20 मार्च/चैत्र कृष्णा द्वितीया /चैनल महालक्ष्मीऔर सांध्य महालक्ष्मी/
सान्ध्य महालक्ष्मी आपको कल्याणकों पर बहुत रोचक जानकारी दे रहा है
हिंदी तिथि कलैण्डर का प्रथम माह है चैत्र जो इस वर्ष 19 मार्च से शुरू हो रहा है, और यही शुरूआती माह कल्याणक अधिपति माह कहा जाये तो गलत ना होगा। सबसे ज्यादा कल्याणक दिन यानि 12 दिन और सबसे ज्यादा कल्याणक 17, इसी चैत्र माह में आते हैं। अगर इसमें अभी गये फाल्गुन माह के यानि बैक टू बैक दो माह को देखे लें, केवल इन दो में ही 23 दिों में 32 कल्याणक आ जाते हैं, 120 कल्याणकों में से 25 फीसदी से भी ज्यादा। इन दिनों में ही सर्वाधिक 5-5 मोक्ष कल्याणक आते हैं।
पूरे वर्ष में 24 तीर्थंकरों के 120 कल्याणक (गर्भ-जन्म-तप-ज्ञान-मोक्ष) कुल 89 दिनों में आत ेहैं यानि 16 दिन दो-दो, 6 दिन तीन-तीन और पौष कृष्ण एकादशी को चार कल्याणक आते हैं।
वैसे साल में ज्यादा कल्याणकों वाला पखवाड़ा फाल्गुन कृष्ण है, जिसमें सर्वाधिक 11 कल्याणक आते हैं, उसके बाद चैत्र के दोनों कृष्ण-शुक्ल पक्ष में 8 और 9 कल्याणक आते है।
ऐसा कोई पखवाड़ा नहीं, जिसमें कल्याणक नहीं आया हो। सबसे कम एक कल्याणक तीन माह में आते हैं, और तीनों ही कृष्ण पक्ष के – भाद्रपद, आश्विन और मार्ग शीर्ष। अगर किसी माह की दृष्टि से देखें तो आश्विन माह में मात्र 3 कल्याणक आते हैं।
सबसे अधिक अंतर दो मोक्ष कल्याणकों में 88 दिन का है। यानि नये वीर संवत की शुरूआत (कार्तिक शुक्ल एकम: से 88 दिन तक कोई मोक्ष कल्याणक नहीं। यानि शीत ऋतु में या कहे 5 पखवाड़ों में वीर संवत कलैंडर के अनुसार मोक्ष कल्याणकों की शुरूआत प्रथम तीर्थंकर श्री ऋषभनाथ जी की मोक्ष तिथि माघ कृष्ण चतुर्दशी से होती है। यानि वर्ष में 89 दिन कल्याणक और जैन कलैंडर के शुरू होने के 89 दिन ही पहला मोक्ष कल्याणक।
पूरे वर्ष में मात्र एक दिन चैत्र कृष्ण अमावस (जो इस वर्ष एक अप्रैल) को एक ही दिन में दो तीर्थंकरों (अनंतनाथजी व अरहनाथ जी) का मोक्ष कल्याणक होता है, वहीं, वर्ष में एक दिन पौष कृष्ण एकादशी को दो तीर्थंकरों (चन्दाप्रभु व पारस प्रभु का जन्म-तप कल्याणक होता है।
तीर्थंकर संभवनाथ जी (3), सुमतिनाथ जी (5), अरहनाथ जी (18) व महावीर स्वामी (24) के जन्म व तप कल्याणक अलग-अलग दिन आते हैं, शेष 20 तीर्थंकरों के जन्म-तप कल्याणक एक ही तिथि को आते हैं, यह एक अद्भुत संयोग है।
कुछ तीर्थंकरों को जन्म-मोक्ष या जन्म-ज्ञान, या जन्म-तप, या तप-मोक्ष एक ही दिन आता है, या यही कहें कि एक ही माह में आता है, पर क्या आप बता सकते हैं कि कितने तीर्थंकरों का गर्भ और जन्म कल्याणक एक ही माह में आते हैं। सोचिए, एक, दो, पांच, नहीं, नहीं, ज्यादा मत सोयिे किसी का नहीं आया है ना आयेगा। क्यों?
हां सवाल का जवाब भी जान लीजिए। तीर्थंकरों का जन्म नौ माह के अंतराल पर ही होती है, न 8 में न 10 में और 13 का तो मतलब ही नहीं, बस इसीलिए गर्भ-जन्म एक माह में नहीं हो सकता।
साल के 24 पखवाड़ों में एक पखवाड़ा है ज्ञान पखवाड़ा। पौष शुक्ल माह – इसमें चारों कल्याणक- ज्ञान कल्याणक (शांतिनाथ जी – 10, अजितनाथ जी -4, अभिनंदन नाथ जी – 14, धर्मनाथ जी – 15) आते हैं।