बच्चों में कैरियर मतलब- बोझ ढोने वाला – सदा दूसरों का गुलाम , करैक्टर पर ध्यान दे,जिससे उनका भविष्य उज्जवल बने- आर्यिका सरस्वती भूषण

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जागृति एन्क्लेव : अखंड भक्तामर पाठ में मिला आर्यिका सरस्वती भूषण माताजी का सान्निध्य बच्चों को उच्च शिक्षा के साथ उच्च संस्कार भी दें
21 मार्च/चैत्र कृष्णा तृतीया /चतुर्थी /चैनल महालक्ष्मीऔर सांध्य महालक्ष्मी/

आर्यिका श्री सरस्वती भूषण माताजी ने प्रमुख समाजसेवी, सांध्य महालक्ष्मी के संस्थापक स्व. श्री श्रीकिशोरजी जैन के निवास-प्रतिष्ठान 451-452 जागृति एनक्लेव में 20 मार्च 2022 को आयोजित अखंड भक्तामर विधान के समापन पर अपने सारगर्भित, मधुर एवं प्रेरक प्रवचन में कहा कि भारत की संस्कृति अत्यंत प्राचीन काल से विश्व भर में महान और पूजनीय रही है, आज प्रत्येक माता-पिता का कर्त्तव्य है कि बच्चों में वे अच्छे संस्कार डालकर उस महान संस्कृति का संरक्षण व संवर्धन करें। आज बच्चों में कैरियर बनाने की होड़ तो लगी है लेकिन कैरक्टर की तरफ किसी का ध्यान नहीं है, यह हम सभी के लिए चिंता की बात है।

कैरियर का मतलब तो बोझ ढोने वाला होता है। वह तो सदा दूसरों का गुलाम ही बनकर रह जाता है। हम सभी को बच्चों के करैक्टर पर ध्यान देना चाहिए जिससे उनका भविष्य उज्जवल बने, महान बने। पूज्य माता जी ने इस अवसर पर श्रीकिशोर जैन द्वारा बच्चों के नैतिक उत्थान के लिए तथा जैन धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए किए गए कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि उनके दिए गए संस्कारों के कारण ही आज उनका पूरा परिवार धर्म प्रचार में लगा है। माताजी ने कहा कि श्रीकिशोर जैन ने सान्ध्य महालक्ष्मी के प्रकाशन से समाज में नई अलख जलाई और उनके सुपुत्र श्री शरद जैन ने उसे आगे बढ़ाते हुए यू-ट्यूब चैनल – चैनल महालक्ष्मी से पूरे देश के जैन समाज की नवीन जानकारियां बड़ी ही निर्भिकता से देकर महान कार्य कर रहे हैं, जबकि आज देखा गया है कि विद्वान का बेटा जरूरी नहीं विद्वान हो, लेकिन सान्ध्य महालक्ष्मी ने अनोखी मिसाल कायम की है।

माता जी ने सभी को आशीर्वाद देते हुए सभी को अपनी सुंदर व प्रेरक पुस्तक अन्तस की अनन्तता तथा मोरल इजुकेशन आफ जैनिज्म भेंट की। माताजी की संघस्थ ब्रह्मचारिणी प्रियंका दीदी ने भी सभी को धर्म मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी।

पाठ का शुभारंभ कृष्णानगर के श्री जे.के. जैन, जिनके कंठ में सरस्वती का वास है, ने देव शास्त्र गुुरू पूजन का अर्थ समझाते हुए तो समापन विधि-विधान के कार्य प्रख्यात विद्वान, विधानाचार्य पंडित डा. अशोक जैन शास्त्री ने बड़े सुंदर एवं रोचक तरीके से भक्तामर के काव्यों का अर्थ समझाते हुए किया।

इस अवसर पर समाज के गणमान्य लोगों ने माताजी का आशीर्वाद प्राप्त किया जिनमें दिल्ली जैन समाज के अध्यक्ष चक्रेश जैन, लालमंदिरजी के मैनेजर पुनीत जैन, भोगल समाज के अध्यक्ष राकेश जैन, शक्तिनगर समाज के अध्यक्ष सुनील जैन, जैनको प्रोपर्टी के निदेशक प्रवीन जैन, विवेक विहार समाज के महामंत्री एस.के. जैन, टुडे टी के मार्किटिंग निदेशक संजय जैन, विपिन जैन (अध्यक्ष अहिंसाधाम), बिजेन्द्र जैन (भोलानाथ नगर), पवन कुमार जैन (रोहिणी से.16), रमेश जैन एडवोकेट (नवभारत टाइम्स), अनिल जैन (मैनेजर जागृति एन्क्लेव), पी.के. जैन (रिटा. जलबोर्ड), संजय जैन (विश्व संगठन) आदि शामिल थे। इनके अलावा यमुनापार दि. जैन समाज रजि. से श्री महेश जैन – सुनील जैन (शुभम एन्क्लेव), अशोक जैन (तरुण मित्र परिषद), प्रदीप जैन अध्यक्ष एवं अमित जैन महामंत्री (जागृति एन्क्लेव समाज) एवं अनेक स्थानीय श्रावकों ने पाठ में भाग लिया।

बच्चों में संस्कार डालने के लिये माताजी द्वारा रचित अंग्रेजी में प्रकाशित पुस्तक का महिलाओं में वितरण किया गया।