कन्याकुमारी जिले में गजब की प्राकृतिक सौंदर्यता के बीच में चट्टानों से उकेरा हुआ नवी सदी का अद्भुत #चिथराल_जैन_मंदिर

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21 सितम्बर 2022/ अश्विन कृष्ण एकादिशि /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/
चैनल महालक्ष्मी आज आपको दक्षिण के उस छोर पर ले जाता है, जहां पर पर्यटक समुंद्र के मिलन को देखने जाते हैं। जी हां , आज बात करें कन्याकुमारी जिले की । यहीं से 42 किलोमीटर की दूरी पर है , 36 एकड़ में फैला चिथराल जैन मंदिर, जिसे कई बार रॉक जैन टेंपल भी कहा जाता है । केरल की राजधानी तिरुवंतपुरम से महज 64 किलोमीटर की दूरी पर है सड़क मार्ग से और निकट का रेलवे स्टेशन कुजिथिरुई पड़ता है। #Chitharal_Rock_Jain_Temple ( Malaikovil), 86JQ+W9V, Vellamcode, kanyakumari dist, Tamil Nadu 629151,

इस मंदिर की बहुत खास विशेषता है कि यह भी हजार वर्ष पुराना या कहें नवी सदी का प्राचीन ऐतिहासिक मंदिर है , जिसे चट्टानों को काटकर बनाया गया है । अब यह भारतीय पुरातत्व विभाग के अंतर्गत आता है। छोटी सी पहाड़ी के नीचे तक वाहन जाने की सुविधा है और उसके बाद पहाड़ी पर पैदल चलना पड़ता है, जिसके लिए लगभग 100 सीढ़ियां चढ़ने पड़ती है
यहां पर प्रकृति ने सचमुच सौंदर्य उसी तरह बिखेरा है, जैसे मानसून में बादल जल की बूंदे बिखेरते हैं। बस यहां पर हरी-भरी प्रकृति का नायाब तोहफा देखकर जैन बंधु आए ना आए पर पर्यटकों की जरूर भरमार रहती है, वह भी विशेषकर शनिवार और रविवार को ।

नागरकोइल से लगभग 32 किलोमीटर की दूरी पर है और यह मंदिर अधिकांश समय बंद रहता है , जिसकी ताले की चाबी वहीं पर उपलब्ध रहती है। पुरातत्व विभाग द्वारा नियुक्त एक व्यक्ति पलानी सुबह 8:00 बजे मंदिर को खोलते हैं और 1:00 बजे मंदिर को बंद कर दिया जाता है। यहां पर मध्य प्रदेश से गए जैन बंधु अंकुश जैन और उनके साथी अशोक जैन क्रांतिकारी ने यहां पहुंचकर, जो चैनल महालक्ष्मी को स्थिति बताई वह सचमुच शोचनीय है। उनके अनुसार ताले पर जंग लगा है और वे दोनो एक सप्ताह में दो बार यहां आए तथा चैनल महालक्ष्मी से वहां पर नियुक्त पुरातत्व विभाग के कर्मचारियों से बात भी कराई, क्योंकि वे तमिल नहीं जानते और वहां के कर्मचारी हिंदी, इसलिए उनकी टूटी फूटी अंग्रेजी में बात की। पर ताले की चाबी नहीं मिली कहना था कि पलानी छुट्टी पर है।

अगर अंकुश जी की माने तो, यहां पर प्रक्षाल नहीं हो पा रही ।वहां पर मौजूद कर्मचारी ने भी बताया कि यहां कभी कबार ही कोई जैन आते हैं। अधिकांश यहां पर पर्यटक के रूप में शनिवार रविवार में आते हैं, जिनकी संख्या 200 से ऊपर होती है। पर यहां कई ने बताया कि पूजा नहीं होती, मंदिर लगभग बंद रहता है। अंकुश जैन कुछ फोटो भेजें जो उन्होंने मोबाइल की टॉर्च, बंद जंगले में से मोबाइल को अंदर करके खींची थी। एक दरवाजा अंदर भी है और पूरी तरह अंधेरे के कारण साफ नहीं दिखाई दी। यहां अंदर तीन वेदी है , शायद सात आठ फीट की प्रतिमाएं हैं। सभी दीवारों पर प्रतिमाएं उकेरी हुई है। यहां पर देखें तो जितने खंबे हैं उन पर विभिन्न रूप में प्रतिमाएं उकेरी गई हैं।

चट्टानों पर मूर्तियों के उकेरने के कारण, इसे रॉक जैन टेंपल भी कहा जाता है । मंदिर से बाहर निकलते हैं तो बाहर भी चट्टानों पर कई आकर्षक प्रतिमाएं, यहां पर उकेरी हुई है, जब इन प्रतिमाओं को देखते हैं, खुले में होने के कारण इनका होता शरण साफ दिखाई देता है। कहते तो हैं कि इनकी सुरक्षा पुरातत्व विभाग द्वारा की जा रही है। हकीकत में प्राकृतिक चोट लगातार हो रही है, शीत, ऊष्ण और बरसात, सभी के अपने-अपने थपेड़े जब यहां पर पड़ते हैं, तो इनका शरण होना स्वभाविक है और अगर ऐसा ही होता रहा, तो वह समय दूर नहीं, जब यहां चट्टानों पर उकेरी प्रतिमाएं लुप्त हो जाएंगी ।

इनका रखरखाव जैन समाज को देना चाहिए , जिससे इनको लंबी अवधि तक उस स्वरूप में रखा जा सके । वैसे नीचे बोर्ड पर लिखा है कि यह 8:00 से 5:00 तक खुलता है और ऊपर खाने की वस्तुएं तथा प्लास्टिक की बोतल आदि ले जाना पूरी तरह निषेध है। पर हकीकत में , जब यहां दौरा करते हैं तो जगह-जगह आपको खाली पानी की बोतलें यूं ही पड़ी हुई दिख जाती है, यानी नियमों का खुल्लम-खुल्ला मखौल उड़ाया जाता है और रोकने वाला भी कोई नहीं।

जब अंकुश ने यहां दौरा किया, तो उनोहने कई जोड़ों को यहां देखा, जो यहां पर मस्ती कर रहे थे ,यानी मंदिर प्रांगण, आज पूजा- अभिषेक के लिए नहीं रह गया, बल्कि अब तो यह प्रेम प्रसंग के लिए चर्चित हो रहा है । आप जब भी कन्याकुमारी की ओर घूमने आए, तो यहां जरूर दर्शन करने आए और साथ में दो और जैन स्थान भी हैं। तीनों को देखिए , गजब का आनंद मिलेगा।
– शरद जैन –