चैत्र कृष्ण पंचमी का इस बार क्षय है , इस बार इसलिए 8 वे तीर्थंकर श्री चंद्रप्रभु जी का गर्भ कल्याणक भी आज 1 अप्रैल को ही मना रहे हैं। चंद्रपुर नगर के महाराजा महासेन जी की महारानी लक्ष्मणा के घर में इसी दिन तीर्थंकर का जीव अनुत्तर विमान में अहमिंद्र के रूप में 33 सागर की आयु पूर्ण करके आया। उनके गर्भ में आने से 6 माह पहले ही , सौधर्मेंद्र की आज्ञा से कुबेर ने महल पर तीनों पहर सुबह दोपहर शाम साढ़े तीन करोड़ रत्नों की वर्षा लगातार शुरू कर दी थी ।
अब एक शंका मन में उठ जाती है। जब चंदा प्रभु और पारस प्रभु का जन्म एक ही दिन पौष कृष्ण एकादशी को हुआ और तीर्थंकर का जीव मां के गर्भ में 9 मास ही रहता है, ना कम और ना ज्यादा माह, तो फिर क्यों चंदा प्रभु चैत्र कृष्ण पंचमी और पारस प्रभु वैशाख कृष्ण द्वितीया को गर्भ में आए। 8 माह पारस प्रभु गर्भ में रहे, जबकि शास्त्रों में कहीं बात गलत नहीं हो सकती। इस शंका का समाधान यही है कि जब पारस प्रभु गर्भ में रहे तब अधिक मास वाला वर्ष रहा होगा, इसलिए मास गणना 9 की बजाय 8 रह गई।
बोलिए चंदा प्रभु पारस प्रभु की जय जय जय।