18 अप्रैल 2023/ बैसाख कृष्ण त्रयोदिशि /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/ शरद जैन / EXCLUSIVE/
यह तो आप सब जानते ही हैं कि अयोध्या की पहचान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मुख्यतः दो के रूप में हुई, पहली श्रीराम जी की जन्म भूमि के रूप में तथा दूसरी उसी भूमि पर बनाए गए बाबरी मस्जिद के विवादास्पद ढांचे के रूप में। पर जब 1993 में गणिनी आर्यिका श्री ज्ञानमती माताजी अयोध्या जा रही थी , तो उनके मन में बार-बार यही प्रश्न उभर रहा था कि आज ऐसा क्या हो गया कि विश्व के मानचित्र पर, जिस अयोध्या की पहचान जिस रूप में हो रही है, उससे पहले वह लाखों करोड़ों वर्ष पहले 5 तीर्थंकरों की जन्मस्थली रही है श्री आदिनाथ जी, श्री अजीत नाथ जी, श्री अभिनंदन नाथ जी, श्री सुमति नाथ जी व श्री अनंत नाथ जी तीर्थंकरों के गर्भ और जन्म की यह धरा, उनकी कर्म स्थली भी रही। यही नहीं , ऐसा होने के बावजूद, वहां पर इन सब के मंदिरों की बात तो दूर , उनके चरण जो बने थे, उनकी भी कितनी बुरी दुर्दशा हो रही थी, जैसे जैन ही अपने तीर्थ को भूल गए ।
किसी ने भी इस तीर्थ की ओर जैसे आंख उठाकर नहीं देखा और यही कारण था माताजी प्रथम तीर्थंकर के चरण को देखकर फफक फफक कर रो पड़ी( जिसका पूरा विवरण आप कल जान चुके हैं जिन्होंने नहीं जाना वह कृपया निम्न लिंक को क्लिक करके जान लीजिए )
ऐसा क्या कारण रहा कि आज जैनों की संख्या 44,51,753 के सरकारी आंकड़े से कहीं ज्यादा है। जैन अपनी गिनती को एक करोड़ से भी ज्यादा बताते हैं । 16 सौ से ज्यादा दिगंबर संत भी हैं। फिर क्यों किसी की नजर इस तीर्थ के जीर्णोद्धार पर नहीं पड़ी। यह एक बहुत बड़ा विस्मयकारी प्रश्न चिन्ह है?
तो माताजी ने ठान लिया था कि मैं कैसे भी हालात हो , अयोध्या जाऊंगी और फिर वह पहुंची गई 1993 में अयोध्या। तब जगह-जगह वहां कर्फ्यू लगा था, धारा 144 थी, आगजनी, तोड़फोड़ हो रही थी अयोध्या में अगले पल क्या होगा इस बारे में कोई कुछ नहीं कह सकता था। कब पुलिस की गोलियां चला दें, कब अर्धसैनिक बल आंसू गैस के गोले छोड़ दे, यहां पर हर पल तनावमय था। पर अचानक ऐसा क्या हुआ कि पुलिसवाले बोल उठे श्वेत वस्त्र में एक देवी ने अयोध्या में अब पदार्पण कर लिया है और उसके कारण अब पुलिस ने बंदूक उठाना बंद कर दिया है । अर्धसैनिक बलों ने अपने मार्च के दौरान शांति से टहलना शुरू कर दिया है । एक बार तो माताजी भी हैरान हो गई कि आखिर वह देवी कौन है जिसने जलती अयोध्या को इस तरह शांत कर दिया है, उसे देखना तो चाहिए?
यही नहीं तत्कालीन विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष श्री अशोक सिंघल जी भी उस देवी के पास पहुंचे थे और पूछा था कि वह क्या उपाय है जिससे हमारी यह विवादों में घिरी राम जन्मभूमि पर से सारे विवाद हट जाएं ।अदालत से निर्णय मिल जाए और यहां पर भगवान राम का मंदिर पुनः स्थापित हो। उस देवी ने क्या आशीर्वाद दिया कि कोई चमत्कार हो गया।
यही नहीं आप सभी यह तो जानते हैं कि राम जन्म भूमि के मंदिर को तोड़कर वहां विवादित बाबरी मस्जिद बना दी गई, जिसके लिए अदालत के निर्णय के अनुसार बाद में खुदाई की गई, तो वहां कई प्रमाण मिले उसमें यह भी कड़वा सच है कि कई जैन तीर्थंकर प्रतिमाएं और जैन वस्तुएं मिली। उनको कहा गया कि लखनऊ या अयोध्या म्यूजियम में रखा जाएगा।
पर वे कहां रखी गई? किसी समिति ने क्यों आवाज नहीं उठाई?
बौद्ध संप्रदाय के भी कुछ प्रमाण मिले, उन्होंने यहां आकर अनशन किया और अपना अधिकार प्राप्त किया। पर जैन समाज की ओर से, एक गंभीर चुप्पी रही। इसके बारे में देश के सबसे बड़े अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया ने बाकायदा इस पर खबर भी छापी थी।
पर हां , दूसरी तरफ इस बाबरी मस्जिद के निर्माण को तो बात सब जानते हैं, पर इससे भी सैकड़ों वर्ष पहले किसी और विशाल मंदिर को गिरा कर भी, एक मस्जिद बना दी गई थी । उसके बारे में कोई नहीं जानता।
क्या वह मस्जिद बनी रही ?
क्या मंदिर वालों ने कुछ अधिकार पाया ?
अगर अधिकार पाना है तो कौन सी शर्त थी?
क्या वह कभी शर्त पूरी कर पाए?
ऐसे कई सवाल हैं जो शायद इतिहास के पन्नों में छुपे हैं, जिनके बारे में कोई कुछ नहीं जानता।
जब माता जी अयोध्या पहुंची , तो ऐसा क्या हुआ कि उनकी जन्मस्थली टिकैतनगर, जो महज 65 किलोमीटर की दूरी पर है वहां के युवाओं ने आत्महत्या करने की सामूहिक घोषणा कर दी।
आखिर ऐसा क्या था, आत्महत्या को मजबूर हो रहे थे? तब किया या नहीं?
कहां बनी थी मस्जिद ?
कौन सी थी वह देवी जिसने बंदूकों को शांत कर दिया था ? जलती अयोध्या अब सामान्य हो गई थी ।
आज मंगलवार, रात्रि 8:00 बजे चैनल महालक्ष्मी के एपिसोड नंबर 1811, कुछ ऐसे ही खुलासे होंगे जिनको सुनकर और देखकर, आप दांतो तले अंगुली दबा लेंगे । वह इतिहास अयोध्या का ,जो राम जन्मभूमि से भी बढ़कर कुछ कहता है। जरूर देखिएगा आज मंगलवार रात्रि 8:00 बजे चैनल महालक्ष्मी का विशेष एपिसोड 1811.