दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर बाहर से आने वालों से वसूला जा रहा है कोविड जांच और लॉज के नाम पर 3600 रुपये शुल्क, लेकिन सुविधाएं बदतर

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॰ हैंड सेनेटाइजर की 150 यात्रियों के पूरे लॉज में मात्र दो बॉटल
॰ प्रवेश द्वार पर हैंड सेनेटाइजेशन के कोई दिशा-निर्देश नहीं
॰ वॉशरूम में भी हैंड सेनेटाइजर नहीं
॰ शिकायत के लिये नहीं बुलाया जाता उच्च रैंक का अधिकारी

सन् 2020 की विदाई और नववर्ष 2021 के स्वागत करते हुए मेरी विदेश की प्रथम यात्रा 28 दिसंबर से 03 जनवरी तक सम्पन्न हुई। कोरोना काल में जब कोरोना-19 की नई संतान कोविड-20 ने जन्म लिया और पता चला कि वह अपने बाप से भी ज्यादा खतरनाक है तथा उसी सप्ताह ब्रिटेन से आई फ्लाइट में जब 15 से ज्यादा यात्री कोविड पोजीटिव पाए गए, तो रोंगटे खड़े हो गए। यात्रा के सारे इंतजाम डेढ़ माह पहले ही हो गये थे, इसलिये कैंसिल भी नहीं कर सका। पहले कोविड-19 की दिल्ली की रिपोर्ट, फिर दुबई एयरपोर्ट पर नि:शुल्क जांच हुई सभी नेगेटिव आए, बड़ा सुकून मिला कि बुक कराई टिकटें और यात्रा का एडवांस में जमा पूरा खर्च खराब नहीं जाएगा। लौटते में दिल्ली जब उतरे तो वहां सरकार ने कोविड जांच के कड़े इंतजाम कर रखे थे। सही भी है, करने भी चाहिए लेकिन कोविड जांच और लांज चार्जिज प्रति व्यक्ति 3600 रुपये चार्ज किये गये। यहां कुछ अटपटा सा लगा क्योंकि जब दुबई सरकार कोविड जांच एयरपोर्ट पर नि:शुल्क कर रही है तो हमारे देश की सरकार क्यों नहीं नि:शुल्क कर रही, दूसरा जांच के पैसे लेने ही थे तो लांज के चार्ज क्यों लिये जा रहे थे? जब एयरपोर्ट पर आप 4 से 5 घंटे पहले जांच आदि के लिये बुलाते हैं, तो लौटते वक्त इतना वक्त कोरोना जांच आने में इंतजार करना पड़ता है तो चार्ज क्यों लिया जाता है? इसका मतलब यह हुआ कि प्रशासन तथा सरकार एयरयात्रियों की हितैषी नहीं है, उसे तो किसी भी रूप में धन अर्जित करना है। हमारे नेता बड़े-बड़े दावें करते हैं कि हम जनता के लिये इतने कोविड – केन्द्र बना रहे हैं, इतनी सुविधायें दे रहे हैं लेकिन असलियत मुझे पहली बार पता चली कि जहां भी सुविधा की बात आती हैं वहां सरकार पूरा चार्ज वसूल रही थी।
चलिये अब बात करते हैं लॉज में लिये गये चार्ज और वहां दी जा रही सुविधाओं की। 04 जनवरी 2021 को दुबई से एमीरिएट्स फ्लाइट नं. ईके-510 से प्रात: 8.45 के करीब दिल्ली में हम सपरिवार उतरे। कोविड जांच के प्रति व्यक्ति 800 रुपये तथा 2600 रुपये लांज के लिये गये जिसमें वाईफाई डाउन था, पीने का पानी, एक मील तथा चाय-काफी जितनी मर्जी बार ले सकते थे। लेकिन जैन मील का प्रबंध नहीं था और जो मील में खाने के लिये दिया गया वह इंटरनेशनल फ्लाइट के यात्री के लिये किसी भी तरह से खरा नहीं उतरता था। जैन फूड मांगा तो मौजूद कर्मी ने कहा जैन फूड तो यहां नहीं है, लेकिन आपके लिये कुछ इंतजाम करते हैं। शुक्र है उसने 3 इडली गोले की चटनी के साथ, खिचड़ी और एक केक के पीस के साथ देकर इतिश्री कर ली।

सबसे बड़ी हैरानगी की बात थी कि सेनेटाइजेशन के लिये करीब 200 यात्रियों के बैठने की जगह पर एक भी हैंड सैनेटाइजेशन की मशीन या बॉटल नहीं रखा गया था। प्रत्येक सीट पर हैंड सेनेटाइजर रखा जाना चाहिए या आने जाने की गैलरी में 3-4 जगह तो दिशा-निर्देश के साथ हैंड सेनेटाइजर का प्रबंध होना चाहिए।
दुबई में जहां भी हम गये चाहे वह दुकान हो, मॉल हो, एंटरटेनमेंट की जगह हो, एयरपोर्ट हो वहां सभी जगह हैंड सैनेटाइजेशन करने की मशीनें बहुलता में उपलब्ध थीं। दिल्ली एयरपोर्ट पर बनाये गये लॉज में एंटी पर कोई भी साइनबोर्ड तक नहीं लगाया गया कि अंदर जाने से पहले हाथों को सैनेटाइज जरूर करें। सेनेटाइजेशन का मात्र एक स्टैंड लगा था, वह भी एक किनारे पर जो अंदर प्रवेश करने पर दिखाई ही नहीं दिया क्योंकि जब यात्री सामान लेकर आता है तो उसकी नजर बीच में ही रहती है। एंटेस में स्टॉफ के नाम पर काउंटर पर एंटी करने के लिये मैडम सबा नियुक्त थी, उन्होंने भी फार्म लिया और सीट नं. एलॉट कर अंदर बैठने को कहा। पूरे लांज में कोविड से संबंधी बरती जाने वाली लॉज में सावधानियों का कहीं भी डिस्पले नहीं था। पूरे लॉज में मैंने चक्कर लगाया तो पाया कि 50-60 सीटों बाद एक स्टैंड कौने में बेगाना सा खड़ा था और उसका किसी यात्री ने इस्तेमाल नहीं किया, न ही वहां कोई दिशा-निर्देश लगा था कि हैंड सेनेटाइजेशन कीजिए।
अन्य देशों में आप देखेंगे तो वहां एयरपोर्ट पर हर कौने में स्टॉफ नियुक्त है और वह यात्रियों की कड़ी निगरानी करता है और मास्क न होने या नीचे होने पर चेतावनी देता रहता है और दिल्ली एयरपोर्ट पर अनेक यात्रियों का मास्क नीचे था, लेकिन किसी ने भी नहीं टोंका।
अब लॉज के आखिर में बने वॉशरूम की बात करें। छोटा जरूर था पर वहां सफाई के लिये स्टॉफ नियुक्त था। लेकिन उसके प्रवेश द्वार पर भी हैंड सेनेटाइजेशन का कोई इंतजाम नहीं था और यहां तक कि हाथ पोंछने के लिये ट्श्यिू पेपर की कोई व्यवस्था नहीं थी, शौचालयों के अंदर जरूर टिश्यू पेपर था। शुक्र है हाथ सुखाने के लिये एक वार्मर चालू था। लेकिन एयरपोर्ट के अंदर वह भी इंटरनेशनल एयपोर्ट पर वॉशरूम का स्तर काफी नीचे था, शायद इंटरनेशनल स्तर पर उसे सबसे निचले पायदान पर रखा जा सकता है।
मैंने वहां तैनात कर्मचारियों से इस संबंध में मैनेजर या इंचार्ज को बुलाने के लिये निवेदन किया तो उन्होंने कहा कि अभी बुला देते हैं लेकिन दो घंटे तक भी कोई नहीं आया। उनका नाम और नंबर मांगो तो काउंटर पर खड़ी मैडम सबा ने कहा हमें नहीं मालूम। हां एक बात और हमारे मुख्यमंत्री दिल्ली को फ्री वाईफाई करने की बात करते हैं लेकिन यहां एयरपोर्ट का वाईफाई डाउन पड़ा था और लांज में जो टीवी लगे थे वे भी दोपहर 12 बजे के आसपास चालू हुए। अब लॉज के लिये 2600 रुपये लेकर जो सुविधाएं हमें मिल रही थी, इसका आंकलन आप स्वयं लगा सकते हैं।
इस दृष्टांत से मैं सिर्फ सरकार के आला अफसरों को बताना चाहता हूं कि हकीकत में हमारे इंतजाम क्या हो रहे हैं और हमारे देश में बाहर से आने वाली बीमारी को वहीं रोकने के जो इंतजाम किये जा रहे हैं वह कागजों में लिखी जाने वाली गाइडलाइंस पर खरे नहीं उतरते।
– प्रवीन कुमार जैन
फ्लाइट एमिटेट्स नं. ईके-510 दिनांक 04 जनवरी, दुबई से दिल्ली, सीट नं. 41जी डी
बुकिंग रैफरेंस नं. : जीडब्ल्यूटीक्यूवाईएफ
451 जागृति एन्क्लेव, दिल्ली-110092
(सिटी संपादक, सान्ध्य महालक्ष्मी)
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