गहन चिंतक, विचारक, प्रवचनकार व कुशल मार्गदर्शक :आचार्य श्री 108 अतिवीर जी मुनिराज: 11 अप्रैल – मुनि दीक्षा दिवस

0
904
????????????????????????????????????

9 अप्रैल 2022//चैत्र शुक्ल अष्टमी /चैनल महालक्ष्मीऔर सांध्य महालक्ष्मी/
प्रशममूर्ति आचार्य श्री 108 शान्तिसागर जी महाराज (छाणी) की पट्ट परम्परा में पंचम पट्टाधीश परम पूज्य आचार्य श्री 108 विद्याभूषण सन्मति सागर जी महाराज ने अपनी पारखी नज़रों से एक अनमोल रत्न को तराशा और जैन समाज को मुनि श्री 108 अतिवीर जी महाराज के रूप में एक दिव्य व अद्वितीय संत प्रदान किया| पूज्य आचार्य श्री ने अतिशय क्षेत्र बड़ागांव स्थित विश्वप्रसिद्ध त्रिलोकतीर्थ धाम के प्रांगण में मेरु मन्दिर के पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के पावन प्रसंग पर भगवान महावीर जन्म कल्याणक के पुनीत अवसर पर दिनांक 11 अप्रैल 2006 को राजधानी दिल्ली निवासी ब्र. नीरज जैन को जैनेश्वरी दीक्षा प्रदान कर कृतार्थ किया| आपकी छलछलाती मंद-मंद मुस्कान हर बाल-वृद्ध को अपनी ओर सहज ही आकर्षित कर लेती है| लगभग 25 वर्षों की सतत संयम साधना से फलीभूत अथाह ज्ञान भंडार, तप-त्याग-साधना, समाज-उद्धारक मानसिकता, स्व-पर कल्याण की भावना, एकता व संगठन, साधर्मी वात्सल्य, गंभीर चिंतन, धैर्य आदि अनेकों योग्य गुणों को देखते हुए यह कहना अतिश्योक्ति ना होगी कि आप जैन धर्म के वाङ्ग्मय में एक प्रखर प्रकाश पुंज की भांति दैदीप्यमान नक्षत्र बनकर जगमगाएंगे|

पूज्य गुरुवर ने अपने प्रियाग्र शिष्य की विशेष योग्यता, दिव्यता, संगठन व संचालन कुशलता एवं गंभीरता को देखते हुए एलाचार्य पद पर प्रतिष्ठित करने की घोषणा कर भक्तों को प्रफुल्लित कर दिया| पूज्य आचार्य श्री ने कहा कि मुनि श्री द्वारा अल्पसमय में ही अभूतपूर्व ज्ञान-गंगा का प्रवाह निरंतर गतिमान है तथा विभिन्न नगरों में व्यापक धर्म प्रभावना संपन्न हो रही है। छाणी परंपरा के चतुर्थ पट्टाधीश आचार्य श्री 108 सुमति सागर जी महाराज के जन्म-दिवस एवं शरद-पूर्णिमा के पावन प्रसंग पर दिनांक 04 अक्टूबर 2009 को सी.बी.डी. ग्राउंड, ऋषभ विहार, दिल्ली में दिगंबर-श्वेताम्बर संतों की उपस्थिति में तथा लगभग 15 हजार धर्मानुरागी बंधुओं के समक्ष विधि-विधान पूर्वक पूज्य आचार्य श्री ने अपने शिक्षा-दीक्षा वरदहस्त कर-कमलों द्वारा मुनि श्री 108 अतिवीर जी महाराज को एलाचार्य पद पर प्रतिष्ठित किया|

आचार्य श्री द्वारा दीक्षित समस्त शिष्य समुदाय में आप एकमात्र ऐसे शिष्य हैं जिन्हें उन्होंने स्वयं कोई पद प्रदान किया है। गहन चिंतक, विचारक, प्रवचनकार व कुशल मार्गदर्शक के रूप में आपने अल्पसमय में ही जैन समाज को नयी दिशा प्रदान करने की सार्थक पहल की| आप हर उस कार्य को सहजता से कर लेते हैं जिसके लिए जैन समाज एक सही नेतृत्व का इंतज़ार करता रह जाता है| युवा पीढ़ी को कुशलतापूर्वक सही दिशा में अग्रसर करने में आपके हर कदम पर हज़ारों युवा चलने को तैयार हो जाते हैं| आने वाला कल जिनके हाथों में है, उनको सही दिशा में आगे बढ़ाने की कला के भण्डार हैं| स्पष्ट सोच, स्वच्छ कार्यप्रणाली, निश्चित दिशा, हर विचार को यथार्थ में सहजता से अग्रसित कर देती है| आपके द्वारा विभिन्न प्रसंगों पर किये गए उत्कृष्ट कार्य श्रमण व श्रावक के लिए प्रेरक उदाहरण हैं|

गुरुवर द्वारा ही आपको आचार्य पद से सुशोभित किया जाना था परन्तु अचानक ही उनके समाधिमरण हो जाने से यह कार्य अधूरा रह गया| गुरुवर की असीम अनुकम्पा से गुरुभ्राता परम पूज्य सल्लेखनारत आचार्य श्री 108 मेरु भूषण जी महाराज ने अपने परम प्रभावक अनुज-भ्राता एलाचार्य श्री 108 अतिवीर जी महाराज को श्रमण परंपरा के वर्तमान में सर्वोच्च पद आचार्य पद पर प्रतिष्ठित करने की घोषणा की| आपकी विलक्षण प्रतिभा व विशेषताओं को देखते हुए छाणी परंपरा के द्वितीय पट्टाधीश परम पूज्य आचार्य श्री 108 विजय सागर जी महाराज के समाधि दिवस के प्रसंग पर दिनांक 20 दिसम्बर 2020 को एम. डी. जैन कॉलेज, हरीपर्वत, आगरा (उ.प्र.) में हजारों गुरुभक्तों के समक्ष तथा अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन शास्त्री परिषद् के विद्वानों की अनुमोदना के साथ विधि-विधान पूर्वक आचार्य पद पर प्रतिष्ठित किया।

परम पूज्य आचार्य श्री 108 अतिवीर जी मुनिराज के श्रीचरणों में 17वें मुनि दीक्षा दिवस के पुनीत अवसर पर शत-शत नमन…

– जैन यूथ काउंसिल (दिल्ली प्रदेश)