तपोस्थली बोलखेड़ा पर हुई उत्कृष्ट समाधि : एक गृहस्थ पुत्र के द्वारा अपनी माता की समाधि प्रथम बार

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तपोस्थली बोलखेड़ा पर यूं तो अनेकों समाधिया हो चुकी है किंतु एक गृहस्थ पुत्र के द्वारा अपनी माता की समाधि प्रथम बार हुई है।
पूज्य आर्यिका श्री भव्य नंदनी माताजी जिन्होंने 3 जनवरी को यम सल्लेखना धारण की उनके ही गृहस्थ धर्म के पुत्र वर्तमान में अभिक्ष्ण ज्ञानोपयोगी निर्यापकाचार्य वसुनंदी जी महामुनि राज एवं 20 दिगंबर जैन साधुओं एवं आर्यिका माताजीओं के सानिध्य में उत्कृष्ट समाधि को प्राप्त हुई। वास्तविक रुप से यदि देखा जाए तो सभी यही भावना भाते हैं कि अंतिम समय में संतों के सानिध्य में समाधि को वरण करें यही जीवन का सार है अंत भला तो सब भला।
हम सब भी यही भावना बातें हैं कि हम भी अपने अंतिम समय में गुरुवर के सानिध्य में समाधि भावना को प्राप्त करें।
आर्यिका श्री भव्यनंदनी माताजी जीवन परिचय
पूर्व नाम- श्रीमति त्रिवेणी जैन
पिता का नाम- श्री भोंदू राम जैन
माता का नाम- श्रीमति भगवती जैन
जन्म- सन 1944, ग्राम ऐसा(मुरैना)
पति- श्री रिखबचंद जैन (वर्तमान में ब्र. भव्यप्रकाश जी)
पाणिग्रहण संस्कार- सन 1958
पुत्र-5 पुत्री- 3
दो प्रतिमा व्रत- अश्विन वदी 2, सन 2005
सप्तम प्रतिमा- सन 2010
(पंचकल्याणक प्रतिष्ठा, राजा का ताल में भगवान की माता बनने के सुअवसर पर)
क्षुल्लिका दीक्षा- 02 फरवरी 2018(आगरा) नाम- क्षु. भव्यनंदनी माताजी
नियम संलेखना- 30 नवम्बर 2020
आर्यिका दीक्षा- रविवार 3 जन. 2021 रात्रि. 9.35 (श्री जम्बूस्वामी तपोस्थली बोलखेड़ा)
नाम- आर्यिका श्री भव्यनंदनी माताजी
यम संलेखना – रविवार 3 जन. 2021 रात्रि. 10.24 (श्री जम्बूस्वामी तपोस्थली बोलखेड़ा)
समाधिमरण- मंगलवार, 5 जनवरी 2021, मध्यरात्रि 1.11 (जम्बूस्वामी तपोस्थली) निर्यापकाचार्य गुरु – प. पू. अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोगी आचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज
(संलेखना में 20 पिच्छीधारी साधुओं की उपस्थिति रही)
अंतिम यात्रा 5 जनवरी को प्रातःकाल 10 बजे के बाद श्री जम्बूस्वामी तपोस्थली बोलखेड़ा में निकली