जब तक मन के भावों में परिवर्तन नहीं आएगा तब तक कोई भी धार्मिक अनुष्ठान करना मोक्ष मार्ग में सहायक नहीं है: आचार्य श्री अतिवीर जी मुनिराज

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रानी बाग में व्यापक प्रभावना के साथ संपन्न श्री सिद्धचक्र विधान

परम पूज्य आचार्य श्री 108 अतिवीर जी मुनिराज के मंगल आशीर्वाद, कुशल निर्देशन एवं परम पावन सान्निध्य में फाल्गुनी अष्टाह्निका महापर्व के पुनीत प्रसंग पर श्री 1008 सिद्धचक्र महामण्डल विधान एवं विश्वशान्ति महायज्ञ का विराट आयोजन दिनांक 20 मार्च से 29 मार्च 2021 तक श्री शान्तिनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर, रानी बाग, दिल्ली में व्यापक धर्मप्रभावना के साथ सानंद संपन्न हुआ| रोहिणी-पीतमपुरा क्षेत्र के प्रथम जिनालय में यह महाअर्चना लगभग 25 वर्षों के लम्बे अंतराल के पश्चात् आयोजित की गयी जिसमें समस्त समाज ने बढ़-चढ़ कर उत्साहपूर्वक हिस्सा लिया| सभी मांगलिक क्रियाएं पं. श्री धरणेन्द्र जैन शास्त्री व पं. श्री विकर्ष जैन शास्त्री के विधानाचार्यत्व में तथा पारस अम्बर एण्ड पार्टी (दिल्ली) के मधुर संगीत लहरियों के मध्य विधि-विधान पूर्वक संपन्न हुईं| भव्य साज-सज्जा, लाइटिंग, आकर्षक मांडला, सुगन्धित वातावरण तथा भक्तों के उत्साह से समस्त कार्यक्रम विशिष्ट ऊंचाइयों के साथ संपन्न हुआ|

कार्यक्रम का शुभारम्भ दिनांक 20 मार्च 2021 को घटयात्रा व ध्वजारोहण के साथ हुआ| इसी दिन अष्टम तीर्थंकर श्री चन्द्रप्रभ निर्वाण कल्याणक महोत्सव आयोजित किया गया जिसमें मुख्य लाडू 8 किलो का तथा 1-1 किलो के आठ अन्य लाडू श्रीजी के चरणों में समर्पित किये गए| श्री सिद्धचक्र महामण्डल विधान की व्याख्या करते हुए पूज्य आचार्य श्री ने इस विधान को सिद्ध भगवान की अर्चना करने का स्वर्णिम अवसर बताया| आचार्य श्री ने आगे कहा कि जब तक मन के भावों में परिवर्तन नहीं आएगा तब तक कोई भी धार्मिक अनुष्ठान करना मोक्ष मार्ग में सहायक नहीं है| केवल अर्घ्य चढ़ा देना या केवल नाच-कूद कर लेने मात्र से पूजन-अर्चना सार्थक नहीं होती। अंतरंग के परिणामों को विशुद्ध करने की दिशा में जिस दिन हमारे कदम आगे बढ़ जायेंगे, जीवन का वह दिन अनेक उपलब्धियां प्रदान कर जायेगा|

आचार्य श्री ने कहा कि जैन दर्शन में आत्मा के गुणों की पूजा की जाती है। सभी जीवों की आत्मा में एक-समान गुण विद्यमान हैं केवल उन्हें उजागर करने की आवश्यकता है। शास्त्रों में लिखा है ‘अप्पा सो परमप्पा’ अर्थात आत्मा ही परमात्मा है। श्री सिद्धचक्र महामण्डल विधान के माध्यम से हम सिद्ध भगवंतों की आराधना करते हैं तथा यह भावना भाते हैं कि हम भी सम्यक पुरुषार्थ कर परम पद की ओर आगे बढ़ें। श्री जिनेन्द्र देव की निस्वार्थ भक्ति से ही कल्याण संभव है। जीवन में तप-त्याग-साधना के माध्यम से मोक्ष की ओर बढ़ने से ही मनुष्य जीवन की सार्थकता है। मोक्ष मार्ग पर चलने के लिए सर्वप्रथम सम्यक्दर्शन प्राप्त करना होगा| मुख्य अतिथि श्री सत्येंद्र जैन (मंत्री – दिल्ली सरकार) ने इस महाअर्चना में सम्मिलित होकर श्री जिनेंद्र प्रभु व आचार्य श्री के चरणों में अपनी विनयांजलि अर्पित कर मंगल आशीर्वाद प्राप्त किया|

अनिल जैन एण्ड पार्टी (भगवा) के कलाकारों द्वारा प्रतिदिन मनमोहक, प्रेरक व आकर्षक सायंकालीन सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये हुए| दिनांक 26 एवं 27 मार्च 2021 को नेमि-राजुल वैराग्य मंचन किया गया जिसमें भारी जनसमुदाय उपस्थित हुआ| समस्त नगर में राजा नेमिकुमार की भव्य बारात निकाली गयी तथा ऐसे मनमोहक दृश्य ने जैनेत्तर लोगों को भी मन्त्रमुग्ध कर दिया| दिनांक 27 मार्च 2021 को प्रातः कालीन बेला में आचार्य श्री का पिच्छी परिवर्तन समारोह का आयोजन हुआ जिसमें चारों प्रकार के देव-देवी तथा मध्यलोक के इंद्र-इन्द्राणी सहित सैकड़ों गुरुभक्त सम्मिलित हुए| आचार्य श्री की पुरानी मयूर पिच्छिका प्राप्त करने का सौभाग्य श्रीमती बीना जैन सपरिवार (जागृति एन्क्लेव) को मिला| रोहिणी सेक्टर-8 जैन समाज द्वारा निवेदन को स्वीकार कर पूज्य आचार्य श्री ने दिनांक 26 मार्च 2021 को श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर, रोहिणी सेक्टर-8 पधारकर वहां चल रहे श्री सिद्धचक्र महामण्डल विधान में भक्तों को अपना मंगलमय आशीर्वाद प्रदान किया|

विधान का समापन दिनांक 29 मार्च 2021 को विश्वशांति महायज्ञ के साथ हुआ| इससे पूर्व प्रातः काल मूलनायक श्री शान्तिनाथ भगवान का प्रथम बार स्वर्ण कलश से महामस्तकाभिषेक किया गया| भारी संख्या में युवा व बच्चों ने श्रीजी का अभिषेक व वृहद् शांतिधारा कर पुण्यार्जन किया| पूज्य आचार्य श्री कुशल दिशा-निर्देशन में समस्त कार्यक्रम व्यापक धर्मप्रभावना व भव्यता के साथ आयोजित किया गया जिसमें दिल्ली की विभिन्न समाजों से श्रेष्ठिजन व गुरुभक्त पधारे| सभी अतिथियों का रानी बाग जैन समाज द्वारा अभिनन्दन किया गया| विधान समापन के पश्चात् सामूहिक प्रीति भोज की उत्तम व्यवस्था की गयी तथा समस्त समाज ने चन्दन तिलक कर होली मंगल-मिलन किया| उल्लेखनीय है कि दिनांक 18 मार्च 2021 को आचार्य श्री के पावन सान्निध्य में श्री मल्लिनाथ निर्वाण कल्याणक दिवस के अवसर पर भक्तों द्वारा श्रीजी के चरणों में निर्वाण लाडू अर्पित किया गया| कार्यक्रम समापन पर मुख्य मंगल कलश श्री राज कुमार जैन सपरिवार (श्रीनगर) ने प्राप्त किया तथा सौभाग्यशाली परिवारों द्वारा 4 अन्य मंगल कलश, जाप कलश, पुण्याहवाचन कलश तथा ध्वजारोहण कलश श्री प्रमोद जैन सपरिवार (वर्धमान) ने प्राप्त किया|
– समीर जैन