12 मार्च/फाल्गुन शुक्ल दशमी /चैनल महालक्ष्मीऔर सांध्य महालक्ष्मी/
विलुप्त सरस्वती नदी और वर्तमान की घग्घर नदी के मुहाने पर करीब 1762 साल पूर्व स्थापित यह किला राजस्थान का सबसे पुराना किला माना जाता है. इसके साथ ही यह सबसे मजबूत किलों में भी शामिल रहा है. तैमूर लंग ने अपनी आत्मकथा तुजुक-ए-तैमूरी में लिखा है कि उसने इससे मजबूत किला पूरे हिन्दुस्तान में नहीं देखा है.
52 बीघों में फैले 52 बुर्जों के इस किले का इतिहास जितना शानदार है आज इसकी हालत उतनी ही जर्जर है. इतिहासकारों के अनुसार मंगलवार को जीतने के कारण इस किले का नाम भटनेर से बदलकर हनुमानगढ़ कर दिया गया था. किले के आसपास आबादी बस चुकी है और इसके बुर्ज जर्जर होकर कभी भी गिरने की स्थिति में आ चुके हैं! पुरातत्व विभाग भी इस किले के रखरखाव पर करोड़ों का बजट खर्च कर चुका है. इस बजट में लाखों रुपये के घोटाले का मामला सीबीआई में भी चल रहा है. राजा भूपत सिंह द्वारा स्थापित इस किले के साथ उन्होने पंजाब के भटिण्डा और हरियाणा के सिरसा में भी किले स्थापित किये थे. भाटी राजा होने के कारण ही इस किले का नाम भटनेर और भाटी होने के कारण ही पंजाब के किले का नाम भटिण्डा पड़ा !
इसलिए ही भटनेर को भारत का प्रवेशद्वार भी कहा जाता है क्योंकि मुगलों सहित जितने भी विदेशी आक्रांता भारत में आये उनका पहला सामना भटनेर में ही होता था।
इस किले में रानियों द्वारा जौहर किये जाने का शीलालेख भी लगा हुआ है।
इसके साथ ही इस मंदिर में करीब 1500 साल पुराना एक #जैन_मंदिर भी है जिससे पता चलता है कि यहां के राजाओं में जैन सम्प्रदाय के प्रति अच्छा रूझान था।कहा जाता है कि दिल्ली सल्तनत की महारानी रजिया सुल्तान को भी कभी इस किले में कैद करके रखा गया था।