चक्रवर्ती भगवान भरत ज्ञानस्थली दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र, बड़ी मूर्ति, कनाॅट प्लेस में भगवान #भरत स्वामी की पंचकल्याणक हर्षोल्लासपूर्वक सम्पन्न

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भगवान भरत स्वामी का हुआ महामस्तकाभिषेक
चक्रवर्ती भगवान भरत ज्ञानस्थली दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र, बड़ी मूर्ति, कनाॅट प्लेस में गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी की पावन प्रेरणा से 31 फुट उत्तुंग भगवान भरत एवं ह्रीं की 24 रत्न प्रतिमाओं की पंचकल्याणक प्रतिष्ठा ज्येष्ठ शुक्ला षष्ठी से दशमी 16 से 20 जून 2021 तक सरकार के नियमों के निर्देशानुसार सम्पन्न की गई। भगवान भरत स्वामी की 31 फुट उत्तुंग उंची प्रतिमा अत्यन्त ही मनोहारी अतिशयकारी प्रतिमा की स्थापना की गई, जिसमें चारित्रचक्रवर्ती आचार्यश्री शांतिसागर जी महाराज के अक्षुण्य परम्परा के सप्तम पट्टाचार्य श्री अनेकांतसागर जी महाराज एवं भारतगौरव गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी के पावन ससंघ सान्निध्य में पंचकल्याणक प्रतिष्ठा सम्पन्न की गई।

जिसका झण्डारोहण पूर्वक शुभारंभ श्री वीरचंद-उषारानी जैन, अजय कुमार बड़जात्या, करोलबाग, दिल्ली के द्वारा हुआ, जिसमें माता-पिता बनने का सौभाग्य श्री अनिल कुमार-श्रीमती अनीता जैन, प्रीतविहार-दिल्ली, सौधर्म इन्द्र श्री अध्यात्म-अर्पिता जैन-लखनऊ, धनकुबेर श्री धीरेन्द्र-सुनंदा जैन, राजाबाजार, ईशान इन्द्र श्री राहुल-डाॅ. मोनिका जैन, विकासपुरी सुपुत्र श्री मनोरमा-महेशचंद जैन, यज्ञनायक श्री मुकेश जैन ठेकेदार, बंगाली मार्केट, श्री विजय-रश्मि जैन, राजपुर रोड, श्री प्रदीप-हेमलता जैन, खारीबावली, श्री जिनराज-मंजू जैन, सिविल लाइंस, श्री अरिहंत-आशिका जैन, बंगाली मार्केट, श्री विनोद-शकुन्तला जैन, उत्तमनगर, मुख्यरूप से सौभाग्य प्राप्त किया। सम्पूर्ण कार्यक्रम प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका श्री चंदनामती माताजी के मार्गदर्शन एंव पीठाधीश स्वस्तिश्री रवीन्द्रकीर्ति स्वामीजी के निर्देशन एवं जैन सभा, नई दिल्ली के श्री अतुल जैन, श्री राजकुमार जैन, श्री विनोद जैन, श्री राकेश जैन, श्री सुनील जैन, श्री सुदर्शन जैन आदि का विशेष सहयोग से सम्पन्न हुआ। सम्पूर्ण कार्यक्रम प्रतिष्ठाचार्य विजय कुमार जैन, प्रतिष्ठाचार्य डाॅ. जीवन प्रकाश जैन, दीपक जैन, सतेन्द्र जैन, वीरेन्द्र जैन-जम्बूद्वीप-हस्तिनापुर ने विधिविधानपूर्वक सम्पन्न कराया। मंच संचालन श्री बिजेन्द्र जैन-शाहदरा के द्वारा किया गया।

16 जून को भगवान का गर्भकल्याणक मनाया गया, जिसमें सौधर्म इन्द्र की सुधर्मासभा के माध्यम से भगवान ऋषभभदेव पंचकल्याणक प्रतिष्ठा के माध्यम से माता के सोलह सपने और उन सपनों का फल पिता नाभिराय के द्वारा बताया जाना, नगरी की रचना, धनकुबेर द्वारा रत्नों की वर्षा आदि कार्यक्रम सम्पन्न किये गये। 17 जून को जन्मकल्याणक के शुभ अवसर पर पूज्य गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी के द्वारा भगवान के जन्म की घोषणा एवं ऐरावत हाथी पर सौधर्म इन्द्र श्री अध्यात्म जैन-सौ. अर्पिता जैन के द्वारा जैन हैप्पी स्कूल से भरत ज्ञानस्थली तीर्थ तक रथयात्रा गई। वहाॅं पर जन्माभिषेक का सुंदर कार्यक्रम सम्पन्न किया गया एवं सौधर्म इन्द्र के द्वारा भगवान को वस्त्र पहनाया जाना आदि कार्यक्रम सम्पन्न किये गये। मध्यान्ह में आचार्यश्री अनेकांतसागर जी महाराज एवं गणिनी श्री ज्ञानमती माताजी के द्वारा जन्मकल्याणक के उपलक्ष्य में प्रवचन के माध्यम से प्रकाश डाला गया। संध्याकालीन सभा में भगवान का पालना एवं बालक्रीड़ा का दृश्य सम्पन्न किया गया।

तृतीय दिवस 18 जून को भगवान ऋषभदेव का राज्याभिषेक एवं नीलांजना का नृत्य, जिसमें भगवान को वैराग्य हो जाता है, उस वैराग्य की अनुमोदना करने के लिए स्वर्ग से लौकांतिक देव आकर भगवान के त्याग एवं वैराग्य की अनुमोदना करते हैं। तत्पश्चात् भगवान का दीक्षाकल्याणक आचार्यश्री के द्वारा एवं पीठाधीश रवीन्द्रकीर्ति स्वामीजी के द्वारा सम्पन्न कराया गया। महामुनि भगवान ऋषभदेव दीक्षा के पश्चात् ध्यानमग्न हो जाते हैं। चतुर्थ दिवस 19 जून को केवलज्ञानकल्याणक की क्रियाओं में प्रातःकाल महामुनि भगवान ऋषभदेव की आहारचर्या करवाने के लिए प्रतिष्ठाचार्य श्री विजय कुमार जैन भगवान को लेकर आहार कराने के लिए उठते हैं, जिसमें बहुत ही सुंदर मनोहारी दृश्य लोगों को आहार विधि न मालूम होने के कारण अनेक प्रकार से भगवान को वस्तुएं प्रदान करने का प्रलोभन देते हैं।

इस श्रृंखला में राजा श्रेयांस बने श्री अभय कुमार जी जैन सुनीता जैन, प्रीतविहार, दिल्ली के द्वारा भगवान के आहार की प्रक्रिया को इक्षुरस से आहार सम्पन्न किया जाता है। जिसमें सभी मुख्य पात्रों ने क्रम-क्रम से भगवान को आहार देने का सौभाग्य प्राप्त किया। मध्यान्ह में केवलज्ञानकल्याणक की क्रियाएं एवं भगवान के अंकन्यास एवं अदिवासन, प्राणप्रतिष्ठा एवं सूरिमंत्र के साथ भगवान के केवलज्ञानकल्याणक की क्रियाएं पूर्ण हुईं एवं भगवान के समवसरण की रचना सौधर्म इन्द्र की आज्ञा से धनकुबेर ने की, जिसमें गणधर के रूप में आचार्यश्री अनेकांतसागर जी महाराज एवं पूज्य गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी का मंगल उपदेश हुआ एवं सभी भक्तों ने भक्तिपूर्वक समवसरण की आरती की। 20 जून को भगवान के मोक्षकल्याणक की क्रियाएं सम्पन्न की गईं, जिसमें कैलाशपर्वत की रचना करके भगवान के मोक्षकल्याणक की क्रियाओं को सम्पन्न किया गया, जिसमें भगवान कैलाशपर्वत से मोक्ष पधारे, उस हेतु निर्वाणलाडू चढ़ाकर भगवान का मोक्षकल्याणक मनाया गया।

इसके पश्चात् महामस्तकाभिषेक प्रारंभ हुआ, जिसमें सर्वप्रथम श्री अजय कुमार जैन, माॅडल टाउन ने प्रथम कलश करने का सौभाग्य प्राप्त किया एवं सभी मुख्यपात्रों ने प्रथम दिन भगवान का मस्तकाभिषेक सम्पन्न किया,
-विजय कुमार जैन, प्रतिष्ठाचार्य, जम्बूद्वीप