ना कभी टीवी देखा, ना कोई रेस्टोरेंट गई ,500 किलोमीटर पद विहार कर चुकी , 367 दीक्षाएं देख चुकी, और दीक्षा ली, उम्र है मात्र 8 साल

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22 जनवरी 2022/ माघ शुक्ल एकम /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी /
हां, उम्र मात्र 8 वर्ष की, जब बच्चा खेलना कूदना सीखता है। इसी उम्र में हीरा कारोबारी की पोती देवांशी संघवी बनने के लिए कदम बढ़ा देती है। जिस परिवार में धर्म के संस्कार संतान के जन्म के साथ ही कर दिए जाते हो, वहां पर कुछ लोग यह सवाल भी उठाने से नहीं चूकेंगे कि इतनी छोटी उम्र में क्या दीक्षा देना सही है?

पर जब बालिका का मन लग जाए, इस संयम पथ पर बढ़ जाए, तो सचमुच कहना पड़ता है , धन्य है उसके माता-पिता, जिनके यहां देवांशी रूपी रत्न का जन्म हुआ । संघवी एंड संस, वह हीरा उद्योग की जानी मानी प्रतिष्ठित कंपनी है और उसी घर में धनेश भाई संघवी, धन्य हो गए, जब उनके यहां बिटिया देवांशी ने सूरत के अंदर, कदम रख दिए दीक्षा की ओर।

8 साल तक 357 दिशाएं देख चुकी, 500 किलोमीटर पदयात्रा कर चुकी , ना कभी टीवी देखा ना कभी होटल गई ,न किसी रेस्टोरेंट में गई ।पर उसने वह मिसाल पैदा कर दी, दिखा दी 18 जनवरी को सुबह 6:00 बजे ,जब उसकी दीक्षा शुरू हुई तो 35000 से ज्यादा लोग मौजूद थे।

आराधना
• जन्म लेते ही ओघाका दर्शन,
नवकार मंत्रा का स्मरण,
पू. प्रशमिताश्रीजी मा.साहेब से नाम सुना

• जन्म हुआ उस दिन से ही परिवार ने १४ नियम धाराना शरू करवाया. प्रायः बरस तक रोज दिनमे धारा कभी- कबार रात्री में
• जन्म से ही भवआलोचना ली जाती है.
• अष्टमी का जन्म, अगियारससे नाड अलग पडी और प्रभुजीकी पूजा सौ प्रथम वार की.
• प्रायः 25 दिन की थी तबसे नवकारशी शरू की.
• डायपर और लीखे हुए वस्त्र कभी पहेने नही.

• प्रायः आठ महीने की हुई तब से रोज त्रिकाल पूजा की है मतलब सुबह की वासक्षेप पूजा धूप दीपक लघु चैत्यवंदन प्रार्थना बाद में दोपहर को अष्ट प्रकारी पूजा और रात में आरती मंगलदिवा धूप दीपक चैत्यवंदन प्रार्थना
• चार महीने की हुई तबसे अपनी खुदकी शक्तिसेही [ बिना कोई मेहनत के ] रात्रि भोजन का त्याग किया
• जन्म सेही वर्ष तक रोज नवकार, पहेला पंचसूत्र, आप स्वभाव की सज्झाय सुनी
• जन्म सेही सचित वापरा नही. (३ वर्ष तक)
• जन्म से ही टीवी देखा नही.

• पौने तीन वर्षे पू.आ.भगवंत श्री कीर्तियश सुरीश्वरजी मा.सा. के पास सौप्रथम खुदके मुखसे आलोचना ली. (श्री आदिनाथ प्रभु पर केसर गीरा था और साहेबने आदिनाथ प्रभु समक्ष जा कर खडे खडे तीन खमासमण देनेकी आलोचना दी, उसने पूरी कर आचार्य भगवंतको बताया.)

• तीन वर्ष और तीन महिनेकी हुई तब श्री नवकार मंत्रका अधिकार प्राप्त कीया.

• श्री शिखरजी तीर्थकी तळेटीमे अंजनशलाका के प्रसंग पर प्रभुका अंजन घिसा
• ५ वर्ष और ८ महिनेकी हुई तब पर्युषणमे भरसभामे 27 भवका स्तवन बोला था. (एकभी भूलके बगैर) और १७ प्रतिक्रमण किए
• ६ वर्ष और ४ महीने की थी तब पहेला देसावगासिक कीया.
• ७ वर्ष की उम्रमे पहेला पौषध कीया.
• दो बरस की थी तब से म.साहेब के पास जा रही है बिना कारण के एक भी दिन नहीं गई ऐसा नहीं हुआ पहले एक घंटा जाती थी फिर धीरे-धीरे 2 से 3 घंटा बाद में सुबह से लेकर शाम तक जाती थी पिछले तीन-चार महीनों से लगातार म.साहिब के पास ही थी
• अमदावाद से सुरत (300Km) और सुरत से अमदावाद (300Km) जीतना विहार कीया है. एकबार देवांशीने एकही दिनमे सुबह और शाम मिलाकर 25Km जीतना विहार कीया था.
• 7 वर्ष की हुई तब से जबभी मोका मिला उसने पौषध कीए है.
• आजतक एकभी चीज अभक्ष नही खाई. (किसी ने भुलसे दिया हो और पता ना होने के कारण खाया हो वह अलग बात है ) तीन वर्ष तक सचित नही खाया.

स्वाध्याय
• दो वर्षकी हुई तब नवकारशी, अब्भुठ्टिओ० तकके सूत्र, आधा सात लाख, 3 स्तुति, 8 धार्मिक कथा, 8 कर्मके नाम, नव तत्वके नाम, पांच ज्ञानके दुहा, 8 कर्मके पेटाभेदके नाम, अष्टप्रकारी पूजाके नाम सीखा.

• दो वर्ष और तीन महिनेकी हुई तब जगचिंतामणी आधा, सात लाख, पहेले प्रणातिपात, कल्लाण कंदं, संसार दावा, चौविहार, नवकारशी पच्चक्खाण, अष्ट प्रकारी पूजाके दुहा, ज्ञानके और प्रदक्षिणा के दुहा कंठस्थ कीए.

• लगभग ढाई वर्षकी हुई तब दो प्रतिक्रमण, स्नातस्या, संतिकरं, मोटी शांति, आधा पंच सूत्र हुआ.
• तीन वर्ष और एक महिनेकी हुई तब पांच प्रतिक्रमण पुरा हुआ.
• तीन वर्ष और छ महिनेकी हुई तब भक्तामर और जीव विचारकी 25 गाथा पूर्ण कीया.
• तीन वर्ष और नव महिने में तीन प्रकरण, व्याकरण का पहेला अध्यायन कंठस्थ कीया.
• चार वर्ष पुरे हुए तब ४ प्रकरण, व्याकरण का एक अध्ययन, दो पाठ टीका सहित पूरा कीया. पहेला भाष्य आधा कीया.
• साडे चार वर्षमे पू.आ.श्री कीर्तियश सू.मा.साहेब के पासमे पहेला कर्मग्रंथ मंडाया और पूज्य सा. प्रशमिताश्रीजी मा. साहेब पास हृदय प्रदीप मंडाया.
• ५ वर्षने ४ महीने की हुई तब ५ प्रतिक्रमण, भक्तामर, ४ प्रकरण, ३ भाष्य, ४ कर्मग्रंथ पूरा किया
• ६ वर्ष में वैराग्य शतक, तत्वार्थ के २ अध्ययन (वैराग्य शतक पूज्य सा. प्रशमिताश्रीजी मा.सा के पास मंडवाया और तत्वार्थ पू.आ.श्री कीर्तियश सु.मा.सा ने मंडवाया.)
• ७ वर्ष की हुई तब तक ५ प्रतिक्रमण, भक्तामर, ४ प्रकरण, ३ भाष्य, ४ कर्मग्रंथ, पंच सूत्र, वैराग्य शतक, तत्वार्थ, २७ भवनुं स्तवन, पंच कल्याणक का स्तवन, हालरडुं, व्याकरण के २-१ अध्यायन टीका सहित, संथारा पोरिसी… कंठस्थ किया

• अर्थ सहित – संसारदावा तक के सूत्र जीवविचार, १ कर्मग्रंथ, ज्ञानसारना १ अष्टकना अर्थ, गुणानुराग् कुलकम, वैराग्य शतक के थोड़े थोड़े गाथा का अर्थ किया

• अब तक – 5 प्रतिक्रमण, भक्तमार, 4 अध्याय, 3 टीकाएँ, 4 कर्मग्रंथ, पंच सूत्र, जीव विधान (अर्थ सहित), नव तत्व (अर्थ सहित), हृदय प्रदीप (अर्थ सहित), वैराग्य शातक (अर्थ सहित), तत्त्वार्थ , 27 भाव का स्तवन, पंच कल्याणक का स्तवन, हलार्डु, ज्ञानसार 19 शास्त्र (अर्थ सहित), भाष्य सहित व्याकरण के 2 1/2 अध्याय, संथारा पेरिस, संस्कृत की पुस्तक 1 – 15 पाठ, अर्थ सहित सूत्र – पुखर वर0

तपस्या
• पलिताना में अपना पहला उपवास 2 साल की उम्र में किया था। (शाम को तलहटी में आकर संपूर्ण वंदितु का पाठ किया)
• चार साल की उम्र में चैत्रमास के ओली में, अपनी इच्छा के अनुसार अयम्बिल का प्रदर्शन किया और चैत्री पूनम को उठा लिया।
• 5 साल 4 महीने की उम्र में चैत्री पूनम की क्रिया को खड़े होकर किया जाता था और लगभग 125 खमासमानों को भी खड़े होकर परिक्रमा की जाती थी।
• 7 वर्ष की आयु में उन्होंने तीन एकासन से भरे भाना करी पॉश का दशमांश एकत्र किया।

सफ़र
पलिताना – दो बार, गिरनार – एक बार, जीरावाला, दियाना, मालेगांव, तरंगजी, सब कल्याणक भूमि(सिर्फ माथुरा बाकी) जगह की तीर्थयात्रा।

वीरती धर का भेष
• करीब डेढ़ साल की उम्र में 58 से ज्यादा दीक्षाएं देखी गईं।
• तीन साल और छह महीने की उम्र में 119 दीक्षाएं देखी गईं।
• जब सावा चार साल की थी, तब वह अपनी माँ के बिना 10 दिनों तक पलिताना में रही और उसे 37 दीक्षाएँ, 4 आचार्य उपाधियाँ, 13 वादी दीक्षाएँ मिलीं। पलिताना के लिए जात्रा जोरों पर चल रही थी। (दोपहर 1:00 बजे बोर्डिंग और शाम 6:30 बजे नीचे उतरे) प्रतिदिन लेक्चर और लेक्चर में बैठते थे। 200 से 250 साध्वीजी कि गुरु पूजा की(1 हि दिन मे)

• पांच साल के अंत में 146 दीक्षाएं देखी गईं।

• 6 साल में 278 दीक्षाएं देखीं।
• अब तक देखी गई कुल दीक्षा – 367
विवाह – नही.
होटल – नही.
थिएटर – नही.

• उन्होंने पांच साल की उम्र से ही पूरे दीक्षा समारोह को याद कर लिया है।
व्यावहारिक ज्ञान
घन में – स्वर्ण पदक जीता।
संगीत – सभी राग प्रमाण पत्र हैं। (छह वर्ष की आयु में प्राप्त हुआ।)
स्केटिंग – कर सकते हैं।
योग – मेहनत से सीखे गए सभी आसन स्वस्तिक भी कर सकते हैं।
भरतनाट्यम में – एक वर्ष किया।
मानसिक गणित किया।
भाषा – संस्कृत, हिंदी, गुजराती, मारवाड़ी, अंग्रेजी। (सभी भाषा समझ और बोल सकते हैं।)