संसार चक्र में व्यक्ति घुसना तो जानता है, परन्तु अभिमन्यु की तरह निकलना नहीं जानता : गणिनी आर्यिका चन्द्रमति माताजी

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जलवृष्टि ही नहीं, अपितु ज्ञान वृष्टि का योग – वर्षायोग
सान्ध्य महालक्ष्मी / 30 जुलाई 2021
चांदनी चौक। पंचों के नारियल से नहीं, अपितु क्षेत्रवासियों के परम सौभाग्य से साधु का आगमन होता है। इन दिनों में चातुर्मास की स्थापना के लिए एक धर्मयुद्ध सा छिड़ा रहता है, कि हमारे यहां कौन-कौन से संघ का चातुर्मास होगा। विभिन्न दर्शनों में प्राय: चार महीने का ही वर्षायोग माना जाता है। जबकि जैन दर्शन में यह पौराणिक परम्परा चातुर्मास के नाम से आज भी यथावत् विद्यमान है।

सूर्य की भांति गतिमान साधु आठ माह तक निरन्तर विचरणशील रहता है। पर इन दिनों में क्षुद्र जीवों की रक्षार्थ एक जगह स्थिर हो जाते हैं। वह प्रवृति से निवृत्ति की ओर मुड़कर अपने आचरण व ज्ञान-तरंगों को एक ही जगह प्रवाहित कर जनमानस के दिल-दिमाग को धर्म से परिपूर्ण करते हैं। दया के अद्वितीय सागर जैन संत का जीवन जनकल्याण के लिए ही होता है। ऐसा ही पुण्योदय चांदनी चौक क्षेत्रवासियों का जागृत हुआ है, जो मुनि श्री अनुमान सागर जी महाराज, गणिनी आर्यिका चन्द्रमति माताजी ससंघ के चातुर्मास का समागम हुआ। वर्षायोग कलश स्थापना 25 जुलाई के दिवस प्रात:काल मुनि श्री तथा क्षुल्लक श्री अविरल सागरजी महाराज का जुलूस के रूप में श्री दिगंबर जैन लालमंदिरजी में प्रवेश हुआ।

मंदिरजी में सरस्वती भवन में चातुर्मास स्थापना का विधिवत कार्यक्रम संचालन पं. दीपक जैन द्वारा किया गया। चित्र अनावरण श्री संजय जैन-रितु जैन शक्ति नगर, दीप प्रज्ज्वलन श्री जिनेन्द्र जैन, निमित जैन, अंकुर जैन कूंचा सेठ द्वारा किया गया। पंचायत व समस्त महिला मंडल ने मिलकर चातुर्मास स्थापना की विनती कर श्रीफल भेंट किया, जिसकों संघ के स्वीकार करते ही खुशी की लहर दौड़ गई। सर्वप्रथम महिला मंडल की ज्योति, मेघा जैन आदि के मांगलिक गीत-नृत्य से शुभारम्भ हुआ। चातुर्मास कराने में जिनेन्द्र परिवार एवं मैनेजर पुनीत जैन और उनकी पत्नी कविता जी, अंकुर जैन, विशाल जैन, दीपक जैन, अतुल जैन, अमन जैन एवं चातुर्मास समिति के अन्य सदस्यों का विशेष योगदान रहा है। दिल्ली की विभिन्न समाज – दरियागंज, कृष्णानगर, लारेंस रोड, शालीमार बाग, शक्ति नगर, ग्रीन पार्क, राणा प्रताप बाग, न्यू रोहतक रोड, शालीमार बाग, अशोक विहार आदि ने श्रीफल भेंट किया। दिल्ली जैन समाज के अध्यक्ष श्री चक्रेश जैन ने कहा कि ऐतिहासिक लालकिले के सामने होने से लालमंदिरजी के चातुर्मास की महत्ता और अधिक हो जाती है।

आर्यिका दक्षमति माताजी ने बताया कि साधु तो कहीं भी नगर, गांव आदि में चातुर्मास कर सकता है, लेकिन दूर-दूर से विभिन्न समाज के लोग बिना किसी विशेष सूचना के स्वत: ही इतनी बड़ी संख्या में उपस्थित होना बड़ी बात है। माताजी ने कहा कि प्रत्येक परिवार को इस मंत्र ‘ऊँ ह्रीं श्रीं अर्हं नम:’ की सवा लाख जाप अवश्य ही इस चातुर्मास में करनी है।
गणिनी आर्यिका चन्द्रमति माताजी ने बताया कि किसी कार्य को करने से पहले मंगल किया जाता है, इसलिए ही मंगल कलश की स्थापना की जाती है। उन्होंने आगे बताया कि संसार चक्र में व्यक्ति घुसना तो जानता है, परन्तु अभिमन्यु की तरह निकलना नहीं जानता।

मुुनि श्री अनुमान सागरजी महाराज ने कहा कि इस वर्ष मेरा सम्मेद शिखरजी जाने का विचार था, लेकिन कोरोना ने रोक दिया और यहां पर दूसरा चातुर्मास होने जा रहा है। उन्होंने दान की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए बताया कि दान देने वाले को हास्पिटल नहीं जाना पड़ता। मुनि श्री ने गृहस्थ के म्पिताजी ने अपने पुत्र महाराज को श्रीफल भेंट किया। खचाखच भरे हाल में तालियां गंूजती रहीं, धन्य हैं ऐसे माता-पिता।

चातुर्मास का प्रथम कलश पंचयात प्राचीन श्री अग्रवाल दि. जैन मंदिर (रजि.) धर्मपुरा, दूसरा कलश श्री चक्रेश जैन (बिजली वाले), तीसरा कलश श्री सुदर्शन जैन (कोशिका साड़ीज), चौथा कलश श्री अनुज जैन बबीता जैन (पुष्पक लाइट), पांचवां कलश रंजन जैन (रेलवे वालों), छठा कलश पंकज जैन को प्राप्त हुआ। अध्यक्ष श्री चक्रेश जैन, कोषाध्यक्ष शेखर जैन, जिनेन्द्र जैन मैनेजर बड़ा मंदिर धर्मपुरा, पुनीत जैन मैनेजर श्री लाल मंदिरजी, पंचायत मंत्री विजेन्द्र जैन, सतेन्द्र जैन जनरल मैनेजर एवं पंचायत के पदाधिकारियों ने अपनी गौरवमयी उपस्थिति दर्ज कराई। सर्व श्री राजेन्द्र जैन (ग्रीनपार्क), पवन जैन गोधा (राणा प्रताप बाग), ऋषभ जैन मंजू जैन न्यू रोहतक रोड, राजेश जैन अशोक विहार, सुरेश जैन पांडया शक्तिनगर आदि गणमान्य लोग मौजूद थे। कार्यक्रम के उपरांत भोजन की व्यवस्था श्री संजय जैन रितु जैन शक्तिनगर की ओर से की गई।

आत्म संयम, आत्म संस्कार एवं आत्मध्यान के उपयुक्त अवसर को अपने हाथ से जाने ना दें। इस ज्ञानगंगा की वृष्टि में अपने तन-मन को तर कीजिए। जैन संत जहां से भी गुजरते हैं, वहां अहिंसा का झरना झरता चला जाता है।

– नरेन्द्र जैन (साड़ी वाले), दरियागंज