वर्तमान को वर्धमान की आवश्यकता है
कर्नाटक में स्थित भद्रगिरी जैन तीर्थ जहां पर कभी जैन धर्म के प्रसिद्ध आचार्य एवं चंद्रगुप्त मौर्य के दीक्षा गुरु पूज्य आचार्य श्री भद्रबाहु स्वामी जी महाराज ने अपना चतुर्मास संपन्न करा था उसी इतिहास को उजागर करने वाले पूज्य आचार्य श्री कुलरत्नभूषण जी द्वारा भद्र गिरी में औषधि जड़ी बूटियां आदि के पेड़ लगाए थे एवं आज कर्नाटक सरकार द्वारा उन पेड़ों को उखाड़ के फेंका जा रहा है
ऎसा सुनने मे आ रहा है कि सरकार वहा पुनर्स्थापना केंद्र बनाना चाहती है इसलिए यह अतिक्रमण चल रहा है ।
सर्वे नंबर 142 मे जिसके 336 एकड़ जमीन है जिसमें भद्र गिरी एवं अन्य गांव भी आते हैं तो हमारी सरकार से विनती है कि भद्रगिरी का 100 एकड़ जमीन छोड़कर अन्य 236 एकड़ जमीन में वह अपना कार्य कर ले क्योंकि “सरकार का काम इतिहास को सुरक्षित रखना है ना की इसे मिटाना ” ।
साथ ही साथ हम सभी को एकजुट होकर इसके खिलाफ उतरना पड़ेगा जिससे हमारे जैन तीर्थ सुरक्षित हो पाएंगे हम “विश्व जैन संगठन” एवं “दिगंबर जैन तीर्थ कमेटी” से अनुरोध करते हैं कि आप सभी शीघ्र ही इस विषय की जांच पड़ताल कर तीर्थ की सुरक्षा बनाएं ।
सभी से अनुरोध है कि इस मैसेज को अधिक से अधिक शेयर करें एवं कर्नाटक सरकार तक यह बात पहुंचाएं।*