13 जुलाई 2022/ आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/
आदरणीय प्रधानमंत्री श्री narendra modiजी ने नए संसद भवन के शिखर पर 6.5 मीटर लंबे व 9,500 किलोग्राम कांस्य से निर्मित अशोक स्तंभ का अनावरण कर राष्ट्र को समर्पित किया।
#चन्द्रगुप्त मौर्य एक #जैन शासक था और #अशोक भी मौर्य साम्राज्य से था जिसने अपनी आस्था को #बौद्ध धर्म में बदल दिया लेकिन यह प्रतीक नहीं बदला।
बैल,हाथी,घोड़ा एक श्रृंखला में प्रथम 3 तीर्थंकरों का और शेर अंतिम तीर्थंकर का प्रतीक है
इन प्रतीकों का बौद्ध धर्म से कोई संबंध नहीं है और 24 स्पाइक्स 24 तीर्थंकरों का प्रतीकात्मक प्रतिनिधित्व है। बौद्ध धर्म में इस संख्या का भी कोई महत्व नहीं है।
#प्राचीन #जैन #मंदिर के इस स्तंभ पर नक्काशी खुद #राष्ट्रीय #समस्या के तथ्यों के बारे में बताती है कि यह केवल #जैनवाद से लिया गया है
इस बारे में पूरा विवरण चैनल महालक्ष्मी के इस एपिसोड के लिंक पर देखना ना भूलें
भारत गणराज्य का प्रतीक चिन्ह चार मुंह वाला शेर इस भरतखंड में जैन धर्म के प्रसार का प्रतीक रहा है।
सारनाथ स्थित स्तंभ के शीर्ष भाग पर बने चार मुंह वाले जिस शेर को भारतीय गणराज्य का प्रतीक चिन्ह माना गया है वह कालांतर में इस भरतखंड में जैन धर्म के प्रसार का प्रतीक चिन्ह रहा है। सारनाथ वह पवित्र भूमि है जहां भगवान महावीर ने स्वयं प्रवचन दिये हैं। चार मुंह वाले शेर के नीचे जैन धर्म के प्रथम तीन तीर्थंकरों क्रमशः ऋषभनाथ, अजितनाथ एवं संभवनाथ जी के प्रतीक चिन्ह बैल, हाथी और घोड़ा बने हुए हैं। सभी के बीच में धम्म चक्र (धर्म चक्र) है जिसमें 24 तीलियां हैं जो प्रथम तीर्थंकर से लेकर अंतिम 24वें तीर्थंकर तक गतिमान धर्म के व्यापक प्रसार का प्रतीक है। भगवान महावीर के काल के आते आते जैन धर्म इस भरतखंड की चारों दिशाओं में व्यापक रूप में फैल चुका था। इसी कारण शीर्ष भाग पर भगवान महावीर के प्रतीक चिन्ह सिंह को चारों दिशाओं में मुंह किये शांत मुद्रा में दिखाया गया है।
जैन धर्म के अनुयायियों के लिए भारत गणराज्य का राष्ट्रीय प्रतीक चारों दिशाओं में मुंह किये चार शेर राष्ट्रीय सम्मान के साथ-साथ आस्था का प्रतीक चिन्ह भी है।
श्री विपिन जैन साह