16 अक्टूबर 2022/ कार्तिक कृष्णा सप्तमी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी
अमावस तिथि सोमवार 24 अक्टूबर को सांय 5: 27 से प्रारंभ होकर मंगलवार 25 अक्टूबर को साईं 4:18 बजे तक रहेगी। जबकि 25 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण सांय 4:30 बजे से देश भर में सूर्यास्त तक रहेगा। तो ऐसे में , जब कहा जाता है कि सूर्य ग्रहण से 12 घंटे पहले धार्मिक क्रियाएं बंद कर दी जाती हैं, तो उस दिन निर्वाण लाडू या सांय काल में केवल ज्ञान कल्याणक कैसे मनाया जाएगा ?
इस पर कई लोगों ने कहना शुरू कर दिया कि हमें 24 अक्टूबर को ही दिवाली मनानी चाहिए। चैनल महालक्ष्मी ने ज्योतिष सम्राट पंडित गजेंद्र जैन से इस बारे में चर्चा की। उन्होंने बताया कि सूर्य ग्रहण में सूतक लगने की बात, जैन धर्म में नहीं, वैष्णव धर्म में आती है । इसलिए वहां पर सूर्य ग्रहण से 12 घंटे पहले ही मंदिरों के द्वार बंद कर दिए जाते हैं यानी 25 अक्टूबर मंगलवार को 4:30 बजे शुरू होने वाले सूर्य ग्रहण से 12 घंटे पूर्व यानी सुबह से ही मंदिरों को बंद कर दिया जाता है।
लेकिन जैन धर्म में कभी मंदिरों के द्वार , पूजा , प्रक्षाल आदि नहीं बंद किए जाते । इस तरह के सूतक का जैन धर्म में कोई प्रावधान नहीं है। इसलिए दीपावली 25 अक्टूबर को ही मनाई जाएगी यानी श्री वर्धमान स्वामी का 2549वा मोक्ष कल्याणक पर निर्वाण लाडू प्रातः काल में मंदिरों में तथा शाम को घरों में गौतम गणधर स्वामी के केवल ज्ञान कल्याणक को मनाया जाएगा।
यानी सूर्य ग्रहण का हमारे दीपावली मनाने पर कोई प्रतिबंध नहीं रखता है। इसलिए उन आशंकाओं को ध्यान ना दें, जिसमें कहा जाता है कि सूर्य ग्रहण के कारण दिवाली 25 को क्यों मना रहे हैं।