आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के शिष्य मुनिश्री निर्मोह सागर महाराज, निष्पक्ष सागर महाराज, निष्काम सागर महाराज, नीरज सागर महाराज एवं निस्संग सागर महाराज का दीक्षा दिवस उपकार दिवस के रूप में मनाया गया। जैन धर्म में मुनि दीक्षा संयम का महापर्व होता है। 12 अगस्त को चौक जैन धर्मशाला में हुये दीक्षा महोत्सव में प्रातः मुनिसंघ की श्रद्धालुओं द्वारा चरण वंदना की गई। चौक जिनालय में मुनिसंघ के सानिध्य में मूलनायक भगवान आदिनाथ चौबीस तीर्थंकर भगवान की प्रतिमाओं का अभिषेक और जगत कल्याण की भावना को लेकर मंत्रोच्चारित शांतिधारा की गई। अष्ट द्रव्य से भगवान जिनेन्द्र की वंदना और आचार्य श्री की आराधना के साथ श्रद्धालुओं ने भजन गाकर भक्ति नृत्य किया। मुनिद्वय ने दीक्षा दिवस के पावन अवसर पर आशीषवचन में कहा कि गुरू कृपा से बांसुरी बना मैं तो ढेढ बांस था गुरूजी ने उपकार करके संयम का पथ दिखलाया दीक्षा प्रदान कर गुरू ने अनन्त उपकार किया है। समर्पण मात्र देने का नाम नहीं हैं समर्पण तो वह है जहां आप स्वयं के ज्ञान का उपयोग पूरी तरह से बंद कर बस गुरू के चरण चिन्ह और पथ दिखलाई दे उसी पर चलते रहें, उसी का नाम समर्पण है। मुनिद्वय ने समाधिस्थ मुनि निकलंक सागर महाराज को भी याद किया।
चातुर्मास समिति के अध्यक्ष प्रमोद हिमांशु ने कहा कि आचार्य श्री ने दिगम्बरत के पथ पर अविरल बढ़ते हुये मोक्ष मार्गियों का मार्गदर्शन व आशीर्वाद जन-जन को दिया है यह उनकी महती कृपा है। चातुर्मास समिति के कार्य अध्यक्ष मनोज बांगा, संयोजक नरेन्द्र टोंग्या ने बताया कि दीक्षा महोत्सव के साक्षी बनने नागपुर नंदूरबाग महाराष्ट्र, पनागर, दमोह, रांझी, देवास, आष्टा, सारोडा, विदिशा सहित अनेक शहरों के श्रद्धालु पधारे। चातुर्मास समिति के पदाधिकारियों ने मुनिद्वय के गृहस्थ अवस्था के माता-पिता एवं रिश्तेदारों का बहुमान किया। समाज के श्रेष्ठीगणों, प्रतिमाधारी त्यागी वृत्तियों ने मुनिसंघ को श्रीफल समर्पित कर आशीर्वाद लिया।
इस अवसर पर समाज के प्रमुख प्रमोद हिमांशु, मनोज बांगा, आदित्य मनिया, देवेन्द्र -रूचि, विनोद चौधरी अनुपम, वीरेन्द्र अजमेरा, वैभव चौधरी सीए, मनोज जैन एडवोकेट, दीपक-दीपराज, पंकज टेलर, सुनील अरिहंत, योगेश-वंदना, साकेत, अभिलाष सर्राफ सहित विभिन्न मंदिर समितियों के पदाधिकारी, गुरू भक्त परिवार, सोशल गु्रुप, महिला महासमिति, जैनम दिव्य घोष, बहुमंडल, पाठशाला परिवार आदि पदाधिकारी मौजूद थे।
उच्च शिक्षा और घर में भरपूर सुख संपदा सबकुछ छोड़ चल पड़े वैरागी मोक्ष मार्ग पर
वर्तमान में जहां सभी लोग उच्च शिक्षा के साथ-साथ भौतिक सुख-सुविधा के लिये संपत्ति के पीछे भाग रहे हैं ऐसे में मोक्ष मार्गी आचार्य श्री विद्यासागर महाराज से आशीर्वाद और दीक्षा लेकर मोक्ष मार्ग पर चल पड़े।
मुनिश्री निर्मोहसागर जी महाराज
इन्हीं में से निर्मोहसागर महाराज दमोह जिले में गृहस्थ अवस्थ में ब्रह्मचारी सुनील बजाज के नाम से थे पिता स्व. निर्मल बजाज, माता श्याम देवी बजाज के 6 पुत्र-पुत्रियों में सबसे छोटे आप थे। एलएलबी, एम.काम. के बाद चार्टेड एकाउन्टेंट बन निजी बड़ी कंपनी में बड़ा पद छोड़कर वैराग्य धारण किया।
मुनिश्री निष्पक्षसागर जी महाराज
आप सागर जिले में गृहस्थ अवस्था में ब्रह्मचारी आलोक भैया के नाम से पिता कैलाश जैन, माता श्रीमती विमला रानी के 4 पुत्र-पुत्रियों में आप तीसरे नंबर के थे लौकिक शिक्षा एम.ए. राजनीति शास्त्र से करने के बाद बम्बई की कंपनी में जॉब छोड़कर वैराग्य धारण किया। कहते हैं जैसी संगति वैसी मति। युवा अवस्था में मुनियों का कमंडल पकडकर विहार कराने की रूचि के साथ ही एक दिन स्वयं कमंडल थाम लिया।
मुनिश्री निष्कामसागर जी महाराज
पूज्य मुनिश्री निष्काम सागर महाराज रांझी जिला जबलपुर में गृहस्थ अवस्था में ब्रह्मचारी संतोष भैया के नाम से पिता मगनलाल जी, माता श्रीमती विद्या देवी जी के 4 पुत्र-पुत्रियों में सबसे छोटे थे। सांसारिक जीवन में दूसरों की दुख तकलीफों को देखकर सदैव मदद को तत्पर रहते थे।
मुनिश्री नीरजसागर जी महाराज
पूज्य मुनिश्री नीरज सागर महाराज में गृहस्थ अवस्था में छपारा जिला सिवनी पिता नरेन्द्र जी, माता श्रीमती पुष्पा जी के 3 पुत्र / पुत्रियों में सबसे छोटे थे।
मुनिश्री निस्संगसागर जी महाराज
आप नागपुर (महाराष्ट्र) गृहस्थ अवस्था में ब्रह्मचारी पवन भैया के नाम से पिता अशोक कुमार जी, माता श्रीमती ममता जी के 4 पुत्र / पुत्रियों में आप तीसरे नंबर के थे आपकी शिक्षा बी.काम., एम.टेक थी दीक्षा का कारण आपको गृहस्थ अवस्था में ऐसा लगा संसार में सभी रिश्ते-नाते एक दूसरे का इस्तेमाल कर रहे हैं और यदि इस्तेमाल होना ही है तो अध्यात्म के क्षेत्र में जाकर स्वयं का कल्याण करें। आपने गृहस्थ अवस्था में पुणे और मुम्बई में एलजी कंपनी में उच्च पद पर सेवायें दी हैं।
अंशुल जैन (पत्रकार) भोपाल