बावन गजा जी सिद्ध क्षेत्र ऐतिहासिक संकट के दौर में – हाईकोर्ट में चुनावी विवाद पहुंचने के बाद क्षेत्र पर रिसीवर बैठने का खतरा

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….सम्माननीय सभी ट्रस्टीयों और पूरे भारतवर्ष के जैन समाज से क्षेत्र को बचाने के लिए…… एक विनम्र निवेदन

सिद्ध क्षेत्र बावन गजा के विकास हेतु समर्पित ट्रस्टी गणों और समाज के सभी महानुभाव को संजय अग्रवाल का सादर जय जिनेंद्र…

संपूर्ण भारत वर्ष में बावन गजा सिद्ध क्षेत्र का एक विशिष्ट महत्व है ,पिछले दिनों यहां चुनाव द्वारा नई कमेटी का चयन किया जाना निश्चित हुआ और चुनाव का कार्यक्रम भी संपन्न हो गया

किंतु इस चुनाव के दौरान पहली बार हमने यह देखा कि दो भागों में दो पैनल के माध्यम से सेवाभावी महानुभाव तो सामने आए किंतु उसका दुष्परिणाम यह रहा की हमारा समाज एक विकट स्थिति में खड़ा हो गया ..आपसी मनमुटाव और सामंजस्य का अभाव इस चुनाव में हमें भरपूर देखने को मिला, हम यह नहीं कह रहे हैं कि किस पक्ष की गलती है …लेकिन यह समझ पाना मुश्किल हो रहा है कि इतने समझदार और अनुभवी लोग जो अपने धर्म के प्रति समर्पित हैं और क्षेत्र के विकास के लिए आगे आए हैं तो अपने सारे पूर्वाग्रहों को छोड़कर समाज हित और क्षेत्र हित में कोई एक ऐसा निर्णय क्यों नहीं करते हैं, जिससे आने वाली पीढ़ी को एक सुव्यवस्थित और विकसित तीर्थ क्षेत्र सौंपकर जाए

आज हमारा आपसी मन भेद हमारे क्षेत्र की बहुत बड़ी हानि कर रहा है, इस बात को हमें समझना होगा, चुनाव में किसी एक पक्ष को अधिक मत मिल जाना, उसके बाद किसी दूसरे पक्ष के पक्ष में ज्यादा ट्रस्टीयो के दिखने के बावजूद चुनाव न करवाना और बार-बार आपसी सामंजस्य बिठाने की दुहाई देना, और उसके बाद कभी कुछ ट्रस्टीयों को बाहर का रास्ता दिखाना तो कभी तीर्थ रक्षा कमेटी के नए सदस्यों का समावेश कर लेना, तो उसके विरुद्ध फिर SDM के न्यायालय में प्रकरण का जाना और फिर वहां से किसी एक पक्ष का जीत जाना, उसके बाद ट्रस्ट के सबसे अनुभवी और जिम्मेदार महानुभाव का ट्रस्टीयो के नाम एक पत्र का लिखना और उसी के बीच हाई कोर्ट में याचिका दायर कर कोर्ट से स्टे ले लेना …. यह किस मानसिकता को दर्शा रहा है?

क्या हम वास्तव में बावन गजा में क्षेत्र का विकास और समाज के हित के लिए आगे आए थे या अपनी कुर्सी को सिर्फ बचाने के लिए आगे आए थे … आज मुझे यह समझ में नहीं आ रहा है कि जिस क्षेत्र में समाज के लोगों को अपना समय और पैसा दोनों खर्च करना है वहां पर कुर्सी की लड़ाई और कालर की लड़ाई इतनी अधिक महत्वपूर्ण क्यों हो गई कि जिसे लेकर हमने पूरे क्षेत्र को आज दांव पर लगा दिया है … अभी एक पक्ष हाई कोर्ट से स्टे लेकर आया है तोै दूसरा पक्ष हाईकोर्ट में स्टे लाने वाले पक्ष को पूरी तरीके से नंगा करने पर तुला हुआ है,

पिछले डेढ़ माह में मैंने स्वयं अनुभव किया कि वहां पर वर्तमान में चुनाव के बाद जो कर्मचारी कार्य कर रहे हैं या तो उनकी मौज हो रही है या वह खुद इतने घबराए हुए हैं कि कैसे इस क्षेत्र से अपने आप को सुरक्षित निकाल कर भाग जाएं , वे स्वयं इतने चिंतित हैं कि यह लड़ाई अब क्षेत्र के खातों के हिसाब से लेकर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ,वहां पर हुए निर्माण में हुई धांधली से लेकर जितनी गड़बड़ियां वहां पर हुई है उस तक पहुंचने वाली है, साथ ही क्षेत्र की जमीन, क्षेत्र पर वन विभाग की बार-बार दावेदारी और वहां के आदिवासियों का क्षेत्र पर अपना अधिकार होना बताना इस क्षेत्र को एक बहुत बड़े संकट की ओर धकेल रहा है ,

आज जिन लोगों के कंधों पर समाज ने क्षेत्र के विकास की इतनी महकती और बड़ी जिम्मेदारी सौंपी थी वही अपने आप को उस क्षेत्र का इकलौता वारिस मानने लगे है…. ऐसे सभी सज्जनों को यह नहीं भूलना चाहिए कि समाज ने आपको क्षेत्र के विकास और वहां के उत्थान की जवाबदारी दी थी ,आपको मालिक नहीं बनाया था इस बात को आप अच्छे से ध्यान में रखें अन्यथा समाज तैयार है….आप लोगों के इस प्रकार के कृत्य़़ो से समाज विचलित है …और कहीं वह दिन ना आ जाए जो गलती अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने की थी कि ,जब वह चुनाव में हार गए थे और उसके बाद भी अपनी सारी कलाकारीयो और हठधर्मिताओं के चलते अपने आप को ही सर्वोपरि मानने का भ्रम पालते रहे… लेकिन जब जनता जागी तो डोनाल्ड ट्रंप जैसे महा शक्तिशाली को भी पीठ दिखाकर भाग खड़ा होना पढ़ा था और वर्तमान में विवश होकर अगर समाज अपने क्षेत्र को बचाने के लिए आगे आता है तो वह दिन दूर नहीं जब समाज लाठियां लेकर बावन गजा पहुंचेगा और जितने वहां पर जिम्मेदार लोग हैं उन सब से वहां का पाई पाई का हिसाब लेगा….

आप सब को इस बात को समझना होगा कि कोई भी तीर्थ क्षेत्र सिर्फ आप ट्रस्टीयों या वहां पर जो जिम्मेदार लोग बैठे हुए हैं उन सबकी ही इकलौती बपौती नहीं है …यह समाज की धरोहर है ,वर्षों से यह हमारे प्राचीन क्षेत्र है, जहां पर सदियों से हमारे आचार्यों और साधु संतों के साथ ही समाज के अनेकों समय दानियो और दान वीरों ने अपना परिश्रम और समय लगाया है, और अगर आपने समय रहते अपनी समझदारी को नहीं दिखाया तो फिर इसे बचाने के लिए पूरे भारतवर्ष का समाज अगर उठ खड़ा होगा तो आप लोगों को जवाब देना भारी पड़ जाएगा …

इसलिए मेरा आप सभी से मेरा विनम्र आग्रह है कि मैं जो पिछले दो माह से सामंजस्य बिठाने के लिए प्रयासरत हूं, उसमें अब समाज आगे आएं और सब मिल बैठकर कोई एक ऐसा रास्ता निकालें… जिसमें सभी लोगों का मान सम्मान भी बरकरार रह जाए और मनो मालीन्यता के साथ ही जो कटुता फैली है वह भी दूर हो जाए.. साथ ही हमारा क्षेत्र प्रगति के नए सोपानो को चढ़ते हुए हमारी आपसी एकता को मजबूत कर दे …और क्षेत्र को समर्पित और समय दानी , व उत्साह और उल्लास से भरी नई कमेटी भी मिल जाए…

आज अगर समय रहते समाज नहीं जागा और आगे नहीं आया तो वह दिन दूर नहीं जब हम अब तक के सबसे निर्विवादित क्षेत्र के विवाद और उसकी दुर्दशा के हम सब मूक साक्षी बन जाएंगे… हमारा क्षेत्र विकास से कोसों दूर हो जाएगा…. और वहां कोई व्यक्ति आगे नहीं आना चाहेगा याद रखिएगा… अगर आज समाज ने अपनी जिम्मेदारी को नहीं निभाया तो आने वाली पीढ़ी कभी हमें माफ नहीं करेगी… इसलिए आप सभी महानुभावो से मेरा करबद्ध निवेदन है कि आप सभी आगे आएं और इस क्षेत्र के विवाद को समाप्त करते हुए क्षेत्र की जिम्मेदारी को जो लोग शुद्ध मन से ग्रहण करना चाहते हैं उन लोगों को सौंप कर अपनी इस धरोहर को बचाए अगर आप लोग मेरे इस निवेदन से सहमत हैं तो कैसे इसका रास्ता निकालना है इस पर अवश्य विचार करें…

संजय अग्रवाल,राणापुर -94251 02308, 7748802308
-सोशल मीडिया पर आई एक पोस्ट से
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