पूरे राजकीय सम्मान के साथ अग्नि संस्कार: विलक्षण प्रतिभा के धनी तीर्थक्षेत्र श्रवणबेलगोला के भट्टारक जगद्गुरू स्वस्तिश्री चारुकीर्ति महास्वामीजी

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23 मार्च 2023/ चैत्र शुक्ल दौज/चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/रंजू अजमेरा बैंगलोर
विश्वप्रसिद्ध ऐतिहासिक तीर्थक्षेत्र श्रवणबेलगोला के भट्टारक परमपूज्य जगद्गुरू कर्मयोगी स्वस्तिश्री चारुकीर्ति महास्वामीजी का आज प्रातःकाल 5.30 बजे श्री मठ के भगवान श्री चन्द्रप्रभु तीर्थंकर जिन मन्दिर के पावन परिसर में सम्यक् समाधिमरण हुआ ।
आज चामुण्डराय मण्डप में दोपहर 4 बजे तक चारूकीर्ति स्वामीजी के अंतिम दर्शन हुए । स्वामीजी के अंतिम दर्शन हेतु देश के सम्पूर्ण भट्टारकगण पधारे और अपनी विनयांजलि अर्पित की ।अन्य सम्प्रदाय के निर्मलानन्द स्वामीजी सहित अनेकों स्वामीजी ने पुष्पहार समर्पित कर विनयांजलि अर्पित की ।

इस अवसर पर कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्दारमैया सहित अनेकों वर्तमान के मंत्रीगण – पुलिस अधिकारी , शासकीय अधिकारी सहित अनेकों विशिष्ट पदाधिकारियों ने पुष्प समर्पित कर अपनी विनयांजलि अर्पित की ।

बाहुबली प्राकृत विद्यापीठ – राष्ट्रीय प्राकृत अध्ययन एवम् शोध संस्थान – श्रवणबेलगोल के निदेशक प्रो. डा .जयकुमार उपाध्ये के अनुसार सूर्यास्त से पूर्व सम्पूर्ण धार्मिक विधि विधानों के साथ एवम् सम्पूर्ण सरकारी गौरव के साथ चंद्रगिरी (छोटे पहाड़) की तलहटी के निषिधिका परिसर में अंतिम संस्कार किया गया । बैंगलोर से श्री सुरेन्द्र हेगड़े ,
दक्षिण भारत तीर्थरक्षा कमेटी के श्री विनोद बाकलीवाल मैसूर ,श्री अशोक सेठी बैंगलोर ,श्री चम्पालाल भण्डारी, श्री कमल कासलीवाल चेन्नई ,श्री क्षेत्र श्रवणबेलगोला के समस्त पदाधिकारीगण सहित देश के कोने – कोने से पधारे अधिकारियों ने श्रद्धासुमन अर्पित किये ।विश्वप्रसिद्ध ऐतिहासिक तीर्थक्षेत्र श्रवणबेलगोला के भट्टारक परमपूज्य जगद्गुरू कर्मयोगी स्वस्तिश्री चारुकीर्ति महास्वामीजी का आज प्रातःकाल 5.30 बजे श्री मठ के भगवान श्री चन्द्रप्रभु तीर्थंकर जिन मन्दिर के पावन परिसर में सम्यक् समाधिमरण हुआ ।

आज चामुण्डराय मण्डप में दोपहर 4 बजे तक चारूकीर्ति स्वामीजी के अंतिम दर्शन हुए । स्वामीजी के अंतिम दर्शन हेतु देश के सम्पूर्ण भट्टारकगण पधारे और अपनी विनयांजलि अर्पित की ।अन्य सम्प्रदाय के निर्मलानन्द स्वामीजी सहित अनेकों स्वामीजी ने पुष्पहार समर्पित कर विनयांजलि अर्पित की ।

इस अवसर पर कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्दारमैया सहित अनेकों वर्तमान के मंत्रीगण – पुलिस अधिकारी , शासकीय अधिकारी सहित अनेकों विशिष्ट पदाधिकारियों ने पुष्प समर्पित कर अपनी विनयांजलि अर्पित की ।

बाहुबली प्राकृत विद्यापीठ – राष्ट्रीय प्राकृत अध्ययन एवम् शोध संस्थान – श्रवणबेलगोल के निदेशक प्रो. डा .जयकुमार उपाध्ये के अनुसार सूर्यास्त से पूर्व सम्पूर्ण धार्मिक विधि विधानों के साथ एवम् सम्पूर्ण सरकारी गौरव के साथ चंद्रगिरी (छोटे पहाड़) की तलहटी के निषिधिका परिसर में अंतिम संस्कार किया गया ।बैंगलोर से श्री सुरेन्द्र हेगड़े ,
दक्षिण भारत तीर्थरक्षा कमेटी के श्री विनोद बाकलीवाल मैसूर ,श्री अशोक सेठी बैंगलोर ,श्री चम्पालाल भण्डारी, श्री कमल कासलीवाल चेन्नई ,श्री क्षेत्र श्रवणबेलगोला के समस्त पदाधिकारीगण सहित देश के कोने – कोने से पधारे अधिकारियों ने श्रद्धासुमन अर्पित किये ।श्रवणबेलगोला के जगत्पूज्य भट्टारक कर्मयोगी स्वस्ति श्री चारुकीर्ति पट्टाचार्य महास्वामीजी का जन्म कर्नाटक के वारंग में 3 मई 1949 को हुआ । आपके पिता पण्डितरत्न थे और आपकी माँ धर्मपारायण थीं, घर में अतिथियों का सत्कार , गाँव के बच्चों को शिक्षाऔर पुस्तकें , कॉपी – पेंसिल आदि वितरित करते थे ।आप विलक्षण प्रतिभा के धनी थे । अल्प वय में २० वर्ष की उम्र में ही 12 दिसम्बर 1969 को आपको आपके गुरु ने भट्टारक पद पर पदासीन किया , तब इनकी माँ बहुत रोयी थी ।

स्वामीजी को पशु – पक्षियों से भी बहुत प्रेम था । आपने उच्च शिक्षा मैसूर यूनिवर्सिटी से प्राप्त की
। श्रवणबेलगोला जैन मठ के निकटतम गाँववासियों को आप द्वारा अन्नदान – आर्थिक सहायता , चिकित्सा – सुविधा , शिक्षा – सुविधा प्राप्त थी । आपके अनुभव से जीवन का कोई भी पहलू अछूता नहीं था । श्रवणबेलगोला और दिगम्बरत्व , अहिंसा , प्रेम , शान्ति ,त्याग , मैत्री की भावना को आपने विश्वपटल पर अंकित किया । आपके सान्निध्य में प्रति 12 वर्ष में होने वाले भगवान बाहुबली के चार महामस्तकाभिषेक यशस्वीरूप से सम्पन्न हो चुके हैं। प्रत्येक महामस्तकाभिषेक में देश के राष्ट्रपति जी , प्रधानमंत्री , राज्यपाल , मुख्यमंत्री सहित अनेकों मंत्रियों की सक्रिय भागीदारी होती है । 1981 के महामस्तकाभिषेक में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने आपको कर्मयोगी की उपाधि से अलंकृत किया । वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी ने भी सन् २०१८ के महा मस्तकाभिषेक में अपनी सहभागिता प्रदान की ।

पूरे राजकीय सम्मान के साथ अग्नि संस्कार श्रवणबेलगोला के जगत पूज्य स्वस्ति श्री चारुकीर्ति भट्टारक पट्टाचार्य महास्वामी जी का आज किया गया जिन शाशन की जय हो स्वामी जी आप को मोक्ष की प्राप्ति हो आपके उपकार और जैन धर्म को विश्व पटल पर जो सम्मान आपने दिलाया है उसे समाज युगों युगों तक चिर स्मृति मे रखेगा