से 4 सेकेण्ड में सूख जाए।आँख की चिप की जगह बहकर आ गया तो दोष लग जायेगा आँख में भी मल का द्वार होता है। कुछ लोग गर्दन से लेकर पेट तक लगाते है इससे अनन्त दोष लग जाते है

8- मंदिरजी में भगवान की परिक्रमा करते समय पीछे से स्पर्श या नमन नहीं करना चाहिए।

जिनेन्द्र भगवान् को सामने से नमोस्तु किया जाता है पीछे से नहीं इसमें में भी हमारा पुण्य कम होने लगता है ।

9 / मंदिरजी में परिक्रमा करते समय महिलायें अपने वस्त्र का ध्यान रखें कपड़े का स्पर्श वेदियों से छूता हुआ चला जाता है । जो लोग सोला के कपड़े पहन कर आते है वो भी छू जाते हैं।

10 / जाप माला देते समय सम्यक दर्शन ,सम्यक ज्ञान , सम्यक चारित्र बोलते समय जाप माला को अपने नेत्रो से स्पर्सनहीं करना* चाहिये दूर से करना चाहिये और श्रीजी के सामने होकर जाप दें तो नेत्र श्रीजी के चरणों को देखकर जाप देने से उचित पुण्य प्राप्त होता है ।

11 / मंदिर जी में लाई जाने वाली द्रव्य को कई श्रावक आधी बचाकर घर ले जाते हैं ये गलत है

– अरविन्द जैन