अयोध्या पांच तीर्थंकरो का जन्मस्थान- क्यों न मन्दिर बने वहां भव्य आलीशान : गणिनी आर्यिका ज्ञानमति माताजी

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आज का मानव शरीर की सुन्दरता के लिए ब्युटी पार्लर जाकर न जाने कितने स्वांग करता हॆ किन्तु आत्मा की कल्याण के ब्युटी पार्लर मन्दिर पूजन,अभिषेक,आरती,स्वध्याय से दूर भागता हॆ- चन्दनामति माता जी

पूज्य गणिनी आर्यिका ज्ञानमति माताजी ने कॆलाशनगर मे अपने प्रवचनो मे कहा कि केन्द्र सरकार ने जॆन समाज के पांच तीर्थंकरो की जन्मभूमि अयोध्या होने के कारण जॆन समाज की भावनाओ का सम्मान करते हुए अयोध्या मे जॆन तीर्थो के विकास के लिए भूमि आबंटित की बात चल रही हॆ। जॆन समाज को अपने तीर्थंकरो की जन्मस्थली पर मन्दिर निर्माण के लिए आगे आना चाहिए ।

इसके लिए वे वर्ष 2022 को अयोध्या तीर्थ विकास वर्ष के रूप मे मनाते हुए प्रत्येक जॆन समाज के मध्य मे जाकर तीर्थंकरो की पावन भूमि के प्रति भाव जगाने का कार्य करेंगी।

चन्दनामति माता जी ने कहा कि आज का मानव शरीर की सुन्दरता के लिए ब्युटी पार्लर जाकर न जाने कितने स्वांग करता हॆ किन्तु आत्मा की कल्याण के ब्युटी पार्लर मन्दिर पूजन,अभिषेक,आरती,स्वध्याय से दूर भागता हॆ। यही जीवन मे अशन्ति का कारण बनता हॆ।

मंच संचालन करते हुए जॆन समाज कॆलाशनगर के महामन्ञी कमल जॆन ने कहा कि संत जिस धरती पर पांव रख देते हॆ वह माटी चन्दन बन जाती हॆ। संतो का आगमन श्रावको को सदमार्ग दिखाता हॆ। संत राष्ट्र ,समाज व संस्कृति की रक्षा के लिए सनातन काल से ही प्रयत्न करते रहे हॆ।

स्वामी रविन्द्र जी ने कहा कि वे अयोध् मे तीर्थ के विकास के लिए संकल्पबद्ध हो चुके हॆ। समाज के प्रत्येक घर से एक न्युन राशि का सहयोग लेकर एक ऎतिहासिक मन्दिर का निर्माण करेंगे। जॆन समाज कॆलाशनगर के श्रावको ने भी उत्साह दिखाते हुए अयोध्या के लिए प्रतिमा देने का संकल्प लिया।

जेन समाज कॆलाशनगर की प्रबन्धक टीम द्वारा मंच सज्जा की सभी ने सराहना की।बाहर से आए अन्य समाज के लोगो ने माताजी के संघ के लिए कॆलाशनगर समाज द्वारा दी समस्त व्यवस्थाओं की प्रशंसा की। समाज के प्रधान चमन लाल जी ने समस्त अतिथियों का आभार व्यक्त किया।

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