रेड मीट खाने की खपत में कमी दर्ज की गई, पोल्ट्री और मछली की खपत में हो रहा इजाफा
लोग अब सेहत को जायके से ज्यादा तरजीह दे रहे हैं। ब्रिटेन में पिछले एक दशक के दौरान लगभग 20 फीसदी लोगों ने नाॅनवेज की थाली को किनारे कर दिया है। इसका कारण है नॉनवेज खाने वाले लोगों में कैंसर और डायबिटीज टाइप टू और दिल से संबंधित रोगों के बढ़ते मामले। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के एक शोध के अनुसार लोगों ने बेहतर स्वास्थ्य के लिए नॉनवेज खाना या तो कम कर दिया है या फिर बहुत कम कर दिया है।
रेड मीट की खपत में काफी कमी दर्ज की गई है। लेकिन चिकन और मछली खाने की ओर लोगों का रुझान बढ़ा है। शोध के अनुसार लोगों के खान पान में आए इस बदलाव के कारण पर्यावरण में कार्बन उत्सर्जन में भी कमी आएगी। क्योंकि रेड मीट के लिए मवेशियों के पालन में काफी कार्बन उत्सर्जन होता है। खानपान में इस बदलाव के चलते पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी परोक्ष रूप से फायदा होगा। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोध में पाया गया कि 2008-09 के दौरान जहां ब्रिटेन में प्रति व्यक्ति प्रति दिन 103 ग्राम रेडमीट की खपत 2018-19 में 23 ग्राम प्रति व्यक्ति प्रति दिन ही रह गई। पोल्ट्री खपत 3.2 फीसदी बढ़ गई। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने अपने शोध में पाया कि ब्रिटेन में खानपान में बदलाव जरूर आ रहा है लेकिन स्वस्थ जीवन शैली के लिए अब भी काफी प्रयास किए जाने होंगे। लेंसेट प्लेटनरी हेल्थ में प्रकाशित एक लेख के अनुसार पिछले एक दशक के दौरान उच्च आय वर्ग वाले दुनिया के विकसित देशों में नॉनवेज खाने के प्रति रुझान कम हुआ है। लेकिन दुनिया भर में नॉनवेज खाने का औसत बढ़ रहा है।
वेजिटेरियन खाने वाले लोगों का प्रतिशत भी 2 से बढ़कर अब 5 हो गया
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोध के अनुसार पिछले एक दशक के दौरान ब्रिटेन में वेजिटेरियन लोग 2 फीसदी से बढ़कर 5 फीसदी हो गए। नेशनल फूड स्ट्रेटर्जी के अनुसार 2030 तक ब्रिटेन में रेडमीट की खपत को 30% तक घटाने का लक्ष्य है। शोध के अनुसार 1999 के बाद जन्म लेने वाले लोगों में नॉनवेज खाने वालों की संख्या में इजाफा भी दर्ज किया गया है। इसका कारण फास्टफूड खाने में नॉनवेज की अधिकता बताई जा रही है।