आचार्य श्री विद्या सागर जी से आजीवन बाल ब्रह्मचर्य व्रत – 25वीं वर्षगांठ- आचार्य श्री अतिवीर जी मुनिराज के चरणों में शत-शत नमन

0
1727

राजधानी दिल्ली का एक युवा, जिसके अंतरंग में वैराग्य का बीज प्रस्फुटित हो चुका था, वह पहुंच जाता है महुआ जी (सूरत) में विराजमान संत शिरोमणि आचार्य श्री 108 विद्या सागर जी महाराज के चरणों में और अपने संयम का मार्ग का प्रशस्त करने हेतु ब्रह्मचर्य व्रत ग्रहण करने का निवेदन करता है।

नवयुवक के मनोभाव को देखते हुए आचार्य श्री प्रारम्भिक अवस्था में 4-5 वर्ष के लिए व्रत ग्रहण की सलाह देते हैं, परंतु वह युवक नहीं मानता। मन में अडिग विचार को परखते हुए आचार्य श्री चिंतन करने के लिए कहते हैं और सामायिक के पश्चात् पुनः बुला लेते हैं।

वह दिन था आज से ठीक 25 वर्ष पूर्व – दिनांक 28 अगस्त 1996 जब आचार्य श्री ने दृढ़ निश्चय व संकल्प से परिपूर्ण युवा नीरज जैन को आजीवन बाल ब्रह्मचर्य व्रत प्रदान कर ब्र. नीरज भैया बना दिया।

आज वह ब्र. नीरज भैया तप-त्याग-तपस्या के मार्ग पर अविरल बढ़ते हुए आचार्य श्री 108 विद्याभूषण सन्मति सागर जी महाराज से मुनि दीक्षा प्राप्त कर व्यापक धर्म प्रभावना करते हुए वर्तमान में आचार्य श्री 108 अतिवीर जी मुनिराज के रूप में आत्मकल्याण में संलग्न हैं।

ब्रह्मचर्य व्रत ग्रहण की 25वीं वर्षगांठ के अवसर पर आचार्य श्री 108 अतिवीर जी मुनिराज के चरणों में शत-शत नमन…