अनोप मंडल की किताबे जानबूझकर और विद्वेषपूर्ण रूप से जैन धर्म का अपमान करती है , प्रकाशन दण्डनीय है । 24 सितम्बर, 2021 को राजस्थान गज़ट में पुनः प्रकाशन हुआ है, जो निम्न प्रकार से है
भाग -1 ( ख )
महत्वपूर्ण सरकारी आज्ञायें ।
गृह ( घ ) विभाग
अधिसूचना
जयपुर , अगस्त 5 , 1957
सं . एफ .25 ( 9 ) एच.बी. / 56 : – यतः राज्य सरकार को यह प्रतीत होता है कि नीचे उल्लिखित पुस्तकों , पुस्तिकाओं और दस्तावेजों , जिनमें ऐसा मामला अन्तर्विष्ट है , जिसका भारत के नागरिकों के विभिन्न वर्गों के मध्य विद्वेष और घृणा की भावना को संप्रवर्तित करना आशयित है तथा संप्रवर्तित करती है और जिनका जानबूझकर और विद्वेषपूर्ण रूप से जैन ( बनिया ) समुदाय की धार्मिक भावनाओं को उनके धर्म और उस वर्ग के धार्मिक विश्वास का अपमान करके आहत करना आशयित है और जिसका प्रकाशन भारतीय दण्ड संहिता की धारा 153 क और 295 क के अधीन दण्डनीय है ।
इसलिए राज्य सरकार दण्ड प्रक्रिया संहिता , 1898 ( 1898 का V ) की धारा 99 क द्वारा प्रदत्त शक्तियों को प्रयोग करते हुए एतद्द्वारा पूर्वोक्त पुस्तकों , पुस्तिकाओं और दस्तावेजों की प्रत्येक प्रति को सरकार द्वारा समपहत किये जाने की घोषणा करती है ।
पुस्तकें . पुस्तिकाएं और दस्तावेज
( 1 ) साधु अनूप दास द्वारा हिन्दी में लिखित और संवत् , वर्ष 1968 में श्री वेंकटेश्वर स्टीम मुद्रणालय , बम्बई द्वारा जगत हितकारणी शीर्षक से मुद्रित ग्रन्थ । यह ‘ बनिया ‘ समुदाय के विरूद्ध विद्वेषपूर्ण प्रचार से पूर्ण है ।
( 2 ) संवत् , वर्ष 1982 में ‘ न्याय चिन्तामणि ‘ शीर्षक से प्रकाशित सिरोही के सोनी हरचन्द द्वारा हिन्दी में लिखित पुस्तक । यह पुनः बनिया ( जैन ) समुदाय के विरूद्ध दुष्प्रचार है और जैन धर्म पर प्रहार करता है ।
( 3 ) संवत् , वर्ष 2013 और 1956 ईस्वी में ‘ किताब मुफीद अम मौसुमवाह ‘ शीर्षक से प्रकाशित और बंशी लाल सोलंकी द्वारा श्री कमला मुद्रणालय , कटला बाजार , जोधपुर में मुद्रित पुस्तक । यह अनूप दास के वृहत्तर ग्रन्थ ‘ जगत हितकारणी ‘ का एक उद्धरण है ।
( 4 ) सोनी हरचन्द द्वारा हिन्दी में लिखित और कमला मुद्रणालय , कटला बाजार , जोधपुर द्वारा प्रकाशित ‘ आत्म पुराण ‘ । यह भी बनिया समुदाय की धार्मिक भावनाओं को आहत करने तथा अन्य वर्गों को उनके विरुद्ध उकसाने के लिए लिखी गयी है ।
( 5 ) निम्नलिखित शीर्षक से हिन्दी में मुद्रित पत्रक :
( i ) श्री रामायण मुद्रणालय , दरलियापुर , बड़ीगाँव , बड़ी पासी , अहमदाबाद द्वारा मुद्रित और अध्यक्ष अनूप मण्डल , सिरोही द्वारा प्रकाशित श्री अनूप स्वामीजी की आरती ।
( ii ) अध्यक्ष , अनूप मण्डल , किशिनगर के लिए प्रबन्धक , भारत पॉलिसी फोर्म कम्पनी गवर्नमेंट सरकार हाल द्वारा प्रकाशित और सर्योदय मुद्रणालय , जोधपुर द्वारा मुद्रित ‘ दुखियों की पुकार ‘ । दोनों बनिया समुदाय में वर्ग घृणा और द्वेष संप्रवर्तित करने की दृष्टि से लिखी गयी है ।
राज्यपाल के आदेश से ,
दुर्गा प्रसाद ,
शासन उप सचिव ।