22 मार्च : चैत्र कृष्णा पचमी: तीर्थंकर श्री चन्द्रप्रभु का गर्भ कल्याणक

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22 मार्च/चैत्र कृष्णा पचमी /चैनल महालक्ष्मीऔर सांध्य महालक्ष्मी/

7वें तीर्थंकर श्री सुपार्श्वजी के सिद्धालय जाने के 900 करोड़ सागर बीत जाने के बाद आप वैजयंत नामक अनुत्तर विमान में आयु पूर्ण कर चैत्र कृष्ण पंचमी को चन्द्रपुर के तत्कालीन महाराज महासेन की महारानी लक्ष्मणा देवी के गर्भ में आये। आज के ही दिन रात्रि के पिछले प्रहर व ज्येष्ठा नक्षत्र में मातारानी लक्ष्मणा के गर्भ में अवतीर्ण हुए थे |

चन्द्रमा की भांति श्वेत वर्ण और चन्द्र ही आपका चिह्न भी है।

आपकी आयु दस लाख वर्ष पूर्व और कद 900 फुट ऊंचा था।