तीर्थरक्षा कलश की स्थापना के लिये भारतवर्षीय दिगंबर जैन तीर्थक्षत्र कमेटी से सम्पर्क करें या हमें 9910690823 पर व्हाट्सआप करें और तीर्थ संरक्षण में सहभागी बनें, वर्षायोग में कभी भी स्थापना करें, तीर्थ सुरक्षा कलश प्राप्तकर्ता के नाम तीर्थक्षेत्र कमेटी की मुख पत्रिका तीर्थवंदना व सान्ध्य महालक्ष्मी के आगामी अंक में प्रकाशित भी किये जाएंगे।
समाज रक्षक कलश अपने समाज में जरूरतमंद वर्ग के लिये एक फंड बनाने हेतु, उसके लिये मंदिर कमेटी समाज रक्षक कलश से शुरूआत करें
19 जुलाई 2024// आषाढ़ शुक्ल त्रयोदशी //चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/शरद जैन /
वर्षायोग का अब अर्थ व्यापक हो गया है, आत्मसाधना से धर्म प्रभावना तक पहुंच गया है। इसके लिये बड़े-बड़े कार्यक्रम किये जाते हैं। वर्षायोग के दौरान, बड़ा फंड खर्च किया जाता है, और उस खर्च की पूर्ति के लिये कलशों का उपयोग किया जाता है। कलश किसी के घर पहुंचकर, पुण्य वर्गणा फलदायी हो सके और उसकी राशि का समाज उपयोग कर सके। अब तो कलशों की संख्या भी सीमित से असीमित हो रही है। आज सान्ध्य महालक्ष्मी सभी से अनुरोध करता है कि ऐसे दो विशेष कलशों की स्थापना के रूप में योगदान जरूर करें, अपने धर्म-संस्कृति की रक्षा हेतु और समाज के कल्याण हेतु –
तीर्थ रक्षा कलश – अब तो हर कोई समझ गया होगा कि वर्तमान में हमारे तीर्थों पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं, कहीं छीना झपटी, कहीं बदलने की प्रक्रिया हो रही है, तो कहीं हमारे समाज की उदासीनता से ही हमारे प्राचीन तीर्थ – मंदिर खतरे के निशाने पर हैं।
हां, तीर्थों की रक्षा के लिये लगभग 122 साल पहले महासभा ने एक बैठक में भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी की नींव रखी और तीर्थों की सुरक्षा-संरक्षण की बड़ी शुरूआत हुई, पर वह शुरूआत वहां तक नहीं पहुंच पाई, जिसकी इन 122 सालों में आशा थी। आपको जानकर हैरानगी होगी कि वर्तमान में लगभग 12 हजार दिगम्बर मंदिर-तीर्थ क्षेत्र हैं, जबकि तीर्थक्षेत्र कमेटी की परिधि में 450 भी नहीं, कारण अन्य जुड़े नहीं, या जोड़ने के लिये गंभीर प्रयास नहीं किये गये। तिनके-तिनके की तरह बिखरे हैं। अंगुली को अलग-अलग कोई भी मरोड़ देता है, पर जब वो मुट्ठी बन जाती है, तो जवाब भी देने के काबिल हो जाती है। देर से सही, अब हर मंदिर / तीर्थ को तीर्थक्षेत्र कमेटी से जोड़िये और तीर्थों की सुरक्षा-विकास के लिये एक कलश आपकी वर्षायोग कमेटी स्वयं रखे तथा बाद में वह राशि तीर्थक्षेत्र कमेटी को भेज दे। कलश आप चाहें, तो तीर्थरक्षा कलश तीर्थक्षेत्र कमेटी से भी मंगा सकते हैं, उसके लिये आप चैनल महालक्ष्मी से 9910690823 पर संपर्क कर सकते हैं। कलश आपके पास तीर्थक्षेत्र कमेटी द्वारा पहुंचा दिया जाएगा, सहयोग राशि (जो 11,000 या 21,000 या जो आप तीर्थ सुरक्षा के लिये देना चाहें) सीधे तीर्थक्षेत्र कमेटी को ही भेजें। वक्त है एक नई शुरूआत, नई सुबह की किरण के साथ तीर्थों की सुरक्षा का सूरज क्षितिज पर दमके, इसी भावना के साथ।
दूसरा कलश – समाज रक्षक – जरूरतमंद वर्ग के लिए-
हर समाज में हर कोई सम्पन्न नहीं होता, कभी ऐसी भी स्थिति आ जाती है कि समय पर उचित राशि न होने से परिवार उजड़ने लगते हैं, स्थिति भयावह हो जाती है। वक्त बदल रहा है, वे भी हमारे समाज के अंग हैं, आज जरूरत के समय में काम आकर इस समाज का ही उत्थान करते हैं, परिवार को उजड़ने से बचाते हैं। क्यों नहीं, ऐसी शुरूआत इसी वर्षायोग से करें। ‘समाज रक्षक’ के रूप में जरूरतमंद की सहायता के लिये एक कलश की स्थापना के साथ कल्याण की दिशा में एक कदम बढ़ायें।
ऐसे दो कलशों की स्थापना का आप अपने तीर्थों के प्रति और समाज के प्रति अपने कर्तव्यों को निभाने में उचित पहल कर सकेंगे, यही आशा है।
तीर्थ उद्धार – श्रावक उद्धार कलश भी : आचार्य सुनील सागरजी
इस बारे में सान्ध्य महालक्ष्मी ने आचार्य श्री सुनील सागरजी से भी मौजमाबाद में प्रश्न किया था, तब उन्होंने इन दो कलशों की स्थापना पर जोर देते हुए कहा कि वास्तव में बहुत सारे कलशों की स्थापना जरूरी नहीं है, एक कलश भी रख लिया जाये, तो भी ठीक है, निमित्त हो गया और अगर ज्यादा रखे जाते हैं, बड़े संघ में ज्यादा लोगों की भावना है, तो उसमें कम से कम एक कलश तीर्थ सुरक्षा के निमित्त से जोड़ना चाहिए, जिसकी राशि तीर्थक्षेत्र कमेटी जैसी संस्थाओं के माध्यम से तीर्थक्षेत्र के विकास में लगनी चाहिए। और ऐसे ही अगर ज्यादा कलश रख रहे हैं, तो एक कलश श्रावक जीवन उद्धार के लिए जोड़ना चाहिए। समाज में पिछड़े हुए श्रावक हैं, उन्हें हम चिह्नित करें और उस कलश से आई हुई राशि उसके किसी तरह के खड़े होने में, व्यवसाय में, या उनके बच्चों की पढ़ाई में लगायें।
तीर्थ सुरक्षा कलश का आह्वान मैं भी करूंगा : गणधराचार्य श्री कुंथु सागरजी
कुंथुगिरि पर पहाड़ी पर चल रहे शिखरजी की परिकल्पना जैसी टोंकों के निर्माण को देखने भारतवर्षीय दिगंबर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी के अध्यक्ष बाबू जम्बू प्रसाद जैन के साथ चैनल महालक्ष्मीटीम व समन्वय समिति के समन्वयक डीए पाटिल भी गये, तब गणाचार्य श्री कुंथुसागरजी से तीर्थों की सुरक्षा व संरक्षण पर चर्चा की, तब तीर्थ सुरक्षा कलश स्थापना योजना की जानकारी के साथ ही उन्होंने कहा कि ऐसा कलश कुंथुगिरि में भी रखा जाएगा और अपने संघ में सभी से आह्वान करूंगा कि अपने-अपने चातुर्मास स्थल पर तीर्थक्षेत्र कमेटी की योजना के तहत एक-एक तीर्थ सुरक्षा कलश की भी स्थापना करें। ऐसी सफल योजना के लिये गणाचार्य श्री कुंथुसागरजी ने बाबू जम्बू प्रसाद जैन को आशीर्वाद दिया व कमेटी ने सम्मान किया।
योजना अच्छी है, इसका प्रचार-प्रसार करें, हमारा पूरा आशीर्वाद – आचार्य श्री विशुद्धसागरजी
नदिणी के प्रवेश से पहले चितरी में भारतवर्षीय दिगंबर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी अध्यक्ष बाबू जम्बू प्रसाद जैन जी के साथ चैनल महालक्ष्मी टीम व दक्षिण महासभा के अध्यक्ष डी ए पाटिल भी आचार्य श्री विशुद्ध सागरजी दर्शनार्थ पहुंचे, तब विदेशों से आये कुछ धर्मप्रेमी, विभिन्न धर्मों विशेष कर जैन धर्म के बारे में उत्सुक होकर जिज्ञासायें रख रहे थे। उनके सवाल गहन ज्ञान के परिचायक थे, उनके समाधान आचार्य श्री कर रहे थे और उसका अंग्रेजी अनुवाद का सौभाग्य छोटे महाराज और चैनल महालक्ष्मी को मिला। आचार्य श्री ने नवनिर्वाचित अध्यक्ष के रूप में बाबू जम्बू प्रसाद जैन जी को आशीर्वाद दिया, उन्होंने तीर्थों की सुरक्षा की बात रखी और योजना बताई, तो उन्होंने सहर्ष आशीर्वाद देते हुए कहा कि जम्बू प्रसाद जैन जी तो कुछ दशकों से तीर्थ निर्माण में पहले से ही सहयोग कर रहे हैं और अब तीर्थों की सुरक्षा की भी जिम्मेदारी आ गई है, तीर्थ सुरक्षा कलश योजना के लिये हमारा पूरा आशीर्वाद है, नदिणी कमेटी भी स्थापना करेगी और सभी को तीर्थक्षेत्र कमेटी के हाथ मजबूत करने चाहिए।
कर्नाटक के तीर्थों पर करेंगे तीर्थ कलश योजना, जरूरत प्रसार की – आचार्य गुणधरनंदी जी
वरूर के नवग्रह तीर्थ पर दो दिवसीय सम्मेलन में आचार्य श्री गुणधर नंदी जी द्वारा कर्नाटक में जैन एकता के लिये एक नई शुरूआत करते हुये सभी 15 भट्टारकों की उपस्थिति में अखिल भारत जैन भट्टारक परिषद की स्थापना की। जिसकी अनुमोदना गुजरात के मंत्री, हाईकोर्ट जज, प्रशासनिक अधिकारियों सहित मंदिरों के प्रमुखों द्वारा की गई। इस अवसर पर भारतवर्षीय दिगंबर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी के अध्यक्ष जम्बू प्रसाद जैन जी व चैनल महालक्ष्मी टीम विशेष रूप से आमंत्रित किये गये। दोनों की मंत्री डी. सुधाकर जी, कर्नाटक हाइकोर्ट के जज, प्रमुख भट्टारकों और आचार्य श्री गुणधर नंदी जी से वर्तमान में जैन तीर्थों पर आ रहे संकटों पर चिंतन और उपाय पर लंबी चर्चा हुई। आचार्य श्री गुणधर नंदी जी ने तुरंत तीर्थ रक्षा कलश योजना को सराहा और कहा नवग्रह तीर्थ पर एक कलश रखा जायेगा और आगे कई से बात करेंगे।
भट्टारक परिषद के अध्यक्ष को भुवन कीर्ति भट्टारकजी (कनकगिरि) और सचिव भट्टारक धवल कीर्ति जी (अरिहंत गिरि) ने कहा कि सभी भट्टारकों के बीच में पहली बार तीर्थक्षेत्र कमेटी के अध्यक्ष ने चर्चा की है, हम तो यहां यही समझते थे कि तीर्थों की रक्षा के लिये केवल महासभा आगे आती है, और वो भी निर्मल सेठी जी के जाने के बाद चुप हो गई है। उन्होंने कहा कि तीर्थ सुरक्षा कलश योजना के लिये सभी भट्टारक सहयोग करेंगे, पर अभी इसके प्रचार-प्रसार की बहुत आवश्यकता है। उन्होंने यह भी कहा कि इधर आचार्य श्री चन्द्र सागरजी तो हर बड़े कार्यक्रम में तीर्थ कलश रखवाते हैं। हजारों की उपस्थिति में भट्टारक सम्मेलन में बाबू जम्बू प्रसाद जैन जी का सभी 15 भट्टारकों द्वारा सामूहिक रूप से अभूतपूर्व अभिनंदन किया और कहा कि पिछले 50 सालों में यह पहला अवसर है कि तीर्थक्षेत्र कमेटी के अध्यक्ष ने सभी भट्टारकों से तीर्थों के बारे में चर्चा की है।
आचार्य श्री विमर्श सागरजी, आचार्य श्री सौरभ सागरजी, आचार्य श्री अनेकांत सागरजी, आचार्य श्री पुलक सागरजी, आचार्य श्री सौभाग्य सागरजी, गणिनी आर्यिका श्री ज्ञानमती माताजी, आर्यिका श्री जिनसेन जी सहित अनेक साधु-संतों ने बाबू जम्बू प्रसाद जैन जी को तीर्थ सुरक्षा कलश योजना के लिये भरपूर आशीर्वाद दिया है। जरूरी नहीं हम तीर्थ सुरक्षा कलश की वर्षायोग स्थापना में की जाये, इसे मोक्ष सप्तमी (पारस प्रभु कल्याणक) या किसी अन्य अवसर पर भी किया जा सकता है। जरूरत है एक अच्छी शुरूआत में सहयोग की।