पंच कल्याणक महोत्सव के दूसरे दिन बुधवार के गर्भ कल्याणक उत्तरार्द्ध मनाया । इसमें सुबह 6 बजे मंगलाष्टक, दिग्बंधन, रक्षा मंत्र, शांतिधारा, नित्यामह अभिषेक, शांतिधारा, पूजन । साढे़ 8 बजे मुनि संघ के प्रवचन, दोपहर साढे़ 12 बजे सीमंतनी क्रियाएं महिला संगीत माता की गोद भराई । प्रभु के गर्भ पर आने पर बुधवार को माता ने सोलह स्वप्न देखें।
किसी भी धार्मिक अनुष्ठान का शुभारंभ ध्वजारोहण से किया जाता है। ध्वजा का फहराना, सब तरफ धार्मिकता का फैल जाना है। जैन धर्म में पंचवर्ण के ध्वज की परिकल्पना भी की गई है जो पंचपरमेष्ठी का प्रतीक है। इसी ध्वजारोहण के साथ मंगलवार को चंद्रोदय तीर्थ चांदखेड़ी में पंच कल्याणक महोत्सव की शुरूआत हुई। धार्मिक अनुष्ठान केसरिया ध्वज ही फहराया गया। इसी रंग के परिधान धारण करके इन्द्र-इन्द्राणियों ने भगवान की भक्ति की।
पहले दिन गर्भ कल्याणक के रूप में मनाया गया।
युवतियों ने मंगलाचरण से कार्यक्रम की शुरुआत हुई। इसके बाद प्रतिष्ठाचार्य ने दिग्बंधन, रक्षामंत्र, अभिषेक आदि की करवाए। इसके बाद अष्ट कुमारियों ने वेदी शुद्धि की। जिस प्रकार माता के गर्भ में तीर्थंकर का जीव आता है तो अष्ट देवियां आदि सभी काम करती हैं। उसी प्रकार जिस वेदी पर भगवान विराजमान होंगे, उस वेदी की शुद्धि, मंदिर-कलश, शिखर,ध्वज आदि की शुद्धि भी गर्भ कल्याणक के अवसर पर सम्पन्न हुई। गर्भ कल्याणक के साथ इस बाह्य शुद्धता का भावनात्मक संबंध होता है।
घटयात्रा में लाए गए जल से अष्ठ कुमारियां ने प्रतिष्ठा मंडप, जिन मंदिर व पे दी शुद्धि मंत्रित जल कलशों से लेकर की गई। उन घटों को यात्रा में सौभाग्यवती महिलाएं तथा कुमारी बालिकाएं धारण करके चली। गाजे बाजे के साथ निकाली घटयात्रा: गर्भ कल्याणक के दौरान घटयात्रा निकाली गई। मंदिर परिसर से घटयात्रा प्रारंभ हुई।
आगे-आगे चल रहा उदयपुर का सेमारी बैंड स्वर लहरियां बिखेरते हुए घटयात्रा का प्रतिनिधित्व कर रहा है। पीछे अष्टकुमारियां व महिलाएं सिर पर मंगल कलश लिए घटयात्रा की शोभा बढ़ा रही थी। इस दौरान सेमारी बैंड के सदस्यों द्वारा पेश किए गए नृत्य ने भी लोगों को आकर्षित किया।
– दैनिक भास्कर से साभार