आचार्य विद्यासागर जी के शिष्य दशम प्रतिमाधारी बाल ब्रम्हचारी श्री राजेश जी चैतन्य भैयाजी का कोरोना से स्वर्गवास

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छिंदवाड़ा . 19-04-2021,संत शिरोमणि 108 आचार्य श्री के परम प्रभावक शिष्य दसवीं प्रतिमा धारक, जिनके कुशल निर्देशन में करीब 485 सफल पंचकल्याणक जिनमे से एक कुछ दिनों पहले ही 12 फरवरी से 18 फरवरी चांदामेटा में हुआ था, उन बाल ब्रह्म.श्री राजेश भैया चैतन्य जी चांदामेटा का अभी अभी छिंदवाड़ा में कोरोना से स्वर्गवास हो गया,

आपने अपनी ओर से जन्मभूमि चांदामेटा जिला छिंदवाडा के श्री महावीर स्वामी चौबीसी जिनालय में 6 फिट की पद्मासनी सहस्रफनी श्री पारसनाथ भगवान की मूर्ति विराजमान कराई जिसका पंचकल्याणक 12 से 18 फरवरी 2021 को हुआ था

भारत मे 485 से अधिक मन्दिरों के आप प्रतिष्ठा निर्देशक थे, शताधिक ग्रंथों का संपादन किया।

आप संस्थापक थे 11 वर्ष पूर्व शुरू किए गए चैतन्य फाउंडेशन के जिसके द्वारा अहमदाबाद और चांदामेटा में 19 ट्रस्ट संचालित हो रहे हैं जिसके द्वारा अस्पताल, विकलांग सेवा केंद्र, स्कूल, साहित्य प्रकाशन आदि आदि संचालित हो रहे हैं। पीड़ित मानवता की सेवा आपका परम पवित्र उद्देश्य था।

चैतन्य फाउंडेशन के अंतर्गत आपकी जन्मभूमि चांदामेटा में आपने 27 जनवरी 2020 को आचार्य विद्यासागर वृद्धाश्रम का उद्घाटन कराया इस उद्देश्य से 22 से 29 जनवरी को श्री समवशरण विधान का आयोजन कराया।

जो आपसे जुड़े थे वो आपको कभी नही भूल पाएंगे और आपकी संस्थाओं को संचालित करते रहेंगे मुझे पंचकल्याणक के सामान की खरीदी के लिए आपका सारथी बनकर स्कोर्पियो गाड़ी 3000 km चलाने का सौभाग्य जनवरी में मिला अहमदाबाद नाथद्वारा जयपुर आदि जाने का।

22 जनवरी 2021 को अहमदाबाद में आपने अपने प्रवचन में ये बात कही थी
गृहस्थों को 5 कार्य अवश्य करना चाहिए

उपार्जित धन से जौ बराबर भी मन्दिर बनाने का यदि मौका मिल जाए तो सहयोगी होना चाहिए।
राई के दाने बराबर प्रतिमा जी स्थापित करने का सौभाग्य मिल जाए

उपार्जित धन से शास्वत तीर्थराज शिखर जी की वंदना करने का सौभाग्य मिल जाए।
मुनिराज के करपात्र में कम से कम 1 ग्रास देने का सौभाग्य मिला हो।

जीवन का सबसे बड़ा लाभ है यदि कोई साधक ने यम सल्लेखना धारण की हो तो ऐसे साधक की वैयावृत्ति करने या निमित्त बनने का सौभाग्य
इतना करो संघर्ष की चन्दन बन जाओ,

इतना तपो की निखरकर कुंदन बन जाओ.
सुकर्मो की सुगंधों से चारों दिशाओ मे महको,

मुस्कुराओ इतना कि काँटों मे भी मधुबन बन जाओ

-नंदन जैन छिंदवाडा