मुनि के भाई द्वारा मंदिर से चोरी – गिरफ्तारी, मुनि का रात के अंधेरे में दीक्षा छेदन, अभी भी अनसुलझा है असली रहस्य

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सान्ध्य महालक्ष्मी / 21 मई 2021
मध्य प्रदेश का दमोह जिला एकाएक चर्चा का विषय बन जाता है और तीन दिन के घटनाक्रम ने कई अनसुलझे रहस्यों को जन्म दे दिया है।
गत रविवार 09 मई को रात में पटना से जबलपुर होते हुए आचार्य श्री निर्भय सागरजी के शिष्य मुनि श्री ब्रह्मदत्त सागर के भाई रत्नेश जैन तंदुखेड़ा स्थित श्री शांतिनाथ जैन मंदिर पहुंचे, जहां पर पूरा संघ विराजमान था। अगले दिन सुबह उन्होंने आचार्य श्री समेत सभी संघ के साधुओं के दर्शन किये, कुछ बातें हुर्इं (इन बातों में कुछ रहस्य छिपा है) और रत्नेश ने सभी संतों के आहार पर जाने से पहले अपने गृहस्थ समय के भाई और मुनि श्री ब्रह्मदत्त जी को एक नया मोबाइल बिना आचार्य श्री की अनुमति के चुपचाप दे दिया।

मंदिर समिति के सदस्य आशीष सिंघई जी ने सान्ध्य महालक्ष्मी को बताया कि उस समय हम लोग कुछ दान के इकट्ठे पैसे गिन रहे थे और साथ वाले कमरे में रत्नेश जैन अपने एक मित्र के साथ ठहरे हुए थे, हमने कुछ विशेष नहीं, कहा, क्योंकि मुनिश्री के गृहस्थ जीवन के भाई हैं। रुपये गिनकर अलमारी में रख दिये। लगभग 11 बजे जब साधुओं का आहार समाप्त हुआ, लगभग उसी समय वे दोनों चले गये और पता चला कि अलमारी में रखी दानराशि गायब है।

लाकडाउन चल रहा है, ऐसे में कोई दर्शन करने नहीं आ रहा, फिर उन दो के अलावा कोई आया नहीं और वो दोनों गायब। शक होने लगा दोनों पर। आशीष जी ने रत्नेश को फोन मिलाया, उसने कुछ ना नुकुर में जवाब दे, फोन काट दिया और उसके बाद फोन स्विच आॅफ कर दिया। आचार्य श्री के संकेत पर तुरंत चोरी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई। तत्काल कार्यवाही करते हुये रेलवे की जीआरपी ने दोनों को सागर में ट्रेन नं. 02141 के कोच ए-1 की सीट 39-40 से पकड़ लिया और उनसे 5,93,200 रुपये मिले यानि पूरी राशि जिसमें से टिकट के पैसे काटकर, बरामदगी हो गई। दोनों – रत्नेश जैन (36) व रामजी प्रसाद कुर्मी (35) को वहां से दमोह जेल में बंद कर दिया।

दो दिन बाद आचार्य श्री का संघ सहित 8-9 किमी पर विहार हो गया, शाम तक पहुंचे, यहां संघ के अन्य मुनि से पता चला कि इनके पास मोबाइल है, तो आचार्य श्री काफी नाराज हुये, रात्रि में ही मुनि श्री ब्रह्मदत्त से दो स्टाम्प पेपर पर कुछ लिखवाया और वहां मौजूद दो लोगों को उन्हें कपड़े पहनाने को कहा और वापस उनके निवास पटना के लिये टिकट कटवाने को कह दिया।

अगले दिन कई विभिन्न तरह की पोस्ट वायरल हुई, पहली कि मुनि ब्रह्मदत्त की हत्या कर दी गई? उनके भाई रत्नेश लापता हैं? मंदिर कमेटी कुछ छुपा रही है?

दूसरी पोस्ट आई कि सावधान रहें, मुनि ब्रह्मदत्त की दीक्षा छेदन कर उन्हें वापस भेज दिया है, उनसे दानराशि का कोई लेनदेन न करें। ब्र. दर्पण का भी एक आडियो जारी हुआ।

इस सारे घटनाक्रम में कई अनसुलझें सवाल किसी छिपे रहस्य की ओर संकेत कर रहे हैं:-
1. रत्नेश जैन एक कुर्मी दोस्त के साथ लाकडाउन में पटना से तेंदुखेड़ा क्यों गये? क्या किसी ने उन्हें बुलाया था और बुलाया था तो मंशा क्या थी?

2. जब ब्र. दर्पण भैया को दीक्षा दी गई, तो उनके बैंक में 12 फरवरी 2021 को मात्र रु. 24.82 शेष था, पर दीक्षा के बाद ही 19 फरवरी को लाखों की राशि जमा होती है और 25 फरवरी को किसी तीसरे को दी जाती है।

3. जिनके पास राशि पहुंची, उनमें से दो की सान्ध्य महालक्ष्मी से बात हुई, उन्होंने स्वीकार किया कि उनको ब्र. दर्पण को दिये उधार की राशि वायदे अनुसार वापस मिली है, अभी कुछ बाकी है। यहां हम वे नाम नहीं बता रहे, किसने, किसके कहने पर राशि जमा की, क्योंकि आप विश्वास भी नहीं कर पाएंगे। (सान्ध्य महालक्ष्मी के पास सारे दस्तावेज हैं)।

4. जब दीक्षा के समय ब्र. दर्पण पर 17 लाख रु. के लगभग का कर्ज था और यह सबको मालूम था, फिर उन्हें दीक्षा क्यों दी गई या उन्होंने उसे चुकाने से पहले दीक्षा क्यों ली?

5. दीक्षा से पहले उनके खातों में केवल भाई-भाभी के इलाज के अलावा इतनी बड़ी राशियां जमा नहीं हुई, तो फिर दीक्षा के तुरंत बाद ये राशियां कहां से जमा हुई, किसने, किसके कहने पर कराई?

6. क्या मोबाइल रखने के आरोप में या फिर भाई द्वारा चोरी के आरोप में दीक्षा छेदन किया गया या फिर स्वास्थ्य सही नहीं है, ऐसा लिखवा कर दीक्षा छेदन हुआ? कारण क्या रहे?

7. देर रात में समाज के किसी भी व्यक्ति की अनुपस्थिति में क्या दीक्षा छेदन अचानक करना, किसी अन्य कोई गंभीर कारण का संकेत तो नहीं दे रहा।

8. फिर समाज के एक भाई आदीष सिंघवी जी को बुलाकर तत्काल टिकट कटवाकर वापस उनके घर भेजने के पीछे क्या कोई रहस्य है?

9. सूत्रों के अनुसार एक खाली स्टाम्प पेपर पर हस्ताक्षर करवाना तथा दूसरे पर 10 लाख रुपये वापसी करने या फिर ब्रह्मचारी तथा उसके रिश्तेदारों पर केस करने के बारे में लिखवाना किस बात का संकेत देता है?

10. दीक्षा छेदन की सूचना किसी परिजन को नहीं दी गई, जबकि दीक्षा में भाभी-बहन आदि परिवार को बुलाया गया था?

11. क्या रत्नेश, एक अजैन के साथ वहां चोरी के इरादे से गया था? या उसकी वहां लाखों की राशि को गिनते देख नियत बिगड़ गई? (रत्नेश के पास से नकदी व दो चैक के अलावा कोई ऐसा दस्तावेज या वस्तु बरामद नहीं हुई जिससे लगे कि वो चोरी के हिसाब से गया था)।

ऐसे कई अनसुलझे सवालों के पीछे का रहस्य बहुत कुछ कह रहा है। सान्ध्य महालक्ष्मी टीम इसकी जांच में लगी है, पुलिस अपनी कार्यवाही कर रही है। हकीकत से जल्द पर्दा उठे, यही प्रयास रहेगा।

(शरद जैन)