04 अक्टूबर 2006 : आचार्य श्री विद्याभूषण सन्मति सागर जी ने अपने शिक्षा-दीक्षा वरदहस्त कर-कमलों द्वारा मुनि श्री अतिवीर जी को एलाचार्य पद पर प्रतिष्ठित किया

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03 अक्टूबर 2022/ अश्विन शुक्ल अष्टमी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी /
प्रशममूर्ति आचार्य श्री 108 शान्तिसागर जी महाराज (छाणी) की परम्परा में पंचम पट्टाचार्य परम पूज्य गुरुवर आचार्य श्री 108 विद्याभूषण सन्मति सागर जी महाराज ने राजधानी दिल्ली में जन्में एक नवयुवक ब्र नीरज जैन को महावीर जयंती 2006 के अवसर पर त्रिलोक तीर्थ धाम, बड़ागांव (उ प्र) में मुनि दीक्षा प्रदान कर मुनि श्री अतिवीर जी महाराज के रूप में एक दिव्य संत समाज को प्रदान किया| अपने प्रियाग्र शिष्य की विशेष योग्यता, दिव्यता, संगठन व संचालन कुशलता एवं गंभीरता को देखते हुए कृष्णा नगर (दिल्ली) में अपने चातुर्मास कलश स्थापना 2009 के अवसर पर एलाचार्य पद पर प्रतिष्ठित करने की घोषणा कर भक्तों को प्रफुल्लित कर दिया| पूज्य आचार्य श्री ने कहा कि मुनि श्री द्वारा अल्पसमय में ही अभूतपूर्व ज्ञान-गंगा का प्रवाह निरंतर गतिमान है तथा विभिन्न नगरों में व्यापक धर्म प्रभावना संपन्न हो रही है।

आचार्य श्री 108 सुमति सागर जी महाराज के जन्म-दिवस एवं शरद-पूर्णिमा के पावन प्रसंग पर दिनांक 04 अक्टूबर 2009 को सी.बी.डी. ग्राउंड, ऋषभ विहार, दिल्ली में दिगंबर-श्वेताम्बर संतों की उपस्थिति में तथा लगभग 15 हजार धर्मानुरागी बंधुओं के समक्ष विधि-विधान पूर्वक पूज्य आचार्य श्री ने अपने शिक्षा-दीक्षा वरदहस्त कर-कमलों द्वारा मुनि श्री 108 अतिवीर जी महाराज को एलाचार्य पद पर प्रतिष्ठित किया| आचार्य श्री द्वारा दीक्षित समस्त शिष्य समुदाय में आप एकमात्र ऐसे शिष्य हैं जिन्हें उन्होंने स्वयं कोई पद प्रदान किया है। गहन चिंतक, विचारक, प्रवचनकार व कुशल मार्गदर्शक के रूप में आपने अल्प-समय में ही जैन समाज को नयी दिशा प्रदान करने की सार्थक पहल की|

आप हर उस कार्य को सहजता से कर लेते हैं जिसके लिए जैन समाज एक सही नेतृत्व का इंतज़ार करता रह जाता है| युवा पीढ़ी को कुशलतापूर्वक सही दिशा में अग्रसर करने में आपके हर कदम पर हज़ारों युवा चलने को तैयार हो जाते हैं| आने वाला कल जिनके हाथों में है, उनको सही दिशा में आगे बढ़ाने की कला के भण्डार हैं| स्पष्ट सोच, स्वच्छ कार्यप्रणाली, निश्चित दिशा, हर विचार को यथार्थ में सहजता से अग्रसित कर देती है| आपके द्वारा विभिन्न प्रसंगों पर किये गए उत्कृष्ट कार्य श्रमण व श्रावक के लिए प्रेरक उदाहरण हैं| आपकी इन्हीं विलक्षण प्रतिभा व विशेषताओं को देखते हुए आपके गुरुभ्राता सल्लेखनारत आचार्य श्री 108 मेरुभूषण जी महाराज ने आपको आगरा (उ.प्र.) में आचार्य पद पर प्रतिष्ठित किया।

हरियाणा की धर्मनगरी रेवाड़ी में 17वां मंगल चातुर्मास कर रहे परम पूज्य आचार्य श्री 108 अतिवीर जी मुनिराज के श्रीचरणों में एलाचार्य पद प्रतिष्ठापन दिवस के पुनीत अवसर पर शत-शत नमन…